West Bengal Elections: क्या प्रशांत किशोर की वजह से विधानसभा चुनाव से पहले कमजोर हुई TMC

क्या प्रशांत किशोर की वजह से विधानसभा चुनाव से पहले कमजोर हुई टीएमसी
पश्चिम बंगाल (West Bengal) के चुनाव से पहले TMC के अंदर मचा घमासान उसे कमजोर कर रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) से लेकर शीलभद्र दत्ता तक ने टीएमसी केवल प्रशांत किशोर के बढ़ते हस्तक्षेप के कारण छोड़ी है.
- News18Hindi
- Last Updated: March 8, 2021, 10:37 AM IST
कोलकाता. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अगले कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) की शुरुआत होने जा रही है. चुनाव से पहले जिस तरह से बीजेपी ने अपनी ताकत दिखाई है उससे ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बार के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के लिए सत्ता की राह आसान नहीं होगी. बंगाल के चुनाव में बीजेपी जहां एकजुट नजर आ रही है, वहीं टीएमसी के अंदर मचा घमासान उसे कमजोर कर रहा है. टीएमसी में उठे बगावती सुरों के पीछे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को मुख्य कारण बताया जा रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि शुभेंदु अधिकारी से लेकर शीलभद्र दत्ता तक ने टीएमसी केवल प्रशांत किशोर के बढ़ते हस्तक्षेप के कारण छोड़ी है.
यही नहीं अब जब तृणमूल कांग्रेस ने 291 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम एक ऐलान कर दिया है तो भी टीएमसी के अंदर विरोध शुरू हो गया है. सवाल उठ रहा है कि टिक वितरण के पीछे का मापदंड क्या है. चार बार से लगातार विधायक बन रहीं ममता बनर्जी की बेहद करीबी रहीं सोनाली गुहा का टिकट काटा जाना भी टीएमसी के नेताओं को पच नहीं रहा है. टिकट काटे जाने से नाराज सोनाली गुहा ने तो टीएमसी के खिलाफ प्रचार करने और बीजेपी के साथ खड़े रहने का भी ऐलान कर दिया है.

टीएमसी के नेताओं का कहना है कि ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को राज्य की सत्ता देने के लिए प्रशांत किशोर की हर बात आंख मूंदकर मान रही हैं. यह सब देखकर टीएमसी में परिवारवाद की छाप उभर आई. प्रशांत किशोर ने जिस तरह से अन्य राज्य में अपनी रणनीति बनाई थी उसी तरह की रणनीति पश्चिम बंगाल में भी कायम करना चाहते हैं. प्रशांत किशोर अलग-अलग लोगों से एक-दूसरे के बारे में पूछते, जिससे पार्टी के नेताओं के बीच गलतफहमी बढ़ रही है.इसे भी पढ़ें :- Opinion: क्या बंगाल चुनाव के बाद कैप्टन अमरिंदर का साथ छोड़ देंगे प्रशांत किशोर?
यही नहीं हाल में बीजेपी में शामिल हुए तृणमूल कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद और ममता बनर्जी के करीब रहे दिनेश त्रिवेदी ने भी कई बार प्रशांत किशोर को लेकर नाराजगी जताई थी. एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा था, प्रशांत किशोर के आने के बाद से पार्टी में काम करने का तरीका बदल गया है. पार्टी हमारे ट्विटर अकाउंट की डिटेल्स ले लेती थी. मुझे नहीं पता मेरे अकाउंट का इस्तेमाल कौन करता था. लेकिन मेरे ट्विटर अकाउंट से मुझसे पूछे बिना पीएम और गवर्नर को गाली दी जाती थी.
यही नहीं अब जब तृणमूल कांग्रेस ने 291 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम एक ऐलान कर दिया है तो भी टीएमसी के अंदर विरोध शुरू हो गया है. सवाल उठ रहा है कि टिक वितरण के पीछे का मापदंड क्या है. चार बार से लगातार विधायक बन रहीं ममता बनर्जी की बेहद करीबी रहीं सोनाली गुहा का टिकट काटा जाना भी टीएमसी के नेताओं को पच नहीं रहा है. टिकट काटे जाने से नाराज सोनाली गुहा ने तो टीएमसी के खिलाफ प्रचार करने और बीजेपी के साथ खड़े रहने का भी ऐलान कर दिया है.
टीएमसी के नेताओं का कहना है कि ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को राज्य की सत्ता देने के लिए प्रशांत किशोर की हर बात आंख मूंदकर मान रही हैं. यह सब देखकर टीएमसी में परिवारवाद की छाप उभर आई. प्रशांत किशोर ने जिस तरह से अन्य राज्य में अपनी रणनीति बनाई थी उसी तरह की रणनीति पश्चिम बंगाल में भी कायम करना चाहते हैं. प्रशांत किशोर अलग-अलग लोगों से एक-दूसरे के बारे में पूछते, जिससे पार्टी के नेताओं के बीच गलतफहमी बढ़ रही है.इसे भी पढ़ें :- Opinion: क्या बंगाल चुनाव के बाद कैप्टन अमरिंदर का साथ छोड़ देंगे प्रशांत किशोर?