दो साल से भारत-चीन के बीच गलवान घाटी पर तनाव बना हुआ है. (सांकेतिक तस्वीर)
नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच पिछले दो सालों में एलएसी पर तनाव है. एलएसी पर झड़पों का इतिहास भी पुराना है. दोनों देशों की सैनिकों के पेट्रोलिंग के दौरान आमने-सामने आना और एक दूसरे की भाषा का ज्ञान न होने के चलते फेसऑफ झड़प का रूप ले लेता है और उसका सबसे बड़ा उदाहरण है गलवान में हिंसा. चूंकि एलएसी विवाद पता नहीं कब तक सुलझे लेकिन चीनी सैनिकों से निपटने के लिए भारतीय सेना आर्टिफिश्यल इंटेलिजेंस की भी मदद लेने की पूरी तैयार कर ली है.
आज़ादी के अमृत महोत्सव के मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 75 AI प्रोडक्ट को लॉन्च किया है. इनमें एक प्रोडक्ट है ऑफ़लाइन ट्रांसलेशन डिवाइस. इस डिवाइस की मदद से चीनी सैनिकों जब भी मंदारिन भाषा में बोलेंगे भारतीय सैनिकों को तुरंत यह अपनी भाषा में अनुवाद कर देगा.
इंटरनेट नहीं होने पर भी मंदारिन भाषा को अनुवाद करेगा डिवाइस
ये एक एसा उपकरण है जो कि चीनी मंदारिन भाषा को हिंदी या अंग्रेज़ी में ट्रांसलेट किया जा सकेगा. एक स्वदेशी नए स्टार्टअप ने इस उपकरण को तैयार किया है और इसकी ख़ास बात यह है कि ये उपकरण तैयार ही उन जगह के लिए किया गया है जहा इंटरनेट नहीं है. इस उपकरण की रेंज फ़िलहाल 5 से 10 फ़िट की है यानी अगर इतनी दूरी पर खड़ी कोई चीनी सैनिक मंदारिन भाषा में बात करता है तो ये डिवाइस उस भाषा को हिंदी या अंग्रेज़ी में रियल टाइम में कन्वर्ट कर देगा.
50 फीट की दूरी से भाषा को पकड़कर करेगा अनुवाद
इस पूरे डिवाइस की एक और ख़ास बात है कि ट्रायल के लिए जो डिवाइस बानाय गया है उसका वजन 600 ग्राम का है और भविष्य में इसको और कॉम्पेक्ट करने की भी तैयरी है. अनुरूप अयंगर के मुताबिक़ सेना की डिमांड है कि जो रेंज यानी 5 से 10 फ़ीट की है उसे बढ़ाकर 50 फ़ीट तक की जाए और हांलकि अभी इसकी रेंज 15 से 20 फ़ीट तक की जा सकती है और 50 फ़ीट तक करने की कोशिश है. इस आर्टिफिश्यल इंटेलिजेंस के माध्यम से हम एलएसी पर चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार हो जाएंगे.
इसी 10 जुलाई को भारतीय सेना की टेरिटोरयल आर्मी में मंदारिन भाषा के जानकार लोगों की भर्ती भी निकाली है. जिसमें 5 कैंडिडेट सिविलियन और 1 एक्स सर्विसमेन के लिए वैकैंसी है. यही नही आईटीबी और सेना अपने सैनिकों अफसरों को मंदारिन भाषा भी सिखा रही है वही चीन भी बड़ी संख्या में तिब्बतियों और यूनिवर्सिटी में हिंदी पढ़ने वाले छात्रों को ट्रांसलेटर और जासूसी के लिए अपनी सेना में शामिल करने का काम कर रहा है. इस उपकरण के भविष्य से शामिल होने के बाद चीनी सेना को मंदारिन भाषा में बात करते हुए काफ़ी संभल कर बोलना पड़ेगा.
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