Coronavirus Vaccine: देश भर में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने के लिए डेयरियों से ली जा सकती है सीख

भारत में भी बन रही है वैक्सीन
Coronavirus Vaccine: एक्सपर्ट्स की मानें कोरोना वैक्सीन के स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन में देश के डेयरी उद्योग से सीख लेने की जरूरत है, जहां बेहद कम तामपान में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन का काम किया जाता है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 26, 2020, 12:16 AM IST
नई दिल्ली. दुनिया भर में इन दिनों हर किसी की निगाहें कोरोना के वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) पर टिकी है. उम्मीद की जा रही है कि इस साल दिसंबर में अमेरीका में आम लोगों को वैक्सीन देने की शुरुआत हो जाएगी, जबकि भारत में भी अगले साल फरवरी तक कोरोना की वैक्सीन आने की उम्मीद है. हालांकि वैक्सीन आने के बाद उसके डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर कई तरह की चुनौतियां हैं. वैज्ञानिकों के मुकाबिक वैक्सीन को बेहद कम तापमान पर रखने की जरूरत पड़ेगी. उदाहरण के लिए अमेरिकी में फाइज़र कंपनी ने कोरोना की जिस वैक्सीन को तैयार किया है, उसे माइनस 70 डिग्री सेल्सियस पर रखने की जरूरत पड़ेगी, यानी उसे रखने के लिए अंटार्टिका से भी ज्यादा ठंडा मौसम चाहिए. लिहाजा भारत सरकार ने इसे पहले ही खारिज कर दिया है. लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें तो इसमें देश को डेयरी उद्योग से सीख लेने की जरूरत है, जहां बेहद कम तामपान में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन का काम किया जाता है.
डेयरी उद्योग में कैसे होता है कोल्ड चेन मेनटेन?
आंकड़ों के मुताबिक देशभर की डेयरियों में हर साल करीब 8 करोड़ आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन की जाती है. इसके लिए देश के 56 बुल स्टेशन पर बेहद आधुनिक तरीके से काम किया जाता है. इन स्टेशन पर अच्छे किस्म के भैसों के सीमेन को जमा किया जाता है. इसे शीशे या फिर स्ट्रॉ में रखा जाता है, लेकिन खास बात ये है कि इसे सुरक्षित रखने के लिए माइनस 196 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत पड़ती है. इसके लिए लिक्विड नाइट्रोजन की जरूरत पड़ती है. सीमेन को इस तापममान पर रखने के बाद ही देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे भेजा जाता है.
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बारीकी से होता है हर काम
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित प्रभात डेयरी के सीईओ के हवाले से बताया कि उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है सीमेन के कोल्ड चेन को मेनटेन करना. यहां ये सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी हालत में तापमान माइनस 196 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहे. रूम टेंपरेचर पर सिर्फ 15 मिनट के अदंर ही सीमेन खराब हो जाते हैं. प्रभात डेयरी में हर साल करीब एक लाख आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन किया जाता है.
डेयरी उद्योग में कैसे होता है कोल्ड चेन मेनटेन?
आंकड़ों के मुताबिक देशभर की डेयरियों में हर साल करीब 8 करोड़ आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन की जाती है. इसके लिए देश के 56 बुल स्टेशन पर बेहद आधुनिक तरीके से काम किया जाता है. इन स्टेशन पर अच्छे किस्म के भैसों के सीमेन को जमा किया जाता है. इसे शीशे या फिर स्ट्रॉ में रखा जाता है, लेकिन खास बात ये है कि इसे सुरक्षित रखने के लिए माइनस 196 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत पड़ती है. इसके लिए लिक्विड नाइट्रोजन की जरूरत पड़ती है. सीमेन को इस तापममान पर रखने के बाद ही देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे भेजा जाता है.
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बारीकी से होता है हर काम
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित प्रभात डेयरी के सीईओ के हवाले से बताया कि उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है सीमेन के कोल्ड चेन को मेनटेन करना. यहां ये सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी हालत में तापमान माइनस 196 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहे. रूम टेंपरेचर पर सिर्फ 15 मिनट के अदंर ही सीमेन खराब हो जाते हैं. प्रभात डेयरी में हर साल करीब एक लाख आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन किया जाता है.