नई दिल्ली/हिमानी चंदना. सबसे महंगी दवाओं के कारोबार से होने वाला मुनाफा भी सबसे अधिक होता है, विशेष रूप से उन दवाओं में जहां एक टैबलेट की कीमत 100 रुपये से अधिक होती है. दवा मूल्य नियामक राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के विश्लेषण में यह बात सामने आई है. नियामक ने शुक्रवार को बड़ी दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर गैर-अनुसूचित दवाओं पर व्यापारियों के लाभ को युक्तिसंगत बनाने के तरीके पर चर्चा की.
जबकि गैर-अनुसूचित दवाएं सरकार के मूल्य नियंत्रण तंत्र के अंतर्गत नहीं आती हैं, ऐसे में व्यापार मुनाफा युक्तिकरण (टीएमआर) के जरिए आपूर्ति श्रृंखला में व्यापार लाभ को सीमित करके मूल्य विनियमन किया जाता है. दवा निर्माताओं के लिए दवाओं के व्यापार की कीमत और अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के रूप में रोगियों के लिए मूल्य के बीच का जो अंतर है, वास्तव में वही दवा का कारोबारी मुनाफा (ट्रेड मार्जिंस) कहलाता है.
मुनाफा, मूल्य में संतुलन
News18.com द्वारा एक्सेस किए गए उद्योग हितधारकों को नियामक द्वारा दिखाए गए टीएमआर विश्लेषण पर प्रस्तुति के अनुसार, एक टैबलेट की कीमत के साथ एक व्यापारी का मुनाफा अधिक होता है. उदाहरण के लिए, यदि किसी टैबलेट की कीमत 2 रुपये तक है, तो अधिकांश ब्रांडों में फायदा 50% तक है; जबकि अगर इसकी कीमत 15 रुपये से 25 रुपये के बीच है तो मुनाफा 40% से कम है.
100 रुपये प्रति टैबलेट की दवाओं पर 1000% से अधिक का मुनाफा
50-100 रुपये प्रति टैबलेट श्रेणी में कम से कम 2.97% दवाओं का व्यापार मुनाफा 50% और 100% के बीच है, इसी श्रेणी में 1.25% दवाओं का लाभ 100% और 200% के बीच है, जबकि 2.41% दवाओं का मुनाफा 200 से 500 प्रतिशत के बीच है. एनपीपीए की प्रेजेंटेशन के अनुसार, सबसे महंगी श्रेणी मानी जाने वाली 100 रुपये प्रति टैबलेट से अधिक की दवाओं के मामले में, 8% दवाओं का मुनाफा लगभग 200 से 500%, 2.7% दवाओं का लाभ 500-1000% के आसपास है और 1.48% का मुनाफा 1000% से अधिक है.
मुनाफा कम करने की जरूरत
प्रेजेंटेशन से पता चलता है कि भारत में गैर-अनुसूचित दवाओं का वार्षिक कारोबार 1.37 लाख करोड़ से अधिक है, जो भारत के फार्मा बाजार के वार्षिक कारोबार का लगभग 81% है, इसलिए दवाओं के कारोबार पर पर्दा डालने की जरूरत और भी अधिक है. बैठक का हिस्सा रहे एक सरकारी अधिकारी ने News18.com को बताया, “हमने उद्योग के साथ कार्यान्वयन दृष्टिकोण और गणना पद्धति पर चर्चा की. फार्मा कंपनियों ने सहमति व्यक्त की कि टीएमआर एक अच्छा कदम है और एक संतुलित दृष्टिकोण से दवाओं की कीमतों में काफी कमी आएगी.” उन्होंने कहा, “टीएमआर को युक्तिसंगत बनाने पर आगे कदम उठाने से पहले उद्योग द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखा जाएगा.”
2018-19 में, एनपीपीए ने 42 चुनिंदा गैर-अनुसूचित कैंसर रोधी दवाओं के व्यापार मुनाफे की सीमा तय कर दी थी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में कहा था कि इस कदम से इन दवाओं के 526 ब्रांडों के एमआरपी में 90% तक की कमी आई है. इसके अलावा, इस वर्ष, एनपीपीए ने पांच चिकित्सा उपकरणों के व्यापार मुनाफा तय करने के लिए समय सीमा बढ़ा दी है, जो कोविड -19 महामारी की अवधि के दौरान जरूरी हैं.
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