रिसर्चर का कहना है कि बुजुर्गो में इस प्रकार की एक्टिविटी से संज्ञानात्मक सुधार आता है. (प्रतीकात्मक फोटो- shutterstock.com)
नई दिल्ली. कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच एक अच्छी खबर है. शोधार्थियों ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्यतौर पर उपलब्ध एंटी- एंटीडिप्रेसेंट्स (अवसादरोधी) दवा से गंभीर कोविड के खतरे को एक तिहाई तक कम किया जा सकता है. ब्राजील में 1500 मरीजों पर हुए परीक्षण से पता चलता है कि जिन्हें फ्लुवोक्जामिन नाम की दवा दी गई उनमें कोरोना के गंभीर लक्षण कम दिखे. अच्छी बात यह भी है कि एंटी- एंटीडिप्रेसेंट्स दवा फ्लुवोक्जामिन लेने से लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आई.
सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एंजेला रियरसन का कहना है कि बाजार में लुवोक्स के नाम से बेची जाने वाली यह दवा अक्सर ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) और डिप्रेशन के इलाज में काम आती है. साथ ही ये सूजन के असर को कम कर सकती है. रियरसन जिन्होंंने लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन पर काम किया है. उनका कहना है फ्लुवोक्जामिन सायटोकाइन नाम के अणुओं के उत्पादन को कम कर सकता है. यही सायटोकाइन सार्स कोवी-2 के संक्रमण को बढ़ा सकता है. साथ ही यह दवा खून में प्लेटलेट्स को भी घटा सकती है जिससे कोरोना वायरस से हुए संक्रमण के दौरान खून के थक्के जमने की प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है.
रियरसन ने अपने साथियों के साथ मिलकर 741 वॉलेंटियर जिन्हें कोविड हो गया था उन्हें फ्लुवोक्जामिन की 100 मिली ग्राम की खुराक दिन में दो बार, 10 दिन तक दी. वहीं 756 मरीजों को प्लेसिबो (बगैर दवा की मीठी गोली) दी गई. ऐसे मरीज जिन्हें फ्लुवोक्जामिन दी गई थी उनमें से 79 यानी करीब 11 फीसदी को अस्पताल मे भर्ती करने या इमरजेंसी में ले जाने की ज़रूरत पड़ी. वहीं इसकी तुलना में प्लेसिबो दिए जाने वालों में ये संख्या 16 फीसदी थी. इस तरह से यह 5 फीसदी पूर्ण जोखिम और 32 फीसदी संबंधित जोखिम को कम करने में कारगर रही.
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में ये दवा जोड़ी जानी चाहिए या नहीं इसे लेकर अभी और अध्ययन की जरूरत है, लेकिन अगर ये सफल होता है तो ये काफी सस्ता इलाज साबित होगा. हालांकि शोधार्थियों ने यह साफ किया है कि ये बीमारी का इलाज नहीं है बस रोकथाम है, जिससे मरीज को अस्पताल में भर्ती होने के खतरे से बचाया जा सकता है.
उन्होंने अपनी शोध के परिणाम में लिखा है कि फ्लुवोक्जामिन देना सुरक्षित, इस्तेमाल में आसान, सहनीय, आसानी से उपलब्ध है. ये परिणाम कोविड-19 के क्लिनिकल प्रबंधन के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिशा निर्देशों को प्रभावित कर सकते हैं.
हालांकि कोविड-19 के शुरुआती इलाज को लेकर कोई मानक इलाज अभी तक तय नहीं हो पाया है. इसे लेकर विभिन्न लोगों और जानकार अलग-अलग तरीके बताते हैं. साथ ही अब तक ये बात भी समझ नहीं आ सकी है कि इस बीमारी से किसे ज्यादा खतरा है और किसे नहीं.
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