भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में अपनी बात रखी.
नई दिल्ली. भारत के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण ने शनिवार को कहा कि संविधान में तीनों अंगों के बीच शक्तियों का बंटवारा किया गया है. इनके बीच सामंजस्य से ही लोकतंत्र मजबूत होगा. ऐसे में हर किसी को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय लक्ष्मणरेखा का ध्यान रखना चाहिए. मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में जस्टिस रमण ने कहा कि न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है.
चीफ जस्टिस ने अदालतों में महत्वहीन याचिकाएं दाखिल किये जाने पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि जनहित याचिका की अवधारणा अब कई मामलों में निजी हित याचिका में बदल गई है. कभी-कभी परियोजनाओं को रोकने या सरकारी अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिये इनका इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कानून और संविधान का पालन करना सुशासन की कुंजी है.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि महत्वहीन याचिकाओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है. उदाहरण के लिए जनहित याचिका की अर्थपूर्ण अवधारणा कभी-कभी निजी हित याचिका में बदल जाती है. इसमें कोई संदेह नहीं कि जनहित याचिका ने जनहित में बहुत काम किया है. लेकिन आजकल जनहित याचिका उन लोगों के लिए एक औजार बन गई है, जो राजनीतिक मामलों या कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्विता को सुलझाना चाहते हैं. कभी-कभी परियोजनाओं को रोकने या सार्वजनिक प्राधिकरणों पर दबाव बनाने के लिए भी इसका दुरुपयोग किया जाता है. दुरुपयोग की आशंका को समझते हुए अदालतें अब इन पर विचार करने में अत्यधिक सतर्कता बरतती हैं.
इससे पहले, पीएम मोदी ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा. वे जुड़ाव महसूस करेंगे. हमारे देश में आज भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की सारी कार्यवाही अंग्रेजी में होती है. एक बड़ी आबादी को न्यायिक प्रक्रिया से लेकर फैसलों तक को समझना मुश्किल होता है. हमें व्यवस्था को आम जनता के लिए सरल बनाने की जरूरत है.
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