नई दिल्ली. भारत और चीन (India and China) के बीच जारी तनाव को सुलझाने के लिए भारत और चीन की सेना की कोर कमांडर स्तर (Core Commander Level) की बातचीत शुक्रवार को चुशुल में होने जा रही है. दोनों देशों के बीच कोर कमांडर लेवल की यह आठवीं बैठक है. खास बात है कि पहली बैठक के अलावा अब तक कोई बातचीत सफल नहीं हुई हैं. हालांकि जानकारों की मानें तो इस बैठक से भी ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं. इसकी भी पहले की बैठकों की तरह ही बेनतीजा रहने की संभावना ज्यादा है.
बैठक में इस बार भी विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे. भारत की तरफ से 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन (PGK Menon) की ये पहली बैठक होगी. वैसे इससे पहले भी लेफ्टिनेंट जनरल मेनन बैठकों का हिस्सा रहे हैं.
सर्दियों के लिहाज से भी जरूरी है चर्चा
शुक्रवार की सुबह होने जा रही यह बैठक सर्दियों के लिहाज से भी काफी जरूरी मानी जा रही है. यहां तापमान लगातार गिर रहा है और आने वाले एक हफ्ते में लद्दाख के सेना के जवानों से भरे इलाकों में बर्फबारी भी शुरू हो जाएगी. ऐसे में दोनों देशों की सेनाओं के लिए चुनौतियां बढ़ जाएंगी. सूत्रों की मानें तो चीन की तरफ से एक प्रपोजल भारतीय सेना (Indian Army) को दिया गया था, जिसमें ये कहा गया था की पैंगाग के फिंगर एरिया में चीन फिंगर 5 तक रहेगा और वो फिंगर 4 तक वह पेट्रोलिंग करेगा. वहीं भारत की सेना फिंगर 3 पर रहेगी और वह सिर्फ फिंगर 4 तक की पेट्रोलिंग करेगी.
इस लिहाज से देखा जाए त चीन इस प्रपोजल के मुताबिक फिंगर 4 को कब्जाए हुए अक्साई चिन का हिस्सा बनाना चाहता है. हालांकि, भारत का रुख पहले दिन से ही साफ है और हर बैठक में चीन को इसी बारे में बताया भी जाता है कि चीन को अपनी सेना को अप्रैल वाली स्थिति में ले जाना होगा.
भारतीय सेना की कार्रवाई से बैकफुट पर पहुंचा चीन
चीन 29 -30 अगस्त को पैंगाग के दक्षिण छोर पर भारतीय सेना के हाथों न सिर्फ पिटने बल्कि कई महत्वपूर्ण चोटियों पर भारत के कब्जे से अब बैकफुट पर है और कोर कमांडर की पिछली बैठक में भी साफ नजर आया था. चीन अब भी इसी बात पर अड़ा है कि जब तक भारतीय सेना पैंगोंग (Pangong) के दक्षिण इलाके से अपनी सेना को पूरी तरह से नहीं हटाता तब तक पैंगोंग के फिंगर इलाके में किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होगी.
बॉर्डर की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेंगे: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
गुरुवार को नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) के डायमंड जुबली स्थापना वर्ष के मौके पर आयोजित एक बेविनार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए. एलएसी पर विवाद खत्म करने के लिए आठवें दौर की बैठक से एक दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ किया कि देश को जितना बड़ा बलिदान भी देना पड़े, लेकिन अपनी सीमाओं की सुरक्षा और संप्रभुता से समझौता नहीं किया जाएगा.
रक्षा मंत्री ने दो टूक शब्दों में चीन का नाम लिए बगैर कहा, 'भारत एक शांतिप्रिय देश है और हमारा मानना है कि मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए. हम बातचीत के माध्यम से मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान को महत्व देते हैं. साथ ही हम अपनी सीमाओं पर शांति के लिए भारत द्वारा किए गए विभिन्न समझौतों और प्रोटोकॉल का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन भारत एकतरफा और आक्रामकता के सामने अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए दृढ़ है, चाहे फिर कैसा ही बलिदान ही क्यों ना देना पड़े.'undefined
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: China Army, Indian army, Indo-China Dispute, Rajnath Singh
FIRST PUBLISHED : November 05, 2020, 19:24 IST