नई दिल्ली। आजादी की लड़ाई में आरएसएस की भूमिका पर उठाए सवालों पर इतिहासकार इरफान हबीब अभी भी कायम हैं। उनका कहना है कि मैं लोकतंत्र में जीने वाला इंसान हूं, इसलिए जो सही था मैंने वही कहा। अगर मैं गलत हूं तो संघ सबूतों के साथ हकीकत को पेश कर दे। अब तो मामला कोर्ट में है। वो बताए कि आजादी की लड़ाई में कब, कहां और कितने स्वयंसेवक शहीद हुए? रहा सवाल मुकदमे का तो कुछ लोग ओछी पब्लिसिटी के लिए इस तरह की हरकत करते रहते हैं।
हाल ही में प्रकाशित हुए अपने एक लेख में इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा था कि आजादी की लड़ाई में आरएसएस की कोई भूमिका नहीं रही। इस लेख के बाद लखनऊ के एक व्यक्ति ने अलीगढ़ की कोर्ट में एक याचिका लगाई है। याची का कहना है कि मैं संघ का सदस्य हूं। इरफान हबीब के इस लेख को पढ़कर मुझे पीड़ा हुई है। मुझे मानसिक आघात पहुंचा है। इस बारे में जब इरफान हबीब से बात की गई तो उनका कहना था कि इस देश में सबको बोलने का हक है।
मैंने जो कहा है वो कागजों में दर्ज है। मेरे पास मेरे बयान से संबंधित सबूत हैं और मैं उस पर कायम हूं। अगर किसी को ये लगता है कि मेरा बयान गलत है तो उसे साबित करे। ऐसे लोग सबूत पेश करें कि इस तारीख में इस जगह संघ से जुड़े फलां स्वयंसेवक ने लड़ाई लड़ी थी और इस लडाई में उन पर कार्रवाई हुई थी या फिर वो शहीद हुए थे।
हबीब ने न्यूज 18 इंडिया डॉटकॉम से बातचीत में कहा कि कई बार ये मामला कोर्ट में गया है। आज भी किसी शख्स ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। जिसको शिकायत है वो कोर्ट में सबूत देकर मेरी बात को खारिज कर सकता है। वर्ना तो जब कोर्ट मांगेगा तो मैं अपने बयान से संबंधित सबूत पेश कर दूंगा। बाकी में इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा। मैं जानता हूं कि ये पब्लिसिटी पाने के लिए की गई ओछी हरकत है।
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Tags: Court, Irfan Habib, RSS, अलीगढ़
FIRST PUBLISHED : January 04, 2017, 11:20 IST