होम /न्यूज /राष्ट्र /छावला गैंगरेप हत्या केस: दोषियों को बरी करने के फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट से खारिज

छावला गैंगरेप हत्या केस: दोषियों को बरी करने के फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट से खारिज

छावला गैंगरेप और हत्या केस में दाखिल पुर्नविचार अर्जियों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. (PHOTO:ANI)

छावला गैंगरेप और हत्या केस में दाखिल पुर्नविचार अर्जियों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. (PHOTO:ANI)

Chhawla Rape Murder Case: दिल्ली के छावला इलाके में एक लड़की की गैंगरेप और फिर बेहद क्रूरता से हत्या कर दी गई थी. पिछले ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. छावला गैंगरेप हत्या केस में सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली पुलिस को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में दाखिल पुनर्विचार अर्जियों को खारिज कर दिया है. पीड़ित परिवार और दिल्ली पुलिस ने फांसी की सजा पाए तीनों दोषियों को रिहा करने के फैसले पर पुर्नविचार करने की मांग की थी. याचिका पर कोर्ट ने कहा कि इस फैसले पर उन्हें कोई खामी नजर नहीं आती है. इसलिए पुनिर्विचार का कोई औचित्य नहीं है.

दिल्ली के छावला इलाके में एक लड़की की गैंगरेप और फिर बेहद क्रूरता से हत्या कर दी गई थी. पिछले साल 7 नवंबर को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में पुलिस की जांच और ट्रायल पर सवाल उठाते हुए संदेह का लाभ देते हुए दोषियों को बरी कर दिया गया था.

इससे पहले इन दोषियों को निचली अदालत से लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने फांसी की सजा दी थी. दिल्ली पुलिस और पीड़ित परिवार ने अर्जी दायर कर बरी करने के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी. इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा है उपलब्ध रिकॉर्ड को देखने पर हमें अपने फैसले में कोई खामी नजर नहीं आती. लिहाजा पुर्नविचार की मांग वाली अर्जियों को खारिज किया जाता है.

" isDesktop="true" id="5687729" >

इस मामले में निचली अदालत से लेकर दिल्ली HC ने दोषियों को फांसी की सज़ा मुक़र्रर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर 2022 को दिए फैसले में पुलिस की जांच और ट्रायल पर सवाल उठाते हुए तीनों दोषियों को बरी कर दिया था. पुनर्विचार याचिकाओं पर जज पहले बंद चैम्बर में केस की फाइल देखकर तय करते हैं कि क्या मामले पर ओपन कोर्ट में सुनवाई की जरूरत है या नहीं. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस रविन्द्र भट्ट, जस्टिस बेला त्रिवेदी ने अपने आदेश में कहा कि फैसले और उपलब्ध रिकॉर्ड को देखने पर हमें अपने पहले फैसले में कोई कानूनी खामी नजर नहीं आती. लिहाजा पुनर्विचार की मांग वाली अर्जियों को खारिज किया जाता है.

Tags: Delhi police, Supreme Court

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें