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चीन ने हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रम की गति बढ़ाई, क्या है भारत की स्थिति?

भारत हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने की बात कर रहा है.

भारत हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने की बात कर रहा है.

चीन (china) ने नई जेनरेशन की हाइपरसोनिक (Hypersonic) मिसाइल और एयरक्राफ्ट को विकसित करने की गति बढ़ा दी है. हाल ही में ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्‍ली. चीन (china) ने नई जेनरेशन की हाइपरसोनिक (Hypersonic) मिसाइल और एयरक्राफ्ट को विकसित करने की गति बढ़ा दी है. हाल ही में मिल रही खबरों के मुताबिक चीन ने हाइपरसोनिक हथियारों के मामले में अमेरिका (America) के साथ होड़ करते हुए अगली पीढ़ी की तकनीक पर उल्लेखनीय बढ़त हासिल की है. चीन के विमानन उद्योग निगम के तहत चल रहे एयरोडायनेमिक्स संस्थान ने नई विंड टनल के विकास की घोषणा की है. इस टनल को FL-64 नाम दिया गया है. वहीं, भारत भी प्रयास कर रहा है, इसके रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 2020 में हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया था.

    FL-64 को तैयार होने में दो साल लगे हैं, इसका निर्माण इसी तरह के उपकरणों की तुलना में रिकॉर्ड समय में किया गया है. विंड टनल बड़ी और जटिल होती है, इसमें हाइपरसोनिक जरूरतें जैसे उच्च तापमान, दबाव और गति शामिल होती है. इसका डायमीटर पहले वाले उपकरण का दोगुना है. यह 1,57,480 फीट की ऊंचाई पर माक 4 (गति का माप- माक 1 ध्वनि की गति होती है) से माक 8 की गति हासिल कर सकता है. इसके साथ ही यह 626 डिग्री तापमान पर चल सकता है. इसे 30 सेकंड से ज्यादा संचालित किया जा सकता है. इसके अलावा विमान की हाइपरसोनिक क्षमता को आंक सकता है. जिसमें एयरक्राफ्ट से हथियार को जोड़ना और अलग करना भी शामिल है.

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    यही नहीं रिपोर्ट बताती हैं कि चीन जेएफ-22 हाइपरवेलोसिटी विंड टनल का भी निर्माण कर रहा है जिसकी क्षमता माक-30 है. इस सुविधा के 2022 तक पूरा होने की उम्मीद की जा रही है. इसके बाद ये चीन के एयरोस्पेस और हाइपरसोनिक एयरक्राफ्ट कार्यक्रम में अपनी भागीदारी निभा सकेगा. जेएफ 12 चीन की पहली हाइपरसोनिक टनल है जो 2012 में तैयार हो गयी थी. जिसके पास माक 4 से माक 9 की गति है. हालांकि इन विंड टनल का इस्तेमाल हथियार विकसित करने तक ही सीमित नहीं है. चीन इसका इस्तेमाल विभिन्न बड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए एथलीट तैयार करने में भी कर रहा है. एथलीट अपने प्रदर्शन को सुधारने के लिए अपने रोजाना के प्रशिक्षण में इन विंड टनल का इस्तेमाल करते हैं.

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    चीन बनाम अमेरिका
    विंड टनल परियोजनाओं के मामले में अमेरिका अभी भी अव्वल है. इसके बाद दूसरा नंबर चीन का है. पिछले 6 दशकों में एवीआईसी और उससे संबद्ध एआरआई ने दर्जनों टनल का निर्माण किया है. एशिया टाइम्स मे प्रकाशित खबर के मुताबिक अमेरिका की सबसे आधुनिक विंड टनल लैंस 2 ( लार्ज एनर्जी नेशनल शॉक टनल) है, जिसकी क्षमता 30 मिलीसेकंड में 3 से 9 माक फ्लाइट की है. लेकिन चीन अमेरिका को पछाड़ने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहा है, पिछले पांच सालो में जहां अमेरिका ने 9 हाइपरसोनिक टेस्ट किए वहीं चीन सैकड़ों लॉन्च कर चुका है.

    क्या होती है हाइपरसोनिक मिसाइल
    हाइपरसोनिक मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल की तरह ही ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा तेज उड़ान भर सकती है. सामान्य बैलिस्टिक मिसाइल से यह कहीं ज्यादा विकसित होती है और आसमान में दुश्मन का आसानी से पता लगा लेती है. आम भाषा में समझें तो जो विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े उसे हाइपरसोनिक विमान कहा जाता है.

    भारत और हाइपरसोनिक हथियार
    भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 2020 में हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया था. यह एचएसटीडीवी (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमोन्सट्रेटर व्हीकल) कहलाता है. इसके अलावा भारत हाइपरसोनिक ग्लाइडर हथियार भी बना रहा है, इसका परीक्षण भी किया जा चुका है.

    Tags: America, China, Hypersonic, India

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