दिल्ली हाई कोर्ट ने सर्वाजनिक क्षेत्र की कई बीमा कंपनियों से यह पूछा है कि क्या एचआईवी अथवा एड्स पीड़ितों के लिए कोई बीमा पॉलिसी है? अदालत ने यह प्रश्न एक याचिका की सुनवाई के दौरान किया, जिसमें एचआईवी संक्रमित और एड्स पीड़ितों को जीवन एंव स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में सभी लाभों के साथ शामिल किए जाने की मांग की गई है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सीहरि शंकर की पीठ ने पीएसयू बीमा कंपनियों को तत्काल कदम उठाने और बीमा नियामक एंव विकास प्राधिकार (आईआरडीए) के दिशानिर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए हैं.
पीठ ने कहा कि एचआईवी और एड्स से पीड़ित लोगों को बीमा सेवा मुहैया कराने के मामले में अपने ( बीमा कंपनियां) रूख से इस अदालत को अवगत करायें. साथ ही पीठ ने उन्हें एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को अगले वर्ष 22 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया.
केन्द्र सरकार के वकील ने एचआईवी एंड एड्स अधिनियम की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित किया जो कि लोगों के बीच समानता की अनिवार्यता और एचआईवी अथवा एड्स पीड़ितों के बीच किसी भी तरह के भेदभाव को वर्जित करती है.
सुनवाई के दौरान राज्य की बीमा कंपनियों के वकील ने कहा कि मामला विचाराधीन हैऔर उन्हें कुछ वक्त चाहिए लेकिन वह आईआरडीए के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए तैयार हैं.
इससे पहले अदालत ने याचिका पर स्वास्थ्य मंत्रालय, सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों और आईआरडीए को नोटिस भेज कर जवाब मांगा था. याचिका में एचआईवी और एड्स पीड़ितों के साथ भेदभाव का भी आरोप लगाया गया है. अदालत ने इस मामले को मिलते जुलते अन्य लंबित मामलों जिनमें जन्मजात कमियों अथवा जन्म के समय विकारों से ग्रस्त बच्चों के लिए कोई बीमा सुविधा नहीं होने की शिकायत की गई है, के साथ संलग्न कर दिया है.
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Tags: Aids, HIV
FIRST PUBLISHED : October 31, 2017, 23:59 IST