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Decoding Long Covid: कोरोना से ठीक होने के बाद बढ़ जाता है डायबिटीज और थायरॉयड का खतरा

कई रोगियों को रिकवरी फेज के दौरान ऑटोइम्यून से जुड़े दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है. (सांकेतिक तस्वीर)

कई रोगियों को रिकवरी फेज के दौरान ऑटोइम्यून से जुड़े दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है. (सांकेतिक तस्वीर)

Decoding Long Covid: कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टर इन्हें 'लॉन्ग क ...अधिक पढ़ें

    (सिमांतनी डे)

    नई दिल्ली. कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर का असर अब धीरे-धीरे कम होने लगा है. पिछले महीने हर रोज़ करीब 4 लाख नए केस सामने आ रहे थे. लेकिन अब इन दिनों हर दिन संक्रमितों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है. हालांकि चिंता की बात ये है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसी परेशानियों को डॉक्टर ‘लॉन्ग कोविड’ (Decoding Long Covid) का नाम दे रहे हैं. यानी वो बीमारियां जो कोरोना के बाद लोगों को लंबे समय तक परेशान करती हैं. न्यूज़ 18 ने मरीज़ों की इन्हीं परेशानियों को लेकर एक सीरीज़ की शुरुआत की है. इसके तहत कोरोना से होने वाली बीमारियों के बारे में डॉक्टरों की राय और उससे जुड़े समाधान के बारे में चर्चा की जाएगी.

    आज के कॉलम में, मुंबई के मुलुंड स्थित फोर्टिस अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉक्टर श्वेता बुदयाल बता रही हैं कि क्यों कोरोना से ठीक होने वाले रोगियों को मधुमेह, वायरल थायरॉयडिटिस और ऑटोइम्यून बीमारियों का खतर बना रहता है? न्यूज़ 18 से खास बातचीत करते हुए डॉक्टर श्वेता ने बताया कि अब हर कोई जानता है कि डायबिटीज के मरीज़ों में कोरोना का खतरा बढ़ जाता है. ‘लॉन्ग कोविड’ के तहत ऐसे में मरीज़ों के लिए डायबिटीज पर कंट्रोल करना मुश्किल चुनौती होती है.

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    कोरोना के बाद डायबिटीज
    डॉक्टर श्वेता ने कहा, ‘इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि जिन रोगियों को कभी मधुमेह नहीं हुआ है, या उनमें बीमारी से जुड़े जोखिम नहीं हैं, वे भी कोरोना के बाद डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं. इतना ही नहीं कई लोगों में शुगर का स्तर भी काफी ज्यादा बढ़ जाता है. ऐसा आमतौर पर स्टेरॉयड के लंबे समय तक इस्तेमाल के बाद होता है.’

    थायराइड हार्मोन बढ़ने का खतरा
    कोराना के मरीजों में मधुमेह के अलावा यूथायरॉयड के भी लक्षण दिखते हैं. इस बीमारी के दौरान थायरॉयड हार्मोन का स्तर काफी बढ़ जाता है. डॉक्टर ने बताया, ‘ये देखा गया है कि रिकवरी फेज के दौरान भी, थायरॉयड से संबंधित कई समस्याएं सामने आती हैं. कुछ रोगियों को सबस्यूट थायरॉयडिटिस या वायरल थायरॉयडिटिस का अनुभव होता है. इस दौरान बुखार, गले या गर्दन में दर्द जैसा अनुभव होता है. ऐसी स्थितियां आठ से बारह सप्ताह तक रह सकती हैं और ऐसे हालात में इलाज़ की जरूरत पड़ सकती है.’

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    खतरे की घंटी
    कई रोगियों को रिकवरी फेज के दौरान ऑटोइम्यून से जुड़ी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है. डॉक्टर ने कहा, ‘हमने बच्चों में कोविड के बाद टाइप 1 मधुमेह के बढ़ने की प्रवृत्ति देखी है. मैंने इंसुलिन ऑटोइम्यून हाइपोग्लाइसीमिया सिंड्रोम का एक दुर्लभ मामला भी देखा है.’ डॉक्टर ने ये भी कहा कि ऐसी भी खबरें हैं कि वायरस को अंडकोष से भी निकाला गया है. हालांकि इसके प्रभाव को लेकर अध्ययन किया जाना अभी बाकी है.

    ब्लड प्रेशर पर रखें नज़र
    जहां तक ​​मेटाबॉलिज्म का सवाल है, ज्यादातर कोविड मरीजों का वजन आमतौर पर कम होने लगता है, जो वे संक्रमण के बाद फिर से हासिल कर लेते हैं. डॉक्टर ने कहा, ‘कोविड खराब स्वास्थ्य का कारण बनता है जिसके लिए कुछ मामलों में ब्लड प्रेशर की दवा की खुराक में कमी की आवश्यकता हो सकती है.’ डॉक्टर ने आगे कहा कि लॉन्ग कोविड से निपटने के दौरान हर शारीरिक परिवर्तन पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है, और एक डॉक्टर के संपर्क में रहने की जरूरत है.

    Tags: Coronavirus, Covid-19 Crisis

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