ED ने शारदा घोटाला मामले में टीएमसी नेता कुणाल घोष को तलब किया

प्रवर्तन निदेशालय ने हवाला कारोबारी नरेश जैन के एक मामले में दिल्ली समेत कई राज्यों में संपत्तियों को अटैच करने की कार्रवाई की है
पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों में तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन भले ही कैसा रहे, उसके सामने चुनौतियां लगातार आ रही हैं. शारदा घोटाले मामले में आरोपी टीएमसी नेता कुणाल घोष को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तलब कर लिया है. इधर घोष ने भी कहा है कि वे नियत समय पर पहुंचेंगे और ईडी को पूरा सहयोग करेंगें.
- News18Hindi
- Last Updated: March 2, 2021, 12:22 PM IST
कोलकाता. शारदा घोटाला मामले (Sharada Scam Case) में तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष (TMC Leader Kunal Ghosh) को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नोटिस भेजा है. इस नोटिस में घोष को ईडी के सामने 2 मार्च को उपस्थित रहने को कहा गया है. पश्चिम बंगाल में चुनावों के तारीखों के बाद सभी पार्टी और नेतागण अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं. इधर नोटिस मिलने के बाद टीएमसी नेता घोष ने कहा है कि वे 2 मार्च को ईडी के समक्ष उपस्थित रहेंगे.
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा है कि वे जांच में सहयोग देंगे और समय पर ईडी के दफ्तर पहुंचेंगे. मालूम हो कि शारदा चिटफंड स्कैम पश्चिम बंगाल का एक बड़ा वित्तीय घोटाला है, इस घोटाले में कई बड़े नेताओं का नाम सामने आया है. कंपनी पर आरोप है कि उसने इनवेस्टरों से वादा किया कि उनकी रकम को 34 गुना करके वापस किया जाएगा. इस लालच में आकर लाखों लोगों ने कंपनी में पैसे इनवेस्ट किए. बाद में करीब 40 हजार करोड़ की हेर-फेर की बात सामने आई. साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम पुलिस को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया था.
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इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं कुणाल घोष
केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों ने बताया था कि शारदा समूह की इकाई शारदा मीडिया के सीईओ रहे घोष को चिटफंड घोटाला मामले में कथित संलिप्तता के लिए 2013 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. तृणमूल कांग्रेस ने गिरफ्तारी से पहले उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कथित रूप से निलंबित कर दिया था लेकिन बतौर नेता उनके संबंध में पार्टी की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया था. शारदा चिटफंड घोटाला मामले में तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष से सीबीआई ने पूछताछ की थी.

ममता सरकार की ही देखरेख में किया गया एक बड़ा घोटाला था
सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक और ममता के बेहद करीबी रहे यूएन बिश्वास की नई किताब धम्मा-अधम्मा में कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. एक इंटरव्यू में यूएन बिश्वास ने कहा है कि शारदा चिटफंड जो साल 2013 में सुर्खियों में आया वो ममता सरकार की ही देखरेख में किया गया एक बड़ा घोटाला था. अपनी किताब में बिश्वास ने विस्तार से बताया है कि कैसे इस घोटाले में फंसे ममता के करीबियों को बचाने की भरपूर कोशिश की गई.
यह किताब ऐसे समय में आई है जब पश्चिम बंगाल में चुनाव होने वाले हैं और ममता के करीबी एक-एक कर उनका साथ छोड़ रहे हैं. यहां बता दें कि यूएन बिश्वास 2011 से 2016 तक ममता बनर्जी कैबिनेट में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री थे. 2016 में चुनाव हारने पर ममता बनर्जी ने उन्हें पश्चिम बंगाल के एससी, एसटी और ओबीसी आयोग का अध्यक्ष बना दिया. 10 साल तक ममता की परछाई बनकर साथ करने वाले यूएन बिश्वास अब राजनीति से संन्यास ले चुके हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा है कि वे जांच में सहयोग देंगे और समय पर ईडी के दफ्तर पहुंचेंगे. मालूम हो कि शारदा चिटफंड स्कैम पश्चिम बंगाल का एक बड़ा वित्तीय घोटाला है, इस घोटाले में कई बड़े नेताओं का नाम सामने आया है. कंपनी पर आरोप है कि उसने इनवेस्टरों से वादा किया कि उनकी रकम को 34 गुना करके वापस किया जाएगा. इस लालच में आकर लाखों लोगों ने कंपनी में पैसे इनवेस्ट किए. बाद में करीब 40 हजार करोड़ की हेर-फेर की बात सामने आई. साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम पुलिस को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया था.

इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं कुणाल घोष
केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों ने बताया था कि शारदा समूह की इकाई शारदा मीडिया के सीईओ रहे घोष को चिटफंड घोटाला मामले में कथित संलिप्तता के लिए 2013 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. तृणमूल कांग्रेस ने गिरफ्तारी से पहले उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कथित रूप से निलंबित कर दिया था लेकिन बतौर नेता उनके संबंध में पार्टी की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया था. शारदा चिटफंड घोटाला मामले में तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष से सीबीआई ने पूछताछ की थी.
ममता सरकार की ही देखरेख में किया गया एक बड़ा घोटाला था
सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक और ममता के बेहद करीबी रहे यूएन बिश्वास की नई किताब धम्मा-अधम्मा में कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. एक इंटरव्यू में यूएन बिश्वास ने कहा है कि शारदा चिटफंड जो साल 2013 में सुर्खियों में आया वो ममता सरकार की ही देखरेख में किया गया एक बड़ा घोटाला था. अपनी किताब में बिश्वास ने विस्तार से बताया है कि कैसे इस घोटाले में फंसे ममता के करीबियों को बचाने की भरपूर कोशिश की गई.
यह किताब ऐसे समय में आई है जब पश्चिम बंगाल में चुनाव होने वाले हैं और ममता के करीबी एक-एक कर उनका साथ छोड़ रहे हैं. यहां बता दें कि यूएन बिश्वास 2011 से 2016 तक ममता बनर्जी कैबिनेट में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री थे. 2016 में चुनाव हारने पर ममता बनर्जी ने उन्हें पश्चिम बंगाल के एससी, एसटी और ओबीसी आयोग का अध्यक्ष बना दिया. 10 साल तक ममता की परछाई बनकर साथ करने वाले यूएन बिश्वास अब राजनीति से संन्यास ले चुके हैं.