नई दिल्ली. ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार (Naveen Patnaik Govt) द्वारा आगामी पंचायत चुनावों में ओबीसी उम्मीदवारों (Reservation for OBC Candidates) को प्राथमिकता देने को बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने टोकेनिज्म (प्रतीकवाद) करार दिया है. बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ओडिशा सरकार का एंटी ओबीसी चेहरा इस तथ्य से बेनकाब हो जाता है कि स्थानीय चुनावों में ओबीसी के लिए आरक्षण को सरकार लागू नहीं कर पाई है. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और केंद्र की सरकार सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही ओबीसी आरक्षण के मसले पर रिव्यू पिटीशन दाखिल करने वाली है और ताकि स्थानीय चुनावों में मध्य प्रदेश के ओबीसी समुदाय को आरक्षण का लाभ मिल सके. लेकिन ओडिशा सरकार की नीयत इस मसले को तर्कपूर्ण तरीके से हल करने का नहीं दिख रहा है.
उन्होंने कहा कि ओडिशा सरकार इस मसले पर ओडिशा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है, खासतौर पर तब जब सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी को 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने के मसले पर ओडिशा सरकार की SLP पेंडिंग हो. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राज्य सरकार को जनता को बताना चाहिए कि वह ओबीसी आरक्षण के खिलाफ क्यों है?
बता दें कि 22 दिसंबर को ओडिशा सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि वह पंचायत चुनावों के लिए जारी आरक्षण अधिसूचना को वापस ले लेगी. सरकार ने माना कि यह अधिसूचना ‘दोषपूर्ण’ है. दरअसल अदालत सीटों के आरक्षण से संबंधित एक अक्टूबर की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को एक हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए कहा था, जिसमें अगले साल की शुरुआत में होने वाले चुनावों के लिए अपनाई जाने वाली आरक्षण नीति का विवरण मांगा गया था.
याचिकाकर्ता के वकील सुकांत दलेई ने कहा कि सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि सीटों के आरक्षण के लिए एक नयी अधिसूचना अगले सोमवार को जारी की जाएगी और आपत्तियां 3 जनवरी तक स्वीकार की जाएंगी. दलेई ने कहा, ‘सरकार 5 जनवरी को आपत्तियों पर सुनवाई के बाद 7 जनवरी को अंतिम आरक्षण सूची एसईसी को सौंपेगी.’
मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ बीरेंद्र दास द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिकाकर्ता ने कहा था कि अगर 1 अक्टूबर की अधिसूचना को लागू किया गया तो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय अपने संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों को पूरी तरह से खो देंगे. दास ने कहा कि सरकार की अधिसूचना 1992 के 73वें संविधान संशोधन के विपरीत है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Dharmendra Pradhan, Naveen patnaik