(आकाश हसन)
दक्षिणी कश्मीर के अवंतीपोरा शहर में एक स्कूल के प्रिंसिपल रिजवान असद (28) के घर पर 17 मार्च की रात में पुलिस ने छापा मारा था. घर की तलाशी के बाद पुलिस ने रिजवान को हिरासत में ले लिया था. पुलिस ने मंगलवार को कहा कि हिरासत में असद की मौत हो गई है. हालांकि मौत के कारण का खुलासा नहीं किया गया है.
रिजवान असद के भाई मुबाशिर असद ने
पुलिस रेड पर कहा, 'वे मेरे भाई को ले गए और हमें धमकी दी कि अगर हम किसी तरह की मारपीट या चीखते चिल्लाते हैं तो उसे गोली मार देंगे.' असद के परिवार ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी मौत सुनियोजित नृशंस हत्या थी. जबकि पुलिस के अनुसार, उन्हें एक आतंकवादी मामले में जांच के लिए गिरफ्तार किया गया था. हालांकि इन आरोपों से परिवार ने इनकार किया है.
मुबाशिर ने न्यूज18 को बताया, 'पुलिस की एक टीम रविवार रात को करीब 11:30 बजे घर पर आई और पूरे घर की तलाशी ली. उन्होंने हमारे
मोबाइल फोन और दो लैपटॉप जब्त कर लिए. उस वक्त वे रिजवान को साथ लेकर गए. जब असद को हिरासत में लेकर पुलिस ले गई, उसके बाद परिजन अवंतीपोरा पुलिस स्टेशन गए.
रिजवान ने कहा, 'पुलिस ने हमें बताया कि उसे जम्मू और कश्मीर पुलिस की एक काउंटर इंसर्जेंसी इंटेरोगेशन यूनिट कार्गो में ले जाया गया था. और उन्होंने हमसे वादा किया कि उसे एक दिन के बाद रिहा कर दिया जाएगा.' वहीं अवंतीपोरा के एसपी ताहिर सलीम ने रिजवान की गिरफ्तारी से इनकार किया है. एसपी ने न्यूज18 को बताया, 'एक पुलिस की टीम आई थी और उन्होंने उसे गिरफ्तार किया था. हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.'
असद ने केमिस्ट्री और एजुकेशन में मास्टर्स पूरा किया था. वह एक स्कूल में बतौर प्रिंसिपल काम कर रहे थे. इसके साथ ही पीएचडी करने की तैयारी भी कर रहे थे. असद को वर्ष 2018 में 'देश विरोधी गतिविधियों' के लिए गिरफ्तार किया गया था. उसपर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था. हालांकि, कुछ दिन के बाद जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने पीएसए को खारिज कर दिया था.
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उसके परिवार ने आरोप लगाया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस ने उसे अगले 15 दिनों तक हिरासत में रखा था. उन्होंने कहा कि उसके बाद से वह सामान्य जीवन जी रहा था. रिजवान असद की मौत के बाद कश्मीर में तनाव बढ़ गया है. असद के गृह नगर और घाटी के अन्य हिस्सों में स्थानीय लोगों ने जमकर उपद्रव मचाया. लोग सुरक्षाबलों से भी भीड़ गए. अलगाववादियों ने बुधवार को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है.
असद के पिता, असदुल्ला पंडित सरकारी सेवाओं से सेवानिवृत्त हुए हैं. वह जमात-ए-इस्लामी के सदस्य हैं, जो एक सामाजिक धार्मिक संगठन था और उसे हाल ही में राज्य में प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस संगठन के सैकड़ों सदस्य जेल में हैं.
राज्य प्रशासन ने इस मामले पर मजिस्ट्रियल जांच शुरू कर दी है. हालांकि असद के परिवार से जांच से कोई उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा, 'हम इन जांचों पर विश्वास नहीं करते हैं. इस अपराध के लिए किसी पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा.' रिजवान के भाई ने कहा, 'हमारे साथ तब न्याय किया जाएगा, जब दोषियों को फांसी पर लटकाया जाए.'
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परिजनों ने श्रीनगर में पुलिस नियंत्रण कक्ष से असद का शव लेने से इंकार कर दिया है. असद के परिवार ने कहा, 'वे उसे घर से ले गए और मार डाला. इसलिए उन्हें असद का शव घर पर मिलना चाहिए.'
बता दें कि तीन महीने के शीतकालीन अवकाश के बाद घाटी के स्कूल 10 मार्च को खुले थे और असद भी स्कूल जाने लगे थे. असद के स्कूल के कक्षा 9वीं के छात्र फरहान शबीर ने कहा, 'वह एक जीवंत आत्मा थे. यह अविश्वसनीय है कि वह अब नहीं हैं.'
असद का गृहनगर अवंतीपोरा लेथपोरा से 10 किलोमीटर दूर है, जहां जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी ने आत्मघाती हमला किया था जिसमें 40 से अधिक सीआरपीएफ जवान शहीद हुए. यह हमला कश्मीर में सेनाओं पर हुए अब तक का सबसे घातक आतंकवादी हमला था. इस हमले के बाद से पुलिस ने जैश पर कार्रवाई शुरू कर दी. जिसमें जैश के कई शीर्ष कमांडों की मौत भी हो चुकी है. इसके अलावा पुलिस ने दो दर्जन से ज्यादा लोगों को पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया था. ताकि मालूम हो सके कि आतंकवादियों ने कैसे पुलवामा हमले को अंजाम दिया था?
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट में बताया, 'निर्दोष लोगों को पूछताछ के लिए घर से गिरफ्तार किया जा रहा है. सरकार के इस 'दमनकारी दृष्टिकोण' से युवा शिक्षित लोग कमजोर हो जाते हैं और मजबूर होकर हथियार उठाते हैं. कश्मीर का इस्तेमाल करना बंद करो. हमने काफी नुकसान उठाया है.'
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, 'मुझे लगा था कि हिरासत में मौतें हमारे अंधकारपूर्ण अतीत की बातें हैं. इसकी तय समय में पूरी पारदर्शिता से जांच होनी चाहिए. इस युवक के हत्यारे को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए.'
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Tags: Central government, Jammu and kashmir, NIA, Police, Pulwama attack
FIRST PUBLISHED : March 19, 2019, 23:15 IST