फेसबुक विवाद: FB की जवाबदेही पर उलझा BJP और विपक्ष, कांग्रेस ने जुकरबर्ग को भेजा पत्र

Facebook को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच वाक् युद्ध जारी है (सांकेतिक तस्वीर)
जब से 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' (Wall Street Journal) ने खबर प्रकाशित की थी कि फेसबुक (Facebook) भाजपा (BJP) के कुछ नेताओं पर घृणा भरे भाषण के नियमों को लागू करने में अनदेखी करता है, तब से कांग्रेस (Congress) और भाजपा में वाक् युद्ध जारी है.
- News18Hindi
- Last Updated: August 19, 2020, 5:52 AM IST
नई दिल्ली. फेसबुक (Facebook) के अधिकारियों को बुलाने की संभावना को लेकर सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) संबंधी स्थायी संसदीय समिति के भाजपा (BJP) और विपक्षी सदस्यों के बीच मंगलवार को नोकझोंक तेज हो गयी. सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष (Loksabha President) का फैसला अंतिम होना चाहिए वहीं तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) सदस्य महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) ने जोर दिया कि अमेरिकी कंपनी पर जवाबदेही बनती है.
भाजपा नेताओं के संबंध में फेसबुक के रूख के बारे में वॉल स्ट्रीट जर्नल (Wall Street Journal) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर Shashi Tharoor) ने कहा कि समिति रिपोर्ट के बारे में फेसबुक का पक्ष सुनना चाहेगी. थरूर सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी समिति के अध्यक्ष हैं. समिति के समक्ष सोशल मीडिया क्षेत्र की दिग्गज कंपनी को बुलाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए मोइत्रा ने दावा किया, "फेसबुक के पूर्व कर्मचारियों ने अनौपचारिक रूप से हमसे (स्थायी समिति) से संपर्क किया और सूचित किया कि वास्तव में ये मुद्दे फेसबुक के भीतर आंतरिक रूप से सवाल-जवाब सत्र में उठाए गए थे लेकिन इसके बारे में बहुत कुछ नहीं किया गया था. ”
ये भी पढ़ें- 2021 में असम की सत्ता से BJP को हटाने की तैयारी में कांग्रेस, बनेगा महागठबंधन?
मोइत्रा ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि फेसबुक पर काफी हद तक जिम्मेदारी बनती है और न केवल स्थायी संसदीय समिति के लिए, बल्कि भारत के लोगों के लिए भी.
वहीं दुबे ने जोर दिया कि संसदीय समिति संसद का विस्तार है, किसी पार्टी का नहीं या यह राजनीति करने का मंच नहीं है. उन्होंने लोकसभा के कामकाज से संबंधित नियम 270 का हवाला देते हुए कहा कि केवल अध्यक्ष ही सरकार से इतर लोगों को बुला सकते हैं.
समिति में शामिल एक अन्य भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी ने दुबे का समर्थन करते हुए कहा कि समिति का अध्यक्ष होने के नाते थरूर को सार्वजनिक बयान देने से पहले इस मुद्दे पर समिति से परामर्श करना चाहिए था.
बता दें कांग्रेस ने फेसबुक से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में मंगलवार को इस सोशल नेटवर्किंग कंपनी के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को पत्र भेजकर आग्रह किया कि इस पूरे मामले की फेसबुक मुख्यालय की तरफ से उच्च स्तरीय जांच कराई जाए. उधर, भारतीय जनता पार्टी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्ष को लगता है कि जो उनके लायक काम नहीं करता, वह आरएसएस और भाजपा के दबाव में है.
ऐसे शुरू हुआ विवाद
पूरा विवाद अमेरिकी अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की ओर से शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद आरंभ हुआ. इस रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि फेसबुक के वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक भाजपा विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में दखलंदाजी की थी.
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा जुकरबर्ग को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजा गया है.
फेसबुक ने दी थी ये सफाई
उधर, फेसबुक ने इस तरह के आरोपों के बीच सोमवार को सफाई देते हुए कहा कि उसके मंच पर ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है. इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है.

फेसबुक ने इसके साथ ही यह स्वीकार किया है कि वह नफरत फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती है, लेकिन इस दिशा में और बहुत कुछ करने की जरूरत है.
भाजपा नेताओं के संबंध में फेसबुक के रूख के बारे में वॉल स्ट्रीट जर्नल (Wall Street Journal) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर Shashi Tharoor) ने कहा कि समिति रिपोर्ट के बारे में फेसबुक का पक्ष सुनना चाहेगी. थरूर सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी समिति के अध्यक्ष हैं. समिति के समक्ष सोशल मीडिया क्षेत्र की दिग्गज कंपनी को बुलाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए मोइत्रा ने दावा किया, "फेसबुक के पूर्व कर्मचारियों ने अनौपचारिक रूप से हमसे (स्थायी समिति) से संपर्क किया और सूचित किया कि वास्तव में ये मुद्दे फेसबुक के भीतर आंतरिक रूप से सवाल-जवाब सत्र में उठाए गए थे लेकिन इसके बारे में बहुत कुछ नहीं किया गया था. ”
ये भी पढ़ें- 2021 में असम की सत्ता से BJP को हटाने की तैयारी में कांग्रेस, बनेगा महागठबंधन?
A few questions for Facebook pic.twitter.com/Q8T5n7vz4U
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) August 18, 2020
वहीं दुबे ने जोर दिया कि संसदीय समिति संसद का विस्तार है, किसी पार्टी का नहीं या यह राजनीति करने का मंच नहीं है. उन्होंने लोकसभा के कामकाज से संबंधित नियम 270 का हवाला देते हुए कहा कि केवल अध्यक्ष ही सरकार से इतर लोगों को बुला सकते हैं.
समिति में शामिल एक अन्य भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी ने दुबे का समर्थन करते हुए कहा कि समिति का अध्यक्ष होने के नाते थरूर को सार्वजनिक बयान देने से पहले इस मुद्दे पर समिति से परामर्श करना चाहिए था.
बता दें कांग्रेस ने फेसबुक से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में मंगलवार को इस सोशल नेटवर्किंग कंपनी के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को पत्र भेजकर आग्रह किया कि इस पूरे मामले की फेसबुक मुख्यालय की तरफ से उच्च स्तरीय जांच कराई जाए. उधर, भारतीय जनता पार्टी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्ष को लगता है कि जो उनके लायक काम नहीं करता, वह आरएसएस और भाजपा के दबाव में है.
ऐसे शुरू हुआ विवाद
पूरा विवाद अमेरिकी अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की ओर से शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद आरंभ हुआ. इस रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि फेसबुक के वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक भाजपा विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में दखलंदाजी की थी.
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा जुकरबर्ग को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजा गया है.
फेसबुक ने दी थी ये सफाई
उधर, फेसबुक ने इस तरह के आरोपों के बीच सोमवार को सफाई देते हुए कहा कि उसके मंच पर ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है. इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है.
फेसबुक ने इसके साथ ही यह स्वीकार किया है कि वह नफरत फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती है, लेकिन इस दिशा में और बहुत कुछ करने की जरूरत है.