गलवान संघर्ष में चीन को दी थी बड़ी चोट, भारतीय कैप्टन को मिला सम्मान

कैप्टन सोइबा मानिंगबा. (ANI/23 Feb 2021)
Galwan Valley India China: पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुए इस संघर्ष में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे.
- News18Hindi
- Last Updated: February 23, 2021, 4:12 PM IST
नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तिवक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चीनी सैनिकों की साजिश को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाने वाले 16 बिहार रेजिमेंट के कैप्टन सोइबा मनिंगबा रंगनामेई को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सम्मानित किया है. चीन के साथ हुई इस हिंसक झड़प में इसी रेजिमेंट के अधिकांश जवान शामिल थे, जिनकी अगुआई कैप्टन सोइबा कर रहे थे.
पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों के साथ हुए इस संघर्ष में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीनी सैनिक भी काफी संख्या में हताहत हुए थे. हालांकि उन्होंने कभी भी आधिकारिक तौर पर इसकी जानकारी नहीं दी कि वास्तव में उनके कितने सैनिक इस घटना में मारे गए. रूस की न्यूज एजेंसी तास की मानें, तो पिछले साल 15 जून को भारत-चीन सेनाओं के बीच गतिरोध कम करने के प्रयासों के दौरान पूर्वी लद्दाख के गलवान में दोनों सेनाओं के बीच चले खूनी संघर्ष में चीन के करीब 45 सैनिक मारे गए थे.

Capt Soiba Maningba Rangnamei of 16 Bihar Regiment
दोनों देशों के बीच पिछले साल पांच मई को पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक संघर्ष के बाद सैन्य गतिरोध शुरू हुआ था और फिर हर रोज बदलते घटनाक्रम में दोनों पक्षों ने भारी संख्या में सैनिकों तथा घातक अस्त्र-शस्त्रों की तैनाती कर दी थी.
गतिरोध के लगभग पांच महीने बाद भारतीय सैनिकों ने कार्रवाई करते हुए पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर क्षेत्र में मुखपारी, रेचिल ला और मगर हिल क्षेत्रों में सामरिक महत्व की कई पर्वत चोटियों पर तैनाती कर दी थी.
नौवें दौर की सैन्य वार्ता में भारत ने विशेषकर पैंगोंग झील के उत्तरी क्षेत्र में फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के क्षेत्रों से चीनी सैनिकों की वापसी पर जोर दिया था. वहीं, चीन ने पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर सामरिक महत्व की चोटियों से भारतीय सैनिकों की वापसी पर जोर दिया था.
1967 के बाद पहली बार PLA के साथ झड़प में भारतीय सैनिक की मौत
15 जून 2020 को हुआ संघर्ष नाथू ला में 1967 में हुई उस झड़प के बाद सबसे बड़ा संघर्ष है जिसमें चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे और भारत के लगभग 80 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद 1975 में चीन की सेना के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सैनिक की मौत हुई थी. 1975 में अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में दोनों देशों के बीच अस्थाई सीमा के पास घात लगाकर किए गए हमले में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.