डॉ. भीमराव अम्बेडकर की दूरदर्शिता किसी को भी हैरान कर सकती है. (cnbctv18.com)
नई दिल्ली. डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने आजाद भारत की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी प्रगतिशील सोच बहुत गजब की थी और उनकी दूरदर्शिता किसी भी समकालीन विद्वान को हीन भावना से भर सकती है. उन्होंने ही सबसे पहले देश में 14 घंटे के कार्यदिवस को 8 घंटे के कार्य दिवस में बदलने जैसा लोक कल्याण का महान काम किया था. डॉ. भीमराव अम्बेडकर या बाबासाहेब, भारतीय संविधान के सबसे प्रमुख शिल्पी जाने जाते हैं. 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया और उनकी पुण्यतिथि को देश में महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. डॉ. अम्बेडकर की दूरदर्शी सोच और संविधान निर्माण में उनके योगदान ने भारत गणराज्य की सामाजिक और कानूनी नींव को बनाने का काम किया.
आज डॉ. बीआर अंबेडकर की 66वीं पुण्यतिथि है. संविधान बनाने के अलावा डॉ. अम्बेडकर के कुछ ऐसे भी काम हैं, जिनके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है. डॉ. बीआर अंबेडकर के बारे में इन बातों को जानकर उनके जीवन की रोचकता और भी बढ़ जाती है. एक समय साइमन कमीशन का भारत में केवल इसलिए विरोध हो रहा था कि उसके सभी सदस्य अंग्रेज हैं. बहरहाल भारत में संवैधानिक सुधारों के लिए अंग्रेजों द्वारा स्थापित उसी ऑल-व्हाइट साइमन कमीशन के साथ काम करने के लिए भी डॉ. भीमराव अम्बेडकर को नियुक्त किया गया था.
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डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने श्रम क्षेत्र में भी भारी सुधारों का काम किया था. सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी बात ये है कि उन्होंने ही देश में 14 घंटे के कार्यदिवस को आठ घंटे के कार्यदिवस में बदलने का प्रस्ताव रखा. वायसराय की परिषद में मजदूरों के हालात में सुधार लाने के लिए उन्होंने कुछ सुधारों को आगे बढ़ाने में मदद की. जिसमें महिला श्रमिकों को मातृत्व लाभ प्रदान करना, श्रम में बच्चों को सुरक्षा प्रदान करना और भूमिगत कोयला खदानों में महिलाओं के काम करने पर प्रतिबंध लगाना शामिल है.
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