रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनना चाहिए .
नई दिल्ली. अगस्त में लक्ष्य से चूकने के बाद चीन (China) ने एक के बाद एक कई हाइपरसोनिक मिसाइलों (Hypersonic Missile) को परीक्षण कर दुनियाभर के देशों की चिंता बढ़ा है. चीन की बढ़ती ताकत को देखते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने देश में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के विकास पर जोर दिया है. उन्होंने कहा देश में हाइपरसोनिक मिसाइलों का विकास तत्काल शुरू किया जाना चाहिए जिससे भारत के पास अपने दुश्मन देशों के खिलाफ न्यूनतम भरोसेमंद प्रतिरोधक क्षमता हो. रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (DRDO) के दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने कहा कि जिन देशों ने रक्षा क्षेत्र में नए प्रयोग किए हैं, उन्होंने अपने दुश्मनों का बेहतर मुकाबला किया है और इतिहास में छाप छोड़ी है. उन्होंने कहा कि हमें अपने देश को रक्षा क्षेत्र में और मजबूत करने की जरूरत है, जिससे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हमारे पास हर तरह की ताकत हो.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनना चाहिए और यह हमारा सबसे बड़ा प्रयास होना चाहिए. हम जिन तकनीकों को खुद बनाने में सक्षम हैं, वे अब हमारी हैं. साथ ही हमें उन तकनीकों का स्वदेशीकरण करना होगा जो आज कुछ चुनिंदा देशों के पास हैं. उदाहरण के लिए, बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली अधिक से अधिक मजबूत हो रही है. अपनी न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए हमें हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के विकास के बारे में शीघ्रता से सोचना होगा. यह हमारे रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव होगा और इसके लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा.
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रक्षा मंत्री ने कहा कि डीआरडीओ ने देश की रक्षा के लिए कई प्लेटफॉर्म लांच व डिजाइन किए हैं और इन्हें सेना को सौंपा गया है. इनसे देश का सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. राजनाथ सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे वक्त बदल रहा है, हमारी रक्षा जरूरतें भी उसी के अनुरूप बदल रही हैं. आज के युद्ध के मैदान में नया रक्षक आया है, जिसे ‘प्रौद्योगिकी’ कहा जाता है. जिस तरह से मैदान ए जंग में प्रौद्योगिकी की भूमिका बढ़ी है, वह अप्रत्याशित व चौंकाने वाली है. इस बदलाव को देखते हुए भारत की रक्षा प्रौद्योगिकियों को भविष्य की दृष्टि से विकसित करना होगा.
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क्या होती है हाइपरसोनिक मिसाइल
हाइपरसोनिक मिसाइल एक ऐसा व्हीकल होता है जो ध्वनि की गति से पांच गुना तेजी से कहीं भी वार कर सकता है. ध्वनि की गति को मैक में मापा जाता है. यह मिसाइल मैक-5 की गति को पार कर सकती है. अगर इसको किलोमीटर में बदलें तो इसकी स्पीड 6,115 किमी प्रति घंटे से अधिक होगी. वैसे चीन के इस परीक्षण से काफी पहले अमेरिका ने हाइपरसोनिक स्पीड हासिल कर ली थी. 1967 में अमेरिकी एयरफोर्स और नासा के पायलट विलियम जे नाइट ने मैक 6.72 यानी 4520 माइल प्रति घंटे की स्पीड से नॉर्थ अमेरिकन एक्स-15 को उड़ाया था. इसके बाद वर्ष 2004 में नासा के एक्स-43ए ने मैक 9.6 यानी 7,310 माइल प्रति घंटे की स्पीड हासिल की थी.
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हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने में कहां खड़ा है भारत
भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण रिश्ते को देखते हुए पड़ोसी देश द्वारा विकसित हाइपरसोनिक मिसाइल की बात चिंता पैदा करने वाली है. लेकिन इसको लेकर बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है. हमारे वैज्ञानिक भी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी हासिल कर चुके हैं. रक्षा शोध और विकास संगठन (डीआरडीओ) सफलतापूर्वक हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमोंस्ट्रेटर व्हीकल का परीक्षण कर चुके हैं. इस तकनीक से 20 सेकंड में मैक 6 की स्पीड से 32.5 किमी की ऊंचाई से उड़ान भरा जा सकता है.
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Tags: China, Defense Minister Rajnath Singh, DRDO, Hypersonic, Nuclear-capable hypersonic missile, Rajnath Singh
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