नई दिल्ली: उदयपुर में चल रहे कांग्रेस के चिंतन शिविर (Congress Chintan Shivir) में पार्टी के नाराज नेताओं की एक प्रमुख मांग को स्वीकार कर लिया गया है. इन असंतुष्ट नेताओं ने कांग्रेस संसदीय बोर्ड के गठन की मांग की थी जिसे पार्टी ने सुझाव के रूप में स्वीकार कर लिया है. अब इस मुद्दे पर कांग्रेस कार्यसमिति की मंजूरी की जरूरत है, जो पार्टी में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है.
कांग्रेस संसदीय समिति अब कांग्रेस इलेक्शन कमेटी का स्थान लेगी जो कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी के उम्मीदवार तय करेगी.
एनडीटीवी में छपी रिपोर्ट के अनुसार, गांधी परिवार करीबी ने सूत्रों से कहा कि, हम कांग्रेस संसदीय बोर्ड के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने के पक्ष में हैं और पार्टी में इस मामले को लेकर खींचतान चल रही है. इस नए पद के लिए चुनाव होंगे या नियमित सदस्यों द्वारा इसका गठन किया जाएगा या पार्टी अध्यक्ष द्वारा नामांकन शीर्ष कांग्रेस निकाय पर छोड़ दिया जाएगा.
पार्टी के वरिष्ट नेता कपिल सिब्बल को छोड़कर चिंतन शिविर में भाग लेने वाले सभी असंतुष्ट नेता एक साथ रहे और सम्मेलन में एकजुट रहे. सूत्रों ने बताया कि एक बार आम सहमति बनने के बाद वे बयान दे सकते हैं.
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सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी संगठन में हर स्तर पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्गों और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व 50 प्रतिशित सुनिश्चित करने की योजना तैयार की है.
पार्टी नेता राजू ने बताया कि यह प्रस्ताव भी आया है कि कांग्रेस के अध्यक्ष के अंतर्गत एक सामाजिक न्याय सलाहाकर समिति बनाई जाए. यह समिति सुझाव देगी कि क्या कदम उठाने चाहिए कि इन तबकों का विश्वास जीता जा सके.
वहीं कांग्रेस में नेतृत्व के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बनी है और राहुल गांधी की ओर से इस साल के अंत में होने वाले पार्टी के अध्यक्ष पद को लेकर होने वाला चुनाव लड़ेंगे यह भी स्पष्ट नहीं है. हालांकि राहुल के करीबी सूत्रों ने संकेत दिया है कि उन्हें अभी भी लगता है कि एक गैर-गांधी को पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए.
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