(फाइल फोटो- एम जे अकबर)
दिल्ली की एक अदालत पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ एम जे अकबर के आपराधिक मानहानि मामले पर गुरूवार को सुनवाई करेगी. रमानी ने अकबर पर यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाये है. रमानी के खिलाफ अकबर के आपराधिक मानहानि मामले में यहां पटियाला हाउस अदालत में गुरूवार को सुनवाई होगी.
अकबर ने बुधवार को विदेश राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. लॉ फर्म करंजावाला एंड कंपनी के उनके वकील संदीप कपूर ने बताया कि अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल के समक्ष गुरुवार को निजी आपराधिक मानहानि मामले में सुनवाई होगी.
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वकील ने अकबर के संक्षिप्त इस्तीफा पत्र को भी आगे प्रेषित कर दिया है. अकबर ने अपने पत्र में कहा, "चूंकि मैंने निजी तौर पर कानून की अदालत में न्याय पाने का फैसला किया है, इसलिए मुझे यह उचित लगा कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूं."
पत्र में उन्होंने कहा है, "मैं, अपने खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को निजी तौर पर चुनौती दूंगा. अत: मैं विदेश राज्य मंत्री पद से त्यागपत्र देता हूं." उन्होंने कहा, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का बेहद आभारी हूं कि उन्होंने मुझे देश की सेवा करने का अवसर दिया."
कपूर ने बताया कि क्योंकि मामला विचाराधीन है इसलिए कानून अपना काम करेगा. उन्होंने कहा, "हम पहले ही मानहानि मामला दायर कर चुके हैं और हम इसे अब अदालत में देखेंगे."
अकबर ने सोमवार को रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था और आरोप लगाया था कि रमानी ने उनके खिलाफ 'जानबूझकर' और 'दुर्भावनापूर्ण' तरीके से उनकी छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से ये आरोप लगाये है.
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मानहानि के आरोपों का सामना करने के लिए अपनी तैयारी जाहिर करते हुए रमानी ने कहा था,‘‘मेरे खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर करके अकबर ने उनके खिलाफ लगाए कई महिलाओं के गंभीर आरोपों का जवाब देने के बजाय अपना रुख स्पष्ट कर दिया. वह डरा धमकाकर और प्रताड़ित करके उन्हें चुप कराना चाहते हैं.’’ अकबर की याचिका में रमानी द्वारा सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ लगाए गए मानहानिपूर्ण आरोपों का उल्लेख किया गया है और इसमें अकबर के पत्रकार के रूप में ‘‘लंबे और शानदार’’ करियर का जिक्र किया गया है.
इसमें कहा गया था कि ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी (रमानी) ने द्वेषपूर्ण तरीके से कई गंभीर आरोप लगाए हैं जिसे वह मीडिया में बेरहमी के साथ फैला रही है. यह भी स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता (अकबर) के खिलाफ झूठी बातें किसी एजेंडे को पूरा करने के लिए प्रायोजित तरीके से फैलाई जा रही हैं.
इसमें अकबर के खिलाफ रमानी के आरोपों को 'बदनाम करने वाला' बताया गया. इसमें कहा गया कि आरोपों की 'भाषा और सुर' पहली नजर में ही मानहानिपूर्ण हैं और इन्होंने न केवल उनके (अकबर) सामाजिक संबंधों में उनकी प्रतिष्ठा और साख को नुकसान पहुंचाया है बल्कि समाज, मित्रों और सहयोगियों के बीच अकबर की प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई है. आरोपों ने 'अपूरणीय क्षति' की है और 'अत्यंत दुखद' हैं.
इसमें दावा किया गया है कि महिला पत्रकार ने जिन घटनाओं के संबंध में ये आरोप लगाये हैं वे कथित रूप से 20 साल पहले की है और इन आरोपों का उद्देश्य उनकी (अकबर) छवि को धूमिल करना है.
भादंसं की धारा 500 में व्यवस्था है कि आरोपी को दोषी ठहराए जाने पर दो साल का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है.
अकबर का नाम सोशल मीडिया पर चलाये गये अभियान # मी टू में उस समय सामने आया था जब वह नाइजीरिया में थे.
अफ्रीका के दौरे से लौटने के कुछ घंटे बाद, अकबर ने कई महिलाओं द्वारा उन पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को ‘‘झूठा, फर्जी और बेहद दुखद’’ करार दिया था और कहा था कि वह उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे.
अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिलाओं में प्रिया रमानी, गजाला वहाब, शुमा राहा, अंजू भारती और शुतापा पॉल शामिल हैं.
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