राज्यसभा की सदस्यता पर उठे सवाल तो आनंद शर्मा बोले- सदस्यों का विश्वास मत कम करिए

राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा PTI
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने हाईकमान पर सवाल उठाए जिसके बाद उनकी राज्यसभा सदस्यता पर ही सवाल उठा दिए गए. अब आनंद शर्मा ने NEWS18.COM से इस विषय पर बात की है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 26, 2020, 10:43 AM IST
पल्लवी घोष
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने पार्टी की मौजूदा हालत पर जो कहा है वह लगभग एक ही जैसा ही है. कांग्रेस के अन्य नेता इन तीनों की टिप्पणियों पर दे रही प्रतिक्रिया के दौरान इनकी राज्यसभा की सदस्यता पर भी निशाना साध रहे हैं. हाल ही में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि पार्टी के नेता फाइव स्टार होटल से बैठक चुनाव जीतना चाहते हैं.
उनकी इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस नेताओं ने कहा, 'जो लोग राज्यसभा के सदस्य हैं वह कांग्रेस के फाइव स्टार कल्चर वाला होने का दावा कैसे कर सकते हैं? वे कैसे कह सकते हैं कि पार्टी को ड्राइंग बोर्ड में वापस जाने की जरूरत है जब वे खुद राज्यसभा सदस्य के रूप में आराम की जिंदगी जी रहे हैं.'इस प्रतिक्रिया ने अब नेताओं को परेशान कर दिया है उनका कहना है उन्होंने चुनाव लड़े और सफल रहे हैं. कांग्रेस ने उन्हें उच्च सदन में भेजने का फैसला किया. इन प्रतिक्रियाओं पर सबसे मुखर आनंद शर्मा रहे हैं. शर्मा ने अब News18.com पर भी अपनी चुप्पी तोड़ी है.
कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो राज्यों का विषय- आनंद
News18.com से शर्मा ने कहा 'दो सदन वाली संसद की जरूरत हमारे नीति नियंताओं को महसूस हुई. लोगों को वह पढ़ना चाहिए जो नेहरू (प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू), डॉक्टर अंबेडकर और गोपालस्वामी (अयंगर) को पढ़ना चाहिए जिन्होंने संविधान सभा में कहा था कि भारत एक संघ और राज्यसभा सांसद राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं. हर सांसद चुना हुआ सदस्य होता है. कोई भी पूर्व पीएम या मंत्री नामित नहीं हुआ था. सभी पूर्व पीएम राज्यसभा से संसद गए. राज्यसभा संसद का पहला सदन है क्योंकि हम राज्यों का संघ है. कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो राज्यों का विषय है. जरूरी विधेयक पहले राज्यसभा में लाए जाते हैं. जैसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का विधेयक पहले राज्य सभा में लाया गया था.'
कांग्रेस नेता ने याद दिलाया कि आजादी के बाद से सबसे कई सीनियर लीडर हमेशा से राज्यसभा के सदस्य रहे हैं. शर्मा ने कहा, 'शालीनता और औचित्य पर चर्चा होनी चाहिए. लोगों को हमारे गणतंत्र के संविधान के इतिहास की समझ और चेतना होनी चाहिए. हाल के दिनों में हमारे पास लगातार दो कार्यकालों के लिए पीएम रहे हैं, डॉ. मनमोहन सिंह राज्यसभा के सदस्य थे. वह अभी भी राज्यसभा में हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए पहले वित्त मंत्री के रूप में उनका सम्मान होता है. कई अन्य पूर्व पीएम कई बार इस सदन के सदस्य रहे हैं- जिनमें (अटल बिहारी) वाजपेयी और इंदिरा गांधीजी शामिल हैं.'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नेताओं को राज्यसभा सीटें दिए जाने पर यह कोई राजनीतिक पक्ष नहीं है. शर्मा ने कहा- '"यह राजनीतिक दलों को तय करना है कि वे कौन लोग हैं जो योग्य हैं और उच्च सदन में उनका प्रतिनिधित्व करने में सक्षम हैं. दोनों सदनों की अपनी-अपनी भूमिकाएं हैं. यदि यह राज्यसभा का सदस्य बनने में कमी आएगी तो भारतीय लोकतंत्र पटरी से उतर जाएगा क्योंकि आरएस को अनधिकृत नहीं छोड़ा जा सकता. लोगों को योग्यता के आधार पर और संसद में उनके योगदान के आधार पर चुना जाना चाहिए. सस्ती लोकप्रियता के लिए राज्यसभा की गरिमा पर हमला नहीं किया जाना चाहिए और निर्वाचित सदस्यों के प्रति विश्वास कम ना किया जाए.'
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने पार्टी की मौजूदा हालत पर जो कहा है वह लगभग एक ही जैसा ही है. कांग्रेस के अन्य नेता इन तीनों की टिप्पणियों पर दे रही प्रतिक्रिया के दौरान इनकी राज्यसभा की सदस्यता पर भी निशाना साध रहे हैं. हाल ही में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि पार्टी के नेता फाइव स्टार होटल से बैठक चुनाव जीतना चाहते हैं.
उनकी इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस नेताओं ने कहा, 'जो लोग राज्यसभा के सदस्य हैं वह कांग्रेस के फाइव स्टार कल्चर वाला होने का दावा कैसे कर सकते हैं? वे कैसे कह सकते हैं कि पार्टी को ड्राइंग बोर्ड में वापस जाने की जरूरत है जब वे खुद राज्यसभा सदस्य के रूप में आराम की जिंदगी जी रहे हैं.'इस प्रतिक्रिया ने अब नेताओं को परेशान कर दिया है उनका कहना है उन्होंने चुनाव लड़े और सफल रहे हैं. कांग्रेस ने उन्हें उच्च सदन में भेजने का फैसला किया. इन प्रतिक्रियाओं पर सबसे मुखर आनंद शर्मा रहे हैं. शर्मा ने अब News18.com पर भी अपनी चुप्पी तोड़ी है.
कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो राज्यों का विषय- आनंद
News18.com से शर्मा ने कहा 'दो सदन वाली संसद की जरूरत हमारे नीति नियंताओं को महसूस हुई. लोगों को वह पढ़ना चाहिए जो नेहरू (प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू), डॉक्टर अंबेडकर और गोपालस्वामी (अयंगर) को पढ़ना चाहिए जिन्होंने संविधान सभा में कहा था कि भारत एक संघ और राज्यसभा सांसद राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं. हर सांसद चुना हुआ सदस्य होता है. कोई भी पूर्व पीएम या मंत्री नामित नहीं हुआ था. सभी पूर्व पीएम राज्यसभा से संसद गए. राज्यसभा संसद का पहला सदन है क्योंकि हम राज्यों का संघ है. कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो राज्यों का विषय है. जरूरी विधेयक पहले राज्यसभा में लाए जाते हैं. जैसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का विधेयक पहले राज्य सभा में लाया गया था.'
कांग्रेस नेता ने याद दिलाया कि आजादी के बाद से सबसे कई सीनियर लीडर हमेशा से राज्यसभा के सदस्य रहे हैं. शर्मा ने कहा, 'शालीनता और औचित्य पर चर्चा होनी चाहिए. लोगों को हमारे गणतंत्र के संविधान के इतिहास की समझ और चेतना होनी चाहिए. हाल के दिनों में हमारे पास लगातार दो कार्यकालों के लिए पीएम रहे हैं, डॉ. मनमोहन सिंह राज्यसभा के सदस्य थे. वह अभी भी राज्यसभा में हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए पहले वित्त मंत्री के रूप में उनका सम्मान होता है. कई अन्य पूर्व पीएम कई बार इस सदन के सदस्य रहे हैं- जिनमें (अटल बिहारी) वाजपेयी और इंदिरा गांधीजी शामिल हैं.'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नेताओं को राज्यसभा सीटें दिए जाने पर यह कोई राजनीतिक पक्ष नहीं है. शर्मा ने कहा- '"यह राजनीतिक दलों को तय करना है कि वे कौन लोग हैं जो योग्य हैं और उच्च सदन में उनका प्रतिनिधित्व करने में सक्षम हैं. दोनों सदनों की अपनी-अपनी भूमिकाएं हैं. यदि यह राज्यसभा का सदस्य बनने में कमी आएगी तो भारतीय लोकतंत्र पटरी से उतर जाएगा क्योंकि आरएस को अनधिकृत नहीं छोड़ा जा सकता. लोगों को योग्यता के आधार पर और संसद में उनके योगदान के आधार पर चुना जाना चाहिए. सस्ती लोकप्रियता के लिए राज्यसभा की गरिमा पर हमला नहीं किया जाना चाहिए और निर्वाचित सदस्यों के प्रति विश्वास कम ना किया जाए.'