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'जीना इसी का नाम है', मिलिए एक ऐसे मुस्लिम परिवार से जिसके 102 सदस्य करते हैं गरीबों की मदद

‘जज्बा हाशिम अब्दुल ट्रस्ट’ के माध्यम से करते हैं जरूरतमंदों की मदद(फोटो आभार facebook@Jazba - Humanity First)

‘जज्बा हाशिम अब्दुल ट्रस्ट’ के माध्यम से करते हैं जरूरतमंदों की मदद(फोटो आभार facebook@Jazba - Humanity First)

‘जज्बा हाशिम अब्दुल ट्रस्ट’ (Zazba Hashim Abdullah Trust) अपनी स्थापना के समय से ही नि:शुल्क चिकित्सा शिविरों का आयोजन ...अधिक पढ़ें

पुरानी कहावत है, ‘परोपकार घर से आरंभ होती है’, जिसका अर्थ है कि पहले अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करें, उसके बाद पुण्य के लिए बाहर वालों की मदद करे. इस बात का कोई मतलब नहीं बनता है कि आप बाहरियों की मदद करते फिरें, जबकि आपके अपने घर में ही ऐसे लोग हैं, जिन्हें मदद की आवश्यकता है. इसी कहवात को चरितार्थ करते हैं ओडिशा के कटक शहर (Cuttak, Odisha) में रहने वाले सफदर हाशिम और उनका परिवार (Safdar Hashim And His Family). परिवार की जरूरत पूरी होने के बाद अब दूसरों की मदद करने का काम कर रहे हैं.

सफदर हाशिम के परिवार में 102 से अधिक सदस्य हैं, जो कि पूरे ओडिशा राज्य में फैले हुए हैं. साल 2018 में 67 साल के सफदर ने ‘जज्बा हाशिम अब्दुल ट्रस्ट’ (Zazba Hashim Abdullah Trust) की स्थापना की थी.  इस ट्रस्ट से उनके परिवार के सभी सदस्य जुड़े हुए हैं. यह सभी अपनी आय का एक हिस्सा जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए देते हैं. परिवार के सदस्य राज्य में ऐसे लोगों की पहचान करते हैं, जो गरीब हैं, बेसहारा है. फिर उनकी मदद करते हैं. इस काम में वे न तो कथित व्यक्ति की जाति देखते हैं और न धर्म.

किसानों की मदद

पिछले कई दिनों से यह परिवार निशिंचकोइली (Nishchintakoili) के डेयरी किसानों को अपने मवेशियों को खिलाने के लिए पुआल बांट रहे हैं. पिछले साल कटक में बेमौसम बारिश की वजह से फसल बर्बाद हो गई थी, जिसका असर स्थानीय किसानों पर हुआ था. ऐसे ही एक डेयरी किसान रेमेश बेहरा हैं, जिन्हें ‘जज्बा हाशिम अब्दुल ट्रस्ट’ की तरफ से मदद मिली है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक रमेश समेत करीब 40 किसानों को ट्रस्ट की तरफ से मुफ्त में पुआल और उचित दरों पर भूसा भी उपलब्ध कराया जा रहा है.

स्कूली बच्चों की मदद

इतना ही नहीं ‘जज्बा हाशिम अब्दुल ट्रस्ट’ गरीब छात्रों को स्कूल बैग, स्टेशनरी और कपड़े भी उपलब्ध कराने का काम कर रही है. अबतक ढ़ाई हजार स्कूल बैग जरूरतमंद छात्रों को मुहैया कराया जा चुका है.

ऐसे हुई शुरुआत

सफदर के मुताबिक, उनके पिता यूसुफ कटक के विधायक थे. वे 10 भाई-बहन थे. इस तरह वंश विस्तार होते-होते अब परिवार में कुल सदस्यों की संख्या 102 तक हो गई है. उनका कहना है कि उनके परिवार के सभी सदस्य संपन्न है कोई व्यवसायी है, तो कोई डॉक्टर या इंजीनियर है और सभी सदस्य अपनी आय का 2.5 फीसदी हिस्सा परोपकार के कार्यों के लिए ट्रस्ट में देते हैं. जरूरत पड़ने पर इससे अधिक भी मदद करते हैं.

पूरे राज्य में हैं स्वयंसेवक

परिवार के सदस्यों के अलावा ‘जज्बा हाशिम अब्दुल ट्रस्ट’ में पूरे राज्य में 3 हजार स्वयंसेवक भी हैं. सफदर ने बताया कि नकद और वस्तु के तौर पर विभिन्न परोपकारी कार्यों के लिए ट्रस्ट का वार्षिक लेनदेन तकरीबन 25 लाख रुपये है. महामारी के दौरान ट्रस्ट ने बढ़-चढ़कर लोगों की मदद की.

Tags: Inspiring story, Odisha

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