अनुश्री जयरथ
नई दिल्ली: लड़कियों की शादी की आयु (Raising Marriage age of Girls) में बदलाव का फैसला काफी विचार-विमर्श के बाद लिया गया है. इसमें कई युवाओं के विवेकपूर्ण तर्क भी शामिल हैं. बेटियों के विवाह की उम्र में बढ़ाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) मोदी ने पिछले साल गणतंत्र दिवस के भाषण में इस कानून में संशोधन करने की बात कही थी. अब सरकार के इस फैसले का कई संगठनों ने स्वागत किया है. इन लोगों को मानना है कि इस कदम से लड़कियों को पढ़ाई के लिए अधिक समय मिलेगा. हालांकि ऐसा नहीं है कि अकेले सिर्फ ज्यादा वक्त मिलने से लड़कियां स्कूल और कॉलेज जाने लग जाएंगी. यह बहस का एक साधारण मुद्दा है.
हालांकि गरीबी, अवसरों की कमी और सुरक्षित स्कूल के साथ-साथ लिंग भेद से जुड़े कई ऐसे कारण हैं जिन की वजह से बेटियों को समान अधिकार नहीं मिलते हैं और उनकी शिक्षा प्रभावित होती है. द प्रोहिबिशन ऑफ चाइल्ज मैरिज (एमेडमेंट) बिल 2021 (Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021) को पार्लियामेंट (Parliament) की स्टैंडिग कमेटी में चर्चा के लिए भेजा गया है. इस बिल को 2006 में बने चाइल्ड मैरिज एक्ट में संशोधन करके लाया जा रहा है. हम सब मानते हैं कि लड़कियों की शादी देर से होनी चाहिए, लेकिन इस कानून में होने वाला बदलाव उनके लिए बेहतर होगा या इससे उनकी मुश्किलें और बढ़ेंगी.
भारत में कम आयु में विवाह को लेकर कई सामाजिक और रूढ़िवादी कारण शामिल हैं. ऐसा माना जाता है कि लड़कियों की जल्दी शादी करने से वे सुरक्षित रहेंगी. शादी होने से यौन उत्पीड़न और हिंसा से जैसे अपराधों से उनकी सुरक्षा होगी, साथ ही दहेज की संभावना कम होगी. हालांकि ये सभी वजह लड़कियों की शादी की आयु में बढ़ोतरी का कारण नहीं हो सकती है.
जमीनी कारणों पर करना होगा काम
दरअसल कम उम्र में शादी से जुड़े मूल कारणों पर काम करना ज्यादा जरूरी है वरना इस कदम से फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है. देश में मेटरनिटी सेवाएं, गर्भ निरोधक साधन या सेक्सुअल रिप्रॉडक्टिव हेल्थ सर्विस को लेकर कई प्रकार की बाधाएं और कमी है. इन समस्याओं से निपटने के लिए ऐसे कदमों को उठाने की जरुरत है जिससे लड़कियों की स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों का निवारण किया जा सके, इसलिए इस विषय को लेकर भी बिल में विचार किया जाना चाहिए. इससे महिलाओं को अधिकारों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी.
लड़के और लड़कियों की शादी की उम्र समान कर देने से हमारे समाज में समानता नहीं आएगी, जब तक कि हम महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा नहीं करते हैं. दरअसल लड़कियों की कम आयु में शादी करने का सबसे बड़ा कारण स्कूल के छुट जाने का है. इंडियन स्कूल सिस्टम में लड़कियों के प्रति काफी उदासीनता देखने को मिलती है. ज्यादातर स्कूलों में स्वच्छ शौचालय की कमी से लेकर यौन उत्पीड़न की घटनाएं सामने आती है जिससे लड़कियों को स्कूल में बेहतर सुविधाएं और सुरक्षा नहीं मिलती है. जिसका नतीजा यह होता है कि लड़कियां कम आयु में ही स्कूल जाना छोड़ देती हैं.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार, देश में 12 साल तक स्कूल जाने के 5 साल बाद ज्यादातर लड़कियों की शादी कर दी जाती है. इसलिए लड़कियों की बेहतर शिक्षा और उससे जुड़ी सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए कदम उठाने की जरुरत है विशेषकर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार की बेटियों के लिए.
लड़कियों को रोजगार के समान अवसर मिलें
इसके अलावा लड़कियों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने के लिए रोजगार और प्रशिक्षण के समान अवसर मिलने चाहिए. ताकि इस धारणा से छुटकारा पाया जा सके कि बेटियां बोझ होती हैं और उनकी जल्द से जल्द शादी कर देनी चाहिए. आर्थिक रूप से से आत्मनिर्भर होने के बाद लड़कियों और महिलाओं को अपने वैवाहिक जीवन या जीवनसाथी के बारे में सोचने का अवसर मिलेगा. बिल के जरिए लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने से ज्यादा लड़कियों के लिए समान अवसर से जुड़े विषयों पर बेहतर माहौल बनाने की अधिक जरुरत है.
हालांकि इन सबके बीच एक अहम सवाल यह भी उठता है कि कानून में संशोधन करने से पहले क्या हमने लड़कियों की राय जानना चाही और क्या कानून में लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने से क्या वे आत्मनिर्भर हो जाएंगी. इस विषय पर सरकार को रिपोर्ट सौंपने वाली टॉस्कफोर्स कमेटी की मुखिया जया जेटली ने कहा कि, 15 एनजीओ और 16 यूनिवर्सिटी ने इस फैसले का समर्थन किया है.
बहरहाल, इस विषय को लेकर जमीन स्तर पर चर्चा की जरुरत है. Oxfam India के ग्राउंड लेवल कैंपेन के दौरान हमने पाया कि, बहुत से युवाओं की इस मुद्दे पर बड़ी स्पष्ट राय है इसलिए जरुरत है कि उन्हें अपने विचार रखने का मौका दिया जाए ताकि हम उनके लिए एक बेहतर फैसला ले सकें.
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Tags: Child sexual harassment, Narendra modi