DDC Election 2020: जम्मू-कश्मीर के डीडीसी चुनाव के ये हैं पांच मायने, विधानसभा चुनाव में दिखेगी बड़ी तस्वीर!

DDC Election में बीजेपी ने मारी बाजी
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के जिला विकास परिषद (DDC) चुनाव विधायक या सांसद के लिए नहीं थे लेकिन इनके काफी महत्व थे. इन चुनाव परिणामों के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. उनमें से कुछ पर हम आपसे यहां चर्चा कर रहे हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: December 23, 2020, 4:58 PM IST
श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में जिला विकास परिषद (DDC Election 2020) के पहले चुनाव ने यह साबित कर दिया कि देश में लोकतंत्र से बढ़कर कुछ नहीं है. इस चुनाव में बतौर गठबंधन गुपकर (Gupkar Alliance) जहां नंबर 1 रहा तो वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने दम पर सबसे बड़ा दल बन कर उभरी. बीते साल अनुच्छेद 370 के कई प्रावधान रद्द करने और आर्टिकल 35ए खत्म करने के बाद यह राज्य में पहले चुनाव थे.
केन्द्र शासित प्रदेश में डीडीसी का चुनाव 28 नवंबर से शुरू होकर आठ चरणों में पूरा हुआ. अगस्त, 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद प्रदेश में यह पहला चुनाव है. चुनाव में कुल 280 सीटें (जम्मू की 140 और कश्मीर की 140) पर मतदान हुआ है.
ये चुनाव विधायक या सांसद के लिए नहीं थे लेकिन इनके काफी महत्व थे. इन चुनाव परिणामों के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. उनमें से कुछ पर हम आपसे यहां चर्चा कर रहे हैं.
लोकतंत्र के लिए लोगों में आस्थाआर्टिकल 35 ए और अनुच्छेद 370 के दौरान और हटाए जाने के बाद कई राजनीतिक दल कहने लगे थे कि यहां कोई भारत का इंडा उठाने वाला नहीं बचेगा. कुछ ने तो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से ही दूरी का मन बना लिया था लेकिन जिस तरह से लोगों ने वोट कर के लोकतांत्रिक मूल्यों पर भरोसा जताया है, उससे यह स्पष्ट होता है कि लोगों के भीतर लोकतंत्र के लिए गहरी आस्था है और राजनीतिक बयानबाजियां लोगों को इससे पथभ्रष्ट नहीं कर सकतीं.
भाजपा के लिए सुखद रहे परिणाम
बीजेपी के लिए यह परिणाम अपेक्षाकृत सुखद रहे है. घाटी में भी बीजेपी ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की. पार्टी ने श्रीनगर, पुलवामा और बांदीपोरा में तीन सीटें हासिल की हैं. ये बीजेपी के लिए बड़े बदलाव का संकेत हैं. जम्मू में भी बीजेपी 10 में से 6 जिलों में बहुमत पा चुकी है.
गुपकर हैं नंबर एक
इस चुनाव में बीजेपी और सीधी लड़ाई 7 दलों के गठबंधन गुपकर से थी. गुपकर अलायंस में नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कांफ्रेंस, सीपीआई-सीपीआईएम, आवामी नेशनल कांफ्रेंस और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट शामिल थी. DDC चुनाव में गुपकर अलायंस को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं ऐसे में यह स्पष्ट है कि राज्य की राजनीति से अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार के दबदबे को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है.
निदर्लीयों के आगे सब फेल!
इस चुनाव में निर्दलीय तीसरी सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरे हैं. बीजेपी का दावा है कि सभी निर्दलीय बीजेपी के साथ हैं जिस पर नेशनल कॉंफ्रेंस ने कहा कि ऐसा कह कर बीजेपी नेताओं की खरीद फरोख्त करना चाह रही है. निर्दलीयों में उन नेताओं की संख्या अधिक है जो अलग-अलग दलों के बागी हैं और उन्हें DDC चुनाव में टिकट नहीं मिले थे.

कंडीडेट बड़ा या पार्टी?
DDC इलेक्शन्स के बारे में कहा जा रहा है कि मतदाताओं ने किसी दल को नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर उतारे गए नेताओं के चेहरे पर वोट किया. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लोगों ने स्थानीय मुद्दों और स्थानीय चेहरे पर वोट किया ना कि पार्टी या किसी गठबंधन को. उनका मानना है कि राज्य के सियासत की पूरी तस्वीर आगामी विधानसभा चुनाव में साफ हो जाएगी.
केन्द्र शासित प्रदेश में डीडीसी का चुनाव 28 नवंबर से शुरू होकर आठ चरणों में पूरा हुआ. अगस्त, 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद प्रदेश में यह पहला चुनाव है. चुनाव में कुल 280 सीटें (जम्मू की 140 और कश्मीर की 140) पर मतदान हुआ है.
ये चुनाव विधायक या सांसद के लिए नहीं थे लेकिन इनके काफी महत्व थे. इन चुनाव परिणामों के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. उनमें से कुछ पर हम आपसे यहां चर्चा कर रहे हैं.
लोकतंत्र के लिए लोगों में आस्थाआर्टिकल 35 ए और अनुच्छेद 370 के दौरान और हटाए जाने के बाद कई राजनीतिक दल कहने लगे थे कि यहां कोई भारत का इंडा उठाने वाला नहीं बचेगा. कुछ ने तो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से ही दूरी का मन बना लिया था लेकिन जिस तरह से लोगों ने वोट कर के लोकतांत्रिक मूल्यों पर भरोसा जताया है, उससे यह स्पष्ट होता है कि लोगों के भीतर लोकतंत्र के लिए गहरी आस्था है और राजनीतिक बयानबाजियां लोगों को इससे पथभ्रष्ट नहीं कर सकतीं.
भाजपा के लिए सुखद रहे परिणाम
बीजेपी के लिए यह परिणाम अपेक्षाकृत सुखद रहे है. घाटी में भी बीजेपी ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की. पार्टी ने श्रीनगर, पुलवामा और बांदीपोरा में तीन सीटें हासिल की हैं. ये बीजेपी के लिए बड़े बदलाव का संकेत हैं. जम्मू में भी बीजेपी 10 में से 6 जिलों में बहुमत पा चुकी है.
गुपकर हैं नंबर एक
इस चुनाव में बीजेपी और सीधी लड़ाई 7 दलों के गठबंधन गुपकर से थी. गुपकर अलायंस में नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कांफ्रेंस, सीपीआई-सीपीआईएम, आवामी नेशनल कांफ्रेंस और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट शामिल थी. DDC चुनाव में गुपकर अलायंस को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं ऐसे में यह स्पष्ट है कि राज्य की राजनीति से अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार के दबदबे को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है.
निदर्लीयों के आगे सब फेल!
इस चुनाव में निर्दलीय तीसरी सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरे हैं. बीजेपी का दावा है कि सभी निर्दलीय बीजेपी के साथ हैं जिस पर नेशनल कॉंफ्रेंस ने कहा कि ऐसा कह कर बीजेपी नेताओं की खरीद फरोख्त करना चाह रही है. निर्दलीयों में उन नेताओं की संख्या अधिक है जो अलग-अलग दलों के बागी हैं और उन्हें DDC चुनाव में टिकट नहीं मिले थे.
कंडीडेट बड़ा या पार्टी?
DDC इलेक्शन्स के बारे में कहा जा रहा है कि मतदाताओं ने किसी दल को नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर उतारे गए नेताओं के चेहरे पर वोट किया. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लोगों ने स्थानीय मुद्दों और स्थानीय चेहरे पर वोट किया ना कि पार्टी या किसी गठबंधन को. उनका मानना है कि राज्य के सियासत की पूरी तस्वीर आगामी विधानसभा चुनाव में साफ हो जाएगी.