तमिलनाडु की चेहरे की पहचान प्रणाली ने लोगों की निजता को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. (File Photo)
चेन्नई. पुलिस द्वारा अपराधियों की पहचान करने के लिए पिछले साल मुख्यमंत्री एम के स्टालिन द्वारा शुरू की गई चेहरे की पहचान प्रणाली ने अपने शुरुआती दिनों में ही विवाद पैदा कर दिया है. चेन्नई के एक मोटर चालक के साथ रात में की गई जांच ने इस प्रणाली को लेकर विवाद खड़ा कर दिया, जिससे व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने और निजता के अधिकार को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. मामला तब प्रकाश में आया जब 8 दिसंबर को एक ट्विटर यूजर सिद्धार्थ ने चेन्नई पुलिस और ट्रैफिक पुलिस को टैग कर ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने अपनी फोटो लिए जाने पर आपत्ति जताई. उन्होंने ट्वीट में कहा कि ‘कल एक अजीब घटना हुई जब वह अपने घर लौट रहे थे तो थिल्लई गंगा नगर सबवे के पास कुछ पुलिसवालों ने उन्हें रोका, उनके चेहरे की तस्वीर ली और जाने दिया. कारण पूछने पर उन्होंने अनसुना कर दिया.’
इस पर ग्रेटर चेन्नई पुलिस ने अपने जवाब में ट्वीट कर कहा कि रात के समय में घूमने वाले व्यक्तियों को पहचानने के लिए रात के समय चेहरे की पहचान प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है. यह प्रणाली अपराधियों की तत्काल पहचान करने में उपयोगी है. इस प्रक्रिया को लेकर चिंता करने की कोई बात नहीं है. हालांकि पुलिस के इस ट्वीट के आते ही सोशल मीडिया वेबसाइट पर लोगों ने प्रणाली को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए. साथ ही कई लोगों ने ऑरवेलियन प्रणाली की ओर इशारा किया और पूछा कि क्या यह कानूनी भी है?
वहीं बड़े पैमाने पर निगरानी प्रणाली के रूप में भारत की चेहरे की पहचान परियोजनाओं को ट्रैक करने वाली सामुदायिक परियोजना प्रोजेक्ट पैनॉप्टिक ने अपने ट्वीट में कहा कि ‘वह बेहद चिंतित हैं कि चेन्नई पुलिस इस तरह चेहरे की पहचान तकनीक का उपयोग कर रही है. आगे पैनॉप्टिक ने लिखा कि इस तरह का उपयोग पूरी आबादी पर आपराधिकता का अनुमान लगाता है और न केवल आधार के फैसले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करता है बल्कि निजता के अधिकार का भी उल्लंघन करता है. संस्था के अनुसार विभिन्न राज्यों में ऐसे 126 फेशियल रिकग्निशन सिस्टम स्थापित किए गए हैं.’
प्राइवेसी लीक होने का खतरा
अक्टूबर 2021 में स्टालिन द्वारा इस तकनीक को लॉन्च करने के बाद, एक सरकारी बयान में कहा गया था कि चेहरे की पहचान करने वाले सॉफ़्टवेयर का उपयोग पुलिस अधिकारी गश्त पर या वाहनों का निरीक्षण करते समय किसी व्यक्ति के आपराधिक आंकड़ों को जल्दी से प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं. फोटो की तुलना क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग एंड नेटवर्क सिस्टम (सीटीएनएस) पर अपलोड की गई लाखों तस्वीरों से की जा सकती है.
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