गुलाम नबी आजाद ने 26 अगस्त को कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह में शामिल रहे तीन प्रमुख नेताओं आनंद शर्मा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पृथ्वीराज चव्हाण ने मंगलवार को गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की और उनके त्यागपत्र के कारणों एवं परिस्थितियों को लेकर चर्चा की. सूत्रों के अनुसार, आजाद के आवास पर ये तीनों नेता आज दोपहर पहुंचे और उनके साथ लंबी बैठक की. चव्हाण के मुताबिक, बैठक के दौरान आज़ाद ने दावा किया कि कांग्रेस के एक वर्ग द्वारा उनके खिलाफ ‘साज़िश’ रची जा रही थी और पार्टी में उनकी स्थिति अस्थिर हो गई थी. इसके साथ ही चव्हाण ने पार्टी चुनावों और गांधी परिवार के अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर रहने के फैसले का भी स्वागत किया. उन्होंने कहा कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए.
बैठक के बाद इन तीनों नेताओं में से एक नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘यह शिष्टाचार मुलाकात थी. निजी रूप से कई बातें होती हैं जिनके बारे में नहीं बताया जा सकता. इतना जरूर है कि हमने यह जानने का प्रयास किया कि किन कारणों और किन हालात में आजाद साहब को इतना बड़ा कदम उठना पड़ा.’ उन्होंने कहा, ‘हमें इस बात का दुख है कि किस तरह से आरोप-प्रत्यारोप हो रहा है. उम्मीद करता हूं कि अब एक-दूसरे पर कीचड़ उछालना बंद होना चाहिए. वरिष्ठ नेताओं का सम्मान होना चाहिए.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया से संतुष्ट हैं तो उन्होंने कहा, ‘हमारी मांग थी कि चुनाव हो. दो साल का विलंब हुआ, लेकिन अब चुनाव हो रहा है. हमें सोनिया जी पर भरोसा है. हम लोग तो यही चाहते थे कि कोई भी अध्यक्ष बने, लेकिन चुनाव के जरिये बनना चाहिए. अगर राहुल गांधी जी भी चुनाव के जरिये अध्यक्ष बनते हैं तो अच्छा है.’
आजाद के इस्तीफा देने के बाद चारों नेताओं ने एक साथ पहली बार बैठक की है. गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और 21 अन्य कांग्रेस नेताओं ने अगस्त, 2020 में बैठक कर सोनिया गांधी को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने पार्टी को फिर से मज़बूत करने के लिये कई मांग की थी जिनमें संगठन के चुनाव कराने और सक्रिय नेतृत्व की मांग प्रमुख थीं. उनके इस पत्र को कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती के रूप में देखा गया.
इस समूह के कई नेता जैसे आजाद, कपिल सिब्बल, जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़ चुके हैं तथा वीरप्पा मोइली जैसे कुछ नेताओं ने इस समूह से खुद को अलग कर लिया है. आजाद ने गत शुक्रवार को पार्टी से नाता तोड़ लिया था. सोमवार को उन्होंने अपने पुराने दल और उसके नेतृत्व पर तीखा प्रहार करते हुए कहा था कि ‘बीमार’ कांग्रेस को दुआ की नहीं, दवा की जरूरत है, लेकिन उसका इलाज ‘कम्पाउंडर’ कर रहे हैं.
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