एक्सपर्ट्स की चेतावनी: अब अलग तरह से हमला कर सकता है वायरस, बदल रहा है रूप

एक्सपर्ट के मुताबिक, इस साल अलग-अलग राज्यों में जून और जुलाई में वायरस का जो प्रकार मिला था, वह अब मिले वायरस से हाल में मिले 20B वायरस से अलग है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Covid-19 Update: डॉक्टर योगेश ने कहा 'वायरस में कुछ बदलाव हुए हैं. इसके अलावा कोरोना वायरस (Corona Virus) दूसरी लहर के दौरान अलग-अलग मौसमों में अलग तरह से व्यवहार कर सकता है.'
- News18Hindi
- Last Updated: December 5, 2020, 7:20 PM IST
नई दिल्ली. कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में शोध (Corona Virus Researches) जारी हैं. इसी बीच नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंसेज के साइंटिस्ट एमेरिटस डॉक्टर योगेश शूच (Dr Yogesh Shouche) ने बड़ा बयान दिया है. शुक्रवार को उन्होंने दावा किया है कि कोविड वायरस के रूप में पहले के मुकाबले अब बदलाव आया है. खास बात है कि महामारी (Pandemic) के दौर में 10 माह से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद वैक्सीन (Corona Vaccine) मिलने के संकेत मिले हैं.
वायरस के मिले थे चार प्रकार
शुक्रवार को एनसीसीएस ऑनलाइन के आयोजित इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2020 (International Science Festival) में बोल रहे डॉक्टर योगेश के मुताबिक, इस साल जून और जुलाई में वायरस का जो प्रकार मिला था, वह अब मिले वायरस से हाल में मिले 20B वायरस से अलग है. डॉक्टर योगेश 'कोविड-19 की वर्तमान स्थित और बदलती प्रकृति' विषय पर बात कर रहे थे. उन्होंने बताया 'नासिक, पुणे और सतारा जिले में जून और जुलाई में हुई हमारी स्टडीज में चार अलग-अलग प्रकार थे. हालांकि, अब हमने केवल 20B देखा है.'
कोरोना वायरस की दूसरी लहर को लेकर भी की चर्चाडॉक्टर योगेश ने आगे कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर ने कई देशों को प्रभावित किया है. उन्होंने बताया 'ऐसा ही कोविड-19 के साथ है. हमें अभी भी यह समझना होगा कि कोविड-19 दूसरी लहर के दौरान कितनी भयंकर होगी.' उन्होंने आशंका जताई की अब वायरस अलग तरीके से हमला कर सकता है. उन्होंने कहा 'वायरस में कुछ बदलाव हुए हैं. इसके अलावा वायरस दूसरी लहर के दौरान अलग-अलग मौसमों में अलग तरह से व्यवहार कर सकता है.' डॉक्टर योगेश ने बताया 'हम दुनियाभर में देख रहे हैं कि दुनिया में मामले बढ़ रहे हैं. इटली, जर्मनी और रूस ने दूसरी लहर देखी है. आंकड़े अब कम हो रहे हैं.'

राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भविष्य शोध पर पड़े असर
नेशनल केमिकल लैब के आयोजित IISF कार्यक्रम में मुंबई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी के कुलपति एबी पंडित ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (National Education Policy) पर भी बात की. उन्होंने कहा 'एनईपी और एनआईएसपी की आवश्यकता और वह क्या कहना चाहती है, इसे समझना बहुत जरूरी है. यह एक आम नजरिया है कि हम बड़ी संख्या में डिग्री धारियों को तैयार कर रहे हैं, जिनमें या तो बिल्कुल कम या न के बराबर क्षमताएं हैं.' उन्होंने बताया कि हमारे लिए आज एनईपी और एनआईएसपी के प्रभावों को देखना संभव नहीं है, लेकिन 5 साल बाद यह नजर आएंगे.
वायरस के मिले थे चार प्रकार
शुक्रवार को एनसीसीएस ऑनलाइन के आयोजित इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2020 (International Science Festival) में बोल रहे डॉक्टर योगेश के मुताबिक, इस साल जून और जुलाई में वायरस का जो प्रकार मिला था, वह अब मिले वायरस से हाल में मिले 20B वायरस से अलग है. डॉक्टर योगेश 'कोविड-19 की वर्तमान स्थित और बदलती प्रकृति' विषय पर बात कर रहे थे. उन्होंने बताया 'नासिक, पुणे और सतारा जिले में जून और जुलाई में हुई हमारी स्टडीज में चार अलग-अलग प्रकार थे. हालांकि, अब हमने केवल 20B देखा है.'
कोरोना वायरस की दूसरी लहर को लेकर भी की चर्चाडॉक्टर योगेश ने आगे कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर ने कई देशों को प्रभावित किया है. उन्होंने बताया 'ऐसा ही कोविड-19 के साथ है. हमें अभी भी यह समझना होगा कि कोविड-19 दूसरी लहर के दौरान कितनी भयंकर होगी.' उन्होंने आशंका जताई की अब वायरस अलग तरीके से हमला कर सकता है. उन्होंने कहा 'वायरस में कुछ बदलाव हुए हैं. इसके अलावा वायरस दूसरी लहर के दौरान अलग-अलग मौसमों में अलग तरह से व्यवहार कर सकता है.' डॉक्टर योगेश ने बताया 'हम दुनियाभर में देख रहे हैं कि दुनिया में मामले बढ़ रहे हैं. इटली, जर्मनी और रूस ने दूसरी लहर देखी है. आंकड़े अब कम हो रहे हैं.'
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भविष्य शोध पर पड़े असर
नेशनल केमिकल लैब के आयोजित IISF कार्यक्रम में मुंबई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी के कुलपति एबी पंडित ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (National Education Policy) पर भी बात की. उन्होंने कहा 'एनईपी और एनआईएसपी की आवश्यकता और वह क्या कहना चाहती है, इसे समझना बहुत जरूरी है. यह एक आम नजरिया है कि हम बड़ी संख्या में डिग्री धारियों को तैयार कर रहे हैं, जिनमें या तो बिल्कुल कम या न के बराबर क्षमताएं हैं.' उन्होंने बताया कि हमारे लिए आज एनईपी और एनआईएसपी के प्रभावों को देखना संभव नहीं है, लेकिन 5 साल बाद यह नजर आएंगे.