प्रतीकात्मक फोटो
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मशहूर फार्मा कंपनी 'जॉनसन एंड जॉनसन' को घटिया हिप इंप्लांट के शिकार हुए मरीजों को हर हाल में मुआवजा देना होगा. केन्द्र सरकार ने मरीजों को मुआवाजा देने को लेकर एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी ने कहा था कि कंपनी को 3 लाख रुपये से लेकर 1.22 करोड़ रुपये तक का मुआवजा देना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही माना है. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी.
कंपनी ने देशभर में सैकड़ों हिप इंप्लान्ट सर्जरी करवाई, जिनमें गड़बड़ियां थीं और कंपनी ने इसका कोई रिकॉर्ड नहीं दिया. साथ ही ये भी रिपोर्ट है कि इस सर्जरी में गड़बड़ी की वजह से चार लोगों की मौत भी हो गई थी.
जानबूझकर सालों से कैंसर पैदा करने वाला पाउडर बेच रही है जॉनसन एंड जॉनसनः रिपोर्ट
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय की ओर से 'जॉनसन एंड जॉनसन' कंपनी की ओर से खराब हिप इंप्लांट डिवाइस बेचे जाने की शिकायतों की जांच करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी बैठाई गई थी. इस कमेटी की जांच में ही ये हैरान करने वाले तथ्य सामने आए थे. कमिटी का गठन 8 फरवरी, 2017 को किया गया था. कमिटी ने 19 फरवरी, 2018 को अपनी रिपोर्ट पेश दी थी.
इस रिपोर्ट में बताया गया कि कंपनी ने गड़बड़ हिप इंप्लान्ट रिप्लेसमेंट सिस्टम इंपोर्ट किए और बेचे थे. 3,600 लोगों की सर्जरी में इसका इस्तेमाल किया गया, जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिल रहा और इसी कारण उन्हें ट्रेस नहीं किया जा सका. ऊपर से कंपनी ने इस इंप्लांट सिस्टम और सर्जरी का कोई रिकॉर्ड सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन को उपलब्ध नहीं कराया.
जांच में कमेटी को पता चला कि कंपनी ने ASR XL Acetabular Hip System और ASR Hip Resurfacing System बाहर से इंपोर्ट किया था, जबकि इन दोनों डिवाइसों को वैश्विक स्तर पर वापस ले लिया गया था.
सर्जरी में इन डिवाइसों का इस्तेमाल किया गया जिसके चलते मरीजों को और समस्याएं हुईं, फिर उनकी रिवीजन सर्जरी की गई. मेटल ऑन मेटल इंप्लांट से खून में कोबाल्ट और क्रोमियम की बहुत ज्यादा मात्रा हो जाती है, जिससे ये मेटल आयन्स टिशूस और बॉडी ऑर्गन्स को नुकसान पहुंचाता है. इससे और भी कई स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती हैं. इससे दर्द भी बढ़ता और सक्रियता भी कम होती है.
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