स्वच्छ भारत अभियान का दूसरा चरण है देश को प्लास्टिक कचरा मुक्त बनाने की मुहिम: जावडे़कर

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा में प्रदूषण पर जवाब दिया.
प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javdekar) ने कहा सरकार का मकसद इस मुहिम के माध्यम से भारत को प्लास्टिक कचरा (Plastic Waste) मुक्त बनाना है , इसलिये इसे स्वच्छ भारत अभियान (Swachch Bharat Abhiyan) का दूसरा चरण मानकर लागू किया गया है.
- भाषा
- Last Updated: October 3, 2019, 11:22 PM IST
नई दिल्ली. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javdekar) ने एक ही बार प्रयोग में लाये जाने वाले प्लास्टिक (Single Use Plastic) से देश को मुक्ति दिलाने के लिये शुरू किये गये अभियान के बार में स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि इसे कानूनी तरीके से लागू करने के बजाय जनांदोलन बनाकर लोगों की आदत में बदलाव लाना मूल मकसद है. उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद इस मुहिम के माध्यम से भारत को प्लास्टिक कचरा (Plastic Waste) मुक्त बनाना है , इसलिये इसे स्वच्छ भारत अभियान (Swachch Bharat Abhiyan) का दूसरा चरण मानकर लागू किया गया है.
जावड़ेकर ने गुरुवार को पीटीआई भाषा को बताया कि सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के बजाय इसे स्वच्छ भारत अभियान की तर्ज पर सफल जनांदोलन बनाने की रणनीति अपनायी है. उन्होंने कहा , ‘‘कानूनी प्रतिबंध समस्या का समाधान नहीं है , बल्कि प्लास्टिक कचरे का निस्तारण जरूरत के मुताबिक नहीं हो पाना , मूल समस्या है. ’’
कचरे का प्रबंधन बड़ी चुनौती
उन्होंने कहा कि भारत में औसतन 30 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा प्रतिदिन निकलता है. इसमें से सिर्फ 10 मीट्रिक टन कचरा ही शोधन के लिये एकत्र हो पाता है. शेष 20 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन ही सबसे बड़ी चुनौती है. जावड़ेकर ने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिये सरकार ने शहरी निकायों ने लेकर ग्राम पंचायतों तक, विभिन्न स्तरों पर जनता और निजी क्षेत्र की भागीदारी से विभिन्न स्तरों पर कारगर अभियान शुरु किये गये हैं.सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर ये हैं नियम
अब तक सिंगल यूज प्लास्टिक की परिभाषा और नियम नहीं बन पाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा 50 माइक्रोन से अधिक मानक वाले प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने संबंधी पूर्व निर्धारित नियमों के तहत ही राज्य सरकारें एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोक रही हैं.
उन्होंने कहा , ‘‘उद्योग जगत भी सिंगल यूज प्लास्टिक के वैकल्पिक उत्पाद मुहैया कराने में सक्रिय सहयोग कर रहा है. सही मायने में यह स्वच्छ भारत अभियान का दूसरा चरण है. इसकी तर्ज पर देश को प्लास्टिक कचरा मुक्त बनाने का लक्ष्य 2022 तक प्राप्त कर लिया जायेगा. इस अभियान के जल्द ही बेहतर परिणाम दिखने लगेंगे.’’
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जावड़ेकर ने गुरुवार को पीटीआई भाषा को बताया कि सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के बजाय इसे स्वच्छ भारत अभियान की तर्ज पर सफल जनांदोलन बनाने की रणनीति अपनायी है. उन्होंने कहा , ‘‘कानूनी प्रतिबंध समस्या का समाधान नहीं है , बल्कि प्लास्टिक कचरे का निस्तारण जरूरत के मुताबिक नहीं हो पाना , मूल समस्या है. ’’
कचरे का प्रबंधन बड़ी चुनौती
उन्होंने कहा कि भारत में औसतन 30 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा प्रतिदिन निकलता है. इसमें से सिर्फ 10 मीट्रिक टन कचरा ही शोधन के लिये एकत्र हो पाता है. शेष 20 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन ही सबसे बड़ी चुनौती है. जावड़ेकर ने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिये सरकार ने शहरी निकायों ने लेकर ग्राम पंचायतों तक, विभिन्न स्तरों पर जनता और निजी क्षेत्र की भागीदारी से विभिन्न स्तरों पर कारगर अभियान शुरु किये गये हैं.सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर ये हैं नियम
अब तक सिंगल यूज प्लास्टिक की परिभाषा और नियम नहीं बन पाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा 50 माइक्रोन से अधिक मानक वाले प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने संबंधी पूर्व निर्धारित नियमों के तहत ही राज्य सरकारें एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोक रही हैं.
उन्होंने कहा , ‘‘उद्योग जगत भी सिंगल यूज प्लास्टिक के वैकल्पिक उत्पाद मुहैया कराने में सक्रिय सहयोग कर रहा है. सही मायने में यह स्वच्छ भारत अभियान का दूसरा चरण है. इसकी तर्ज पर देश को प्लास्टिक कचरा मुक्त बनाने का लक्ष्य 2022 तक प्राप्त कर लिया जायेगा. इस अभियान के जल्द ही बेहतर परिणाम दिखने लगेंगे.’’
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