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Ladakh Standoff: पूर्वी लद्दाख के गोगरा से पीछे हटीं भारत-चीन की सेनाएं, 12वें दौर की बातचीत में बनी थी सहमति

पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास भारत और चीन में मई 2020 से विवाद चल रहा है. (एएनआई)

पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास भारत और चीन में मई 2020 से विवाद चल रहा है. (एएनआई)

Eastern Ladakh India vs China: कोर कमांडर स्तर की 12वें दौर की बातचीत पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो सीमा ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. भारत-चीन बॉर्डर पर डिसइंगेजमेंट को लेकर भारतीय सेना का बड़ा बयान आया है. पूर्वी लद्दाख के गोगरा इलाके से भारत और चीन के सैनिक पीछे हटे हैं. दोनों पक्षों के बीच 12वें दौर की बातचीत में बनी सहमति के आधार पर यह कार्रवाई हुई है. गोगरा में अस्थायी निर्माण भी हटाए लिए गए हैं. भारतीय सेना ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. सेना ने बताया कि दोनों पक्षों द्वारा बनाए गए अन्य बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया है और इसकी पुष्टि भी कर ली गई है. सेना ने कहा, ‘गोगरा पोस्ट से 4-5 अगस्त को दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटीं. दोनों पक्ष अब अपने-अपने स्थायी ठिकानों में हैं.

भारतीय सेना ने कहा, ‘दोनों पक्षों द्वारा क्षेत्र में बनाए गए सभी अस्थायी ढांचे और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचे को ध्वस्त कर दिया गया है और आपस में इसकी पुष्टि भी कर ली गई है. दोनों पक्षों द्वारा क्षेत्र में लैंडफॉर्म (जमीन का एक प्राकृतिक रूप) को बहाल कर दिया गया है, जैसा कि गतिरोध शुरू होने से पहले था.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह समझौता सुनिश्चित करता है कि इस क्षेत्र में एलएसी का दोनों पक्षों द्वारा कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाएगा और यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं होगा.

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सेना ने कहा, ‘गोगरा से सेना के पीछे हटने के साथ ही एक और संवेदनशील क्षेत्र का समाधान हो गया है. दोनों पक्षों ने वार्ता को आगे बढ़ाने और पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ शेष मुद्दों को हल करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.’ सेना ने अपने बयान में यह भी कहा कि आईटीबीपी (इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस) के साथ भारतीय सेना देश की संप्रभुता सुनिश्चित करने और पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ शांति बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

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पिछले दौर की सैन्य वार्ता में दोनों पक्षों ने हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग में सैनिकों की वापसी की दिशा में आगे बढ़ने के रास्तों पर चर्चा की थी जिसका व्यापक उद्देश्य क्षेत्र में तनाव को कम करना था. हालांकि सैनिकों की वापसी की दिशा में कोई और प्रगति नहीं हुई थी. इससे पहले दोनों पक्षों ने सिलसिलेवार सैन्य एवं कूटनीतिक वार्ता के बाद पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और हथियारों को हटाने की प्रक्रिया फरवरी में पूरी कर ली है.

12वें दौर की वार्ता में मुद्दों को हल करने पर बनी थी सहमति
12वें दौर की बातचीत के बाद बीते दो अगस्त को जारी संयुक्त बयान में भारत और चीन ने मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के मुताबिक पूर्वी लद्दाख के शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने एवं बातचीत की गति को बनाए रखने पर अपनी सहमति जताई थी. दोनों पक्ष अंतरिम तौर पर इस बात के लिए भी सहमत हुए थे कि वे पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रभावी प्रयास जारी रखेंगे और संयुक्त रूप से शांति बनाए रखेंगे.

करीब 9 घंटे तक चली थी 12वें दौर की वार्ता
कोर कमांडर स्तर की 12वें दौर की बातचीत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ मोल्डो सीमा बिंदु पर बीते 31 जुलाई की सुबह साढ़े 10 बजे शुरू होकर शाम 7.30 बजे खत्म हुई थी. करीब 9 घंटे तक चली इस बैठक का मकसद 14 महीनों से ज्यादा समय से इस क्षेत्र में जारी गतिरोध को खत्म करना था. बैठक के दौरान भारत ने हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग में सैनिकों की वापसी पर जोर दिया. इससे पहले 11वें दौर की सैन्य वार्ता नौ अप्रैल को एलएसी पर भारत की ओर चुशुल सीमा बिंदु पर हुई थी और यह बातचीत करीब 13 घंटे तक चली थी.

Tags: China, Eastern Ladakh, India, Indian army, Ladakh

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