भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण ने 16 जुलाई, 2022 को जयपुर में 18वीं अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बैठक को संबोधित किया. (File Photo)
जयपुर: भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक विरोध का ‘शत्रुता में तब्दील होना’ एक ‘स्वस्थ लोकतंत्र’ का संकेत नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले सरकार और विपक्ष के बीच ‘आपसी सम्मान’ हुआ करता था, लेकिन अब विपक्ष की जगह लगातार कम होती जा रही है. उन्होंने कहा, एक मजबूत संसदीय लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष की भी जरूरत होती है. अब कानूनों को विस्तृत विचार-विमर्श और जांच के बिना पारित किया जा रहा है. सीजेआई राजस्थान विधानसभा में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने उपरोक्त बातें कहीं.
सीजेआई एनवी रमण ने कहा, ‘हमें ध्यान देना चाहिए कि भारत संसदीय लोकतंत्र के लिए था न कि संसदीय सरकार के लिए, क्योंकि लोकतंत्र का मूल विचार प्रतिनिधित्व है. डॉ (बीआर) अम्बेडकर ने आगाह किया था कि संसदीय लोकतंत्र का मतलब, कभी भी ‘बहुमत का शासन’ नहीं हो सकता. बहुमत का शासन, सिद्धांत में अस्थिर है और व्यवहार में अनुचित है. हमने एक प्रतिनिधि लोकतंत्र को चुनने का फैसला किया. प्रतिनिधि लोकतंत्र, प्रभावी प्रतिनिधित्व के बारे में है. यह वह जगह है, जहां अल्पसंख्यक बहुमत से अभिभूत नहीं होते हैं.’
राजनीतिक विरोध को दुश्मनी में तब्दील नहीं करना चाहिए: CJI एनवी रमण
विपक्ष के स्थान के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘विचारों की विविधता राजनीति और समाज को समृद्ध करती है. राजनीतिक विरोध को दुश्मनी में तब्दील नहीं करना चाहिए, जो हम इन दिनों दुखद रूप से देख रहे हैं. ये स्वस्थ लोकतंत्र के लक्षण नहीं हैं. मजबूत, जीवंत और सक्रिय विपक्ष शासन को बेहतर बनाने में मदद करता है और सरकार के कामकाज को ठीक करता है. एक आदर्श दुनिया में, यह सरकार और विपक्ष की सहकारी कार्यप्रणाली है, जो एक प्रगतिशील लोकतंत्र की ओर ले जाती है. आखिरकार, लोकतंत्र सभी हितधारकों का संयुक्त प्रयास है.’
केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने उठाया न्यायिक रिक्तियों का मुद्दा
अपने भाषण में, केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार ने ऐसे पुराने कानूनों को खत्म करने के लिए एक अभियान शुरू किया है, जो अब अप्रचलित हैं. उन्होंने कहा, अब तक हमने कानून की किताब से ऐसे 1,486 कानूनों को हटा दिया है…हमने ऐसे अन्य 1,824 कानूनों की पहचान की है और मैं आज कहना चाहता हूं कि आगामी संसद सत्र में, मैं 71 के करीब विभिन्न अधिनियमों और विनियोग अधिनियमों को हटाने के लिए प्रतिबद्ध हूं.’
किरेन रिजिजू ने सीजेआई से कहा, ‘मैं बार-बार दो समस्याओं को उजागर कर रहा हूं जिनका सामना न्यायपालिका कर रही है. न्यायिक रिक्तियां और न्यायिक बुनियादी ढांचा.’ केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि सरकार न्यायिक रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया में तेजी लाएगी. मैंने राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए स्वतंत्र प्राधिकरणों के निर्माण का प्रस्ताव रखा था. दुर्भाग्य से यह आगे नहीं बढ़ सका. मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार इस प्रस्ताव पर फिर से विचार करेगी.
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