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मीडिया ट्रायल पर बोले CJI चंद्रचूड़, कहा - इससे बनी धारणा व्यक्ति को कोर्ट से पहले ही दोषी ठहरा देती हैं

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मीडिया ट्रायल के दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं. (File Photo/ANI)

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मीडिया ट्रायल के दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं. (File Photo/ANI)

देश के प्रधान न्‍यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ( Justice DY Chandrachud) ने बुधवार को 16वें रामनाथ गोयनका पुरस्कार समारोह को ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा कि मीडिया ट्रायल के दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि इससे ऐसी धारणा जन्म ले लेती है जो व्यक्ति को अदालतों के फैसले से पहले ही जनता की नजरों में गुनहगार बना देती है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ यहां 16वें रामनाथ गोयनका पुरस्कार समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि जिम्मेदार पत्रकारिता सत्य के प्रकाश-स्तंभ की तरह होती है जो हमें बेहतर कल का रास्ता दिखा सकती है. मीडिया ट्रायल के खतरों पर उन्होंने कहा, ‘हमारी व्यवस्था में एक प्रमुख मुद्दा मीडिया द्वारा ट्रायल का है. कोई भी व्यक्ति तब तक निर्दोष होता है जब तक अदालत उसे दोषी नहीं पाती. यह कानूनी प्रक्रिया का अहम पहलू है.’

उन्होंने कहा, ‘हालांकि, इस तरह के वाकये भी रहे हैं जब मीडिया ने एक विमर्श गढ़ा जिससे व्यक्ति अदालत द्वारा दोषी करार दिये जाने से पहले ही जनता की नजरों में दोषी हो गया. इसका प्रभावित लोगों के जीवन पर और उचित प्रक्रिया पर दीर्घकालिक परिणाम हो सकता है.’ जिम्मेदारी पूर्ण पत्रकारिता के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘यह उस इंजन की तरह है जो लोकतंत्र को आगे ले जाती है और जो सत्य, न्याय एवं समानता की खोज पर आधारित होती है. जब हम डिजिटल समय की चुनौतियों से निपट रहे हैं तो यह और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि पत्रकार अपनी रिपोर्टिंग में सटीकता, निष्पक्षता एवं जिम्मेदारी के मानकों को बनाकर रखें.’

सोशल मीडिया कई मायनों में पत्रकारों के लिए बदलाव लाने वाला रहा
उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया संस्थानों में विविधतापूर्ण और प्रतिनिधित्व वाला न्यूजरूम होना आवश्यक है जहां विभिन्न दृष्टिकोणों और आवाजों के साथ पूरी तरह अनुसंधान वाली खबरें हों. विधिक पत्रकारों के संबंध में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वे कानून की जटिलताओं पर रोशनी डालते हुए न्याय प्रणाली की कहानी बयां करते हैं. उन्होंने कहा, ‘हालांकि भारत में पत्रकारों द्वारा न्यायाधीशों के भाषणों और फैसलों का चुनिंदा तरीके से उद्धरण करना चिंता का विषय है. इस तौर-तरीके में महत्वपूर्ण कानूनी विषयों पर जनता की समझ को विचलित करने की प्रवृत्ति है.’ चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सोशल मीडिया कई मायनों में पत्रकारों के लिए बदलाव लाने वाला रहा है और ऑनलाइन मंचों से उन्हें अपने खुद के चैनल शुरू करने के अवसर मिले हैं.

Tags: Justice DY Chandrachud, Supreme Court

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