चीन सीमा पर भारतीय सेना की बढ़ेगी ताकत, 18 महीनों में मिलेंगी 200 स्वदेशी हॉवित्जर

18 महीनों में सेना को मिलेंगी 200 स्वदेशी हॉवित्जर तोपें.
भारतीय सेना (Indian Army) को इस समय 400 से ज्यादा हॉवित्जर (Howitzers) तोपों की जरूरत है. सेना की इस जरूरत को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) पूरा करने को तैयार है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 7, 2020, 2:39 PM IST
नई दिल्ली. भारत (India) और चीन (China) के बीच पिछले कई महीनों से चले आ रहे तनाव को देखते हुए भारतीय सेना (Indian Army) ने अपनी ताकत को और मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है. भारतीय सेना को इस समय 400 से ज्यादा हॉवित्जर (Howitzers) तोपों की जरूरत है. सेना की इस जरूरत को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) पूरा करने को तैयार है. डीआरडीओ की ओर से कहा गया है कि वह ऑर्डर मिलने पर 18 से 24 महीनों में 200 से अधिक मेड इन इंडिया एडवांस टावर आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) हॉवित्जर तैयार कर सकता है.
डीआरडीओ के अधिकारियों के मुताबिक मेड इन इंडिया एटीएजीएस हॉवित्जर को भारतीय सेना की आवश्यकताओं के लिए जल्द से जल्द और एक संभव समय सीमा में पूरा किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि स्वदेशी हॉवित्जर को तैयार करने की सभी सुविधाएं हमारे पास तैयार हैं जबकि इजरायल की हॉवित्जर के उत्पादन में लंबा समय लगेगा. भारतीय सेना चाहती है कि वह जल्द से जल्द इन एडवांस हॉवित्जर को चीन की सीमा पर तैनात करे, जिससे दुश्मन देश के सामने भारतीय सेना मजबूत दिखाई दे.

इजरायल से मंगाई जाने वाली इन हॉवित्जर को एक लंबी निविदा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसके कारण इन्हें मंगाने में काफी समय लग जाता है. डीआरडीओ के अधिकारियों ने बताया कि एटीएजीएस का महाराष्ट्र के अहमदनगर में परीक्षण चल रहा है. हम ऑर्डर मिलने के 18 से 24 महीनों के भीतर सेना को इसकी 200 से अधिक तोपें दे सकते है.इसे भी पढ़ें : दुश्मनों के परखच्चे उड़ाएगा आर्टिलरी गन सिस्टम, भारतीय सेना कर रही है ट्रायल, देखें VIDEO
डीआरडीओ की ओर से तैयार किए जा रहे एटीएजीएस पहले से काफी बेहतर हैं. यह अपनी श्रेणी की सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली हॉवित्जर हैं. हालांकि कुछ महीने पहले जैसलमेर में रेगिस्तान में परीक्षण के दौरान एक मामूली दुर्घटना हो गई थी. इस हादसे पर टिप्पणी करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा, 'परीक्षणों के दौरान सामने आई विफलता को देखकर कभी भी मनोबल कम नहीं करना चाहिए बल्कि इसकी समीक्षा और निर्माताओं को समस्याओं को दूर करने के तरीकों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.'
डीआरडीओ के अधिकारियों के मुताबिक मेड इन इंडिया एटीएजीएस हॉवित्जर को भारतीय सेना की आवश्यकताओं के लिए जल्द से जल्द और एक संभव समय सीमा में पूरा किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि स्वदेशी हॉवित्जर को तैयार करने की सभी सुविधाएं हमारे पास तैयार हैं जबकि इजरायल की हॉवित्जर के उत्पादन में लंबा समय लगेगा. भारतीय सेना चाहती है कि वह जल्द से जल्द इन एडवांस हॉवित्जर को चीन की सीमा पर तैनात करे, जिससे दुश्मन देश के सामने भारतीय सेना मजबूत दिखाई दे.
इजरायल से मंगाई जाने वाली इन हॉवित्जर को एक लंबी निविदा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसके कारण इन्हें मंगाने में काफी समय लग जाता है. डीआरडीओ के अधिकारियों ने बताया कि एटीएजीएस का महाराष्ट्र के अहमदनगर में परीक्षण चल रहा है. हम ऑर्डर मिलने के 18 से 24 महीनों के भीतर सेना को इसकी 200 से अधिक तोपें दे सकते है.इसे भी पढ़ें : दुश्मनों के परखच्चे उड़ाएगा आर्टिलरी गन सिस्टम, भारतीय सेना कर रही है ट्रायल, देखें VIDEO
डीआरडीओ की ओर से तैयार किए जा रहे एटीएजीएस पहले से काफी बेहतर हैं. यह अपनी श्रेणी की सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली हॉवित्जर हैं. हालांकि कुछ महीने पहले जैसलमेर में रेगिस्तान में परीक्षण के दौरान एक मामूली दुर्घटना हो गई थी. इस हादसे पर टिप्पणी करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा, 'परीक्षणों के दौरान सामने आई विफलता को देखकर कभी भी मनोबल कम नहीं करना चाहिए बल्कि इसकी समीक्षा और निर्माताओं को समस्याओं को दूर करने के तरीकों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.'