दोमजुर में राजनीतिक अस्तित्व के लिए लड़ रहे TMC से बीजेपी में आए राजीव बनर्जी

जनवरी में भाजपा में शामिल हुए बनर्जी तीसरी बार भी चुनावी विजय पाना चाहते हैं.
West Bengal Assembly Elections: दोमजुर निर्वाचन क्षेत्र पारंपरिक रूप से माकपा का गढ़ था जो 1977 से 2006 तक इस सीट पर जीत दर्ज करती रही. इस बार यहां तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच चुनावी जंग है और दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ जमकर वाकयुद्ध कर रहे हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: April 8, 2021, 5:08 PM IST
दोमजुर (पश्चिम बंगाल). तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) छोड़कर बीजेपी में आए पूर्व मंत्री राजीव बनर्जी (Rajiv Banerjee) हावड़ा जिले के दोमजुर निर्वाचन क्षेत्र में राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि उन्होंने भले ही पार्टी बदल ली हो, लेकिन वह व्यक्ति वही हैं जो पहले थे.
जनवरी में भाजपा में शामिल हुए बनर्जी तीसरी बार भी चुनावी विजय पाना चाहते हैं. वह न सिर्फ अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, बल्कि तृणमूल कांग्रेस के इस संदेश के खिलाफ भी लड़ाई लड़ रहे हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी किसी व्यक्तिगत नेता से बड़ी है.
किसी जमाने में माकपा का गढ़ हुआ करता था दोमजुर
दोमजुर निर्वाचन क्षेत्र पारंपरिक रूप से माकपा का गढ़ था जो 1977 से 2006 तक इस सीट पर जीत दर्ज करती रही. इस बार यहां तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच चुनावी जंग है और दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ जमकर वाकयुद्ध कर रहे हैं.तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर दो बार जीत चुके हैं बनर्जी
तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से दो बार जीत दर्ज कर चुके बनर्जी पिछले पांच साल में अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों का हवाला देकर चुनाव लड़ रहे हैं. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में चली भगवा लहर ने यहां राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया और भाजपा राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी बन गई.
दोमजुर विधानसभा सीट श्रीरामपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आती है. भाजपा उम्मीदवार ने कहा, ‘‘तृणमूल कुछ जगह गड़बड़ी उत्पन्न करने का प्रयास कर रही है. अल्पसंख्यक क्षेत्रों में लोग मुझे जानते हैं और वे इस बात से वाकिफ हैं कि मैं विकास कार्य करते समय लोगों में भेदभाव नहीं करता.’’
ये भी पढ़ेंः- सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की अनिल देशमुख की याचिका, कहा- आरोप गंभीर हैं, स्वतंत्र जांच जरूरी

तृणमूल कांग्रेस ने कल्याण घोष को उतारा है मैदान में
तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट से बनर्जी के खिलाफ कल्याण घोष को चुनाव में उतारा है जिन्हें हावड़ा से सत्तारूढ़ पार्टी के दिग्गज एवं राज्य के मंत्री अरूप रॉय का करीबी माना जाता है. घोष ने कहा, ‘‘पिछली बार बनर्जी संबंधित सीट से रिकॉर्ड मतों से जीते थे क्योंकि लोगों ने ममता बनर्जी और उनके काम को वोट दिया था. अब उन्होंने पार्टी छोड़ दी है. उनका व्यक्तिगत करिश्मा उस समय कहां था जब वह 2006 में चुनाव हार गए थे?’’
जनवरी में भाजपा में शामिल हुए बनर्जी तीसरी बार भी चुनावी विजय पाना चाहते हैं. वह न सिर्फ अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं, बल्कि तृणमूल कांग्रेस के इस संदेश के खिलाफ भी लड़ाई लड़ रहे हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी किसी व्यक्तिगत नेता से बड़ी है.
किसी जमाने में माकपा का गढ़ हुआ करता था दोमजुर
दोमजुर निर्वाचन क्षेत्र पारंपरिक रूप से माकपा का गढ़ था जो 1977 से 2006 तक इस सीट पर जीत दर्ज करती रही. इस बार यहां तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच चुनावी जंग है और दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ जमकर वाकयुद्ध कर रहे हैं.तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर दो बार जीत चुके हैं बनर्जी
दोमजुर विधानसभा सीट श्रीरामपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आती है. भाजपा उम्मीदवार ने कहा, ‘‘तृणमूल कुछ जगह गड़बड़ी उत्पन्न करने का प्रयास कर रही है. अल्पसंख्यक क्षेत्रों में लोग मुझे जानते हैं और वे इस बात से वाकिफ हैं कि मैं विकास कार्य करते समय लोगों में भेदभाव नहीं करता.’’
ये भी पढ़ेंः- सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की अनिल देशमुख की याचिका, कहा- आरोप गंभीर हैं, स्वतंत्र जांच जरूरी
तृणमूल कांग्रेस ने कल्याण घोष को उतारा है मैदान में
तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट से बनर्जी के खिलाफ कल्याण घोष को चुनाव में उतारा है जिन्हें हावड़ा से सत्तारूढ़ पार्टी के दिग्गज एवं राज्य के मंत्री अरूप रॉय का करीबी माना जाता है. घोष ने कहा, ‘‘पिछली बार बनर्जी संबंधित सीट से रिकॉर्ड मतों से जीते थे क्योंकि लोगों ने ममता बनर्जी और उनके काम को वोट दिया था. अब उन्होंने पार्टी छोड़ दी है. उनका व्यक्तिगत करिश्मा उस समय कहां था जब वह 2006 में चुनाव हार गए थे?’’