नई दिल्ली. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) अबू धाबी में सोमवार शाम को तीन तेल टैंकरों में हुए संदिग्ध ड्रोन हमले के दौरान दो भारतीय शख़्स समेत कुल तीन लोगों की मौत हो गई और कुल छह लोग घायल हो गए. इस हादसे में जान गंवाने वाला तीसरा शख्स पाकिस्तान (Pakistan) मूल का था. अब दो भारतीय नागरिकों की मौत क्या महज एक संयोग या दुर्भाग्यपूर्ण था या उन भारतीय नागरिकों को टारगेट करने की साजिश रची गई थी? इस मामले की गम्भीरता को देखते हुए भारतीय जांच एजेंसी एनआईए (NIA) भी शुरुआती तौर पर तमाम इनपुट्स को खंगालने में जुट गई है.
एनआईए मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक, अगर इस मामले में मृतक भारतीय नागरिकों की मौत से जुड़े मसले पर कोई साजिश नजर आएगी तो जांच एजेंसी एनआईए इस मामले को तफ़्तीश करने के लिए केस दर्ज कर लेगी. जिस तरह से यूएई के मुख्य हवाई अड्डे के एक विस्तार पटल पर आग लगी है, वह जांच का मसला है, लेकिन शुरुआती जांच में यूएई की स्थानीय पुलिस ने इस घटना को एक बेहद मामूली बताया है.
अबू धाबी में तेल के तीन टैंकरों में विस्फोट और वहां के मुख्य विमानपत्तन के एक विस्तार पटल पर जो आग लगी थी, वो निर्माणधीन है. इसके साथ ही अबू धाबी की सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनी एडीएनओसी (ADNOC) के एक भंडारण केंद्र के पास ही स्थित तीनों पेट्रोलियम टैंकरों में लगी आग को एक संदिग्ध ड्रोन के द्वारा हमला करने उस तबाही से जुड़े कनेक्शन को खंगालने की कोशिश अबू धाबी की स्थानीय पुलिस और वहां की जांच एजेंसी द्वारा की जा रही है. अगर भारतीयों से संबंधित मामले पर कुछ विशेष इनपुट्स मिलेगा तब निश्चित ही भारतीय जांच एजेंसी एनआईए (NIA) उस केस को दर्ज करके तफ़्तीश करेगी.
जांच एजेंसी एनआईए के पास भी है विदेश से जुड़े मामले की जांच करने का विशेषाधिकार
NIA को साल 2019 में हुए संशोधन के मुताबिक, विदेश में किसी भी भारतीय नागरिक की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत, भारत देश के खिलाफ साजिश रचने वाले के खिलाफ इत्यादि ऐसे मामलों में अगर कोई इनपुट मिलता है तो एनआईए के पास ये अधिकार है कि संबंधित धाराओं के तहत जांच एजेंसी उस मामले को लेकर एफआईआर करके आगे की तफ़्तीश कर सकती है. हालांकि, एनआईए की टीम यूएई पुलिस प्रशासन की रिपोर्ट का इंतजार करेगी, अगर अबू धाबी की पुलिस प्रशासन द्वारा औपचारिक तौर पर जानकारी प्रदान करती है तो इस केस को जल्द ही दर्ज कर सकती है. हालांकि इस मामले में कुछ भी फिलहाल जल्दबाजी कही जा सकती है.
साल 2019 में लोकसभा के सत्र के दौरान एनआईए को विशेषाधिकार दिए जाने के मसले पर विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) द्वारा ये बताया गया था कि इस प्रस्तावित कानून से एनआईए की जांच का दायरा को और बेहतर तरीके से बढ़ाया जा सकता है. विदेशों में भी भारतीय और भारतीय परिसंपत्तियों से जुड़े मामलों की उचित मामलों में जांच पड़ताल की जा सकती है ,जिसमें किसी आतंकी द्वारा या आतंकी संगठन द्वारा उसे निशाना बनाया गया हो. अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का उस वक्त संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों को वैसी शक्तियों, कर्तव्य विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की है, जो अपराध या आतंकी हमलों या साजिश के तार को खंगालने के लिए भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी किसी वारदात को अंजाम देने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करके तफ़्तीश कर सकती है.
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यमन के हूती विद्रोहीयों के मसले पर भी यूएई की जांच एजेंसी की है नजर
एनआईए सूत्रों के मुताबिक, हमें अभी तक यूएई सरकार से कोई भी जानकारी औपचारिक तौर पर उपलब्ध नहीं कराई गई है, हम लोग उस रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. इस मामले में यूएई पुलिस को ईरान समर्थक हुति विद्रोहियों के इकबालिया बयान को भी यूएई की पुलिस प्रशासन ने फिलहाल खारिज कर दिया है, लेकिन ये मसला भी जांच के दायरे में है कि आखिरकार इस हमले की जिम्मेदारी यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा इस हमले को क्यों अंजाम दिया गया?
लेकिन जिस तरह से यूएई साल 2015 की शुरुआत से ही अमन में संघर्ष करता आ रहा है और ईरान समर्थित हुतियों के खिलाफ हमला छेड़ने वाले सऊदी नीत गठबंधन में यूएई एक बेहद महत्वपूर्ण सदस्य रहा था और यमन में अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त सरकार को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद हुतियों का गुस्सा एक अलग स्तर पर है. शायद ये भी वजह उस ड्रोन हमले की हो सकती है. इसके साथ ही एक वजह ये भी हो सकती है कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति फिलहाल यूएई के दौरे पर हैं, लिहाजा दक्षिण-कोरिया के राष्ट्रपति के साथ यूएई के प्रधानमंत्री और दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम के साथ हुई मुलाकात कुछ विद्रोही संगठनों को रास नहीं आ पा रहा होगा.
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