वन्यजीव से संघर्ष में मरने वालों के परिजनों को नहीं मिल रहा पर्याप्त मुआवजा

मनुष्यों और वन्य जीवों के बीच टकराव की स्थिति में इंसान का अधिक नुकसान होता है.
उत्तराखंड में वन्य जीवों (Wild Life) के साथ संघर्ष में मानव क्षति होने पर दिया जाने वाला मुआवजा (Compensation) बढ़ा दिया गया है. अभी तक यह मुआवजा तीन लाख रुपये दिया जाता था, पर अब इसमें एक लाख की बढ़ोतरी कर इसे चार लाख रूपये कर दिया गया है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 25, 2021, 12:03 AM IST
नई दिल्ली. एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत में वन्यजीव-मानव के संघर्ष में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया जाता है. जर्नल पीएनएएस में प्रकाशित अध्ययन में भारत में 11 वन्यजीव अभयारण्य के पास 5196 घरों का सर्वेक्षण किया गया है. अध्ययन के मुख्य लेखक और कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय से जुड़े सुमीत गुलाटी ने बताया कि वन्यजीव मानव टकराव में इंसान काफी नुकसान उठाता है.
शोधार्थियों ने कहा कि मानव-वन्यजीव के टकराव में इंसान की मौत होने पर हरियाणा में 76,400 रुपये से लेकर महाराष्ट्र में 8,73,995 रुपये तक मुआवजे का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि मानव की मौत होने पर देश में औसतन 1,91,437 रुपये का मुआवजा मिलता है जबकि घायल होने पर औसतन 6,185 रुपये का मुआवजा दिया जाता है.
शोधार्थियों के मुताबिक, मानव के हताहत होने पर बेहतर मुआवजा दिए जाने से प्रजातियों के संरक्षण की चाह रखने वाले लोगों के प्रति द्वेष को कम किया जा सकता है. गुलाटी ने कहा कि अगर सरकारों ने मानव जीवन के नुकसान के वास्तविक मूल्य की सटीक समझ के आधार पर संघर्ष को कम करने के उपाय किए तो टकराव और द्वेष कम होगा, जिससे जंगल के पास रहने वाले और वन में रहने वालों जीवों के बारे में फिक्रमंद लोगों के लिए बेहतर होगा.
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उत्तराखंड में वन्य जीवों (Wild Life) के साथ संघर्ष में मानव क्षति होने पर दिया जाने वाला मुआवजा (Compensation) बढ़ा दिया गया है. अभी तक यह मुआवजा तीन लाख रुपये दिया जाता था, पर अब इसमें एक लाख की बढ़ोतरी कर इसे चार लाख रूपये कर दिया गया है. सोमवार को यह जानकारी रामनगर (Ramnagar) पहुंचे प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी ने दी. उन्होंने कहा कि मनुष्यों से वन्य जीवों के टकराव को कम करने के लिए कई उपायों पर काम चल रहा है, जिनमें प्रमुख रूप से कॉर्बेट (Jim Corbet) में वोलेंट्री विलेज प्रोटेक्शन फोर्स का गठन किया जा रहा है. इसके तहत 98 लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.
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वन विभाग और जनता की भागीदारी से वन्य जीवों की संख्या बढ़ी
प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी ने कहा कि यह ट्रेंड लोग आबादी के पास आ रहे वन्य जीवों पर नजर रख उन्हें रेस्क्यू करने में मदद करेंगे. इसके साथ ही ढेला में रेस्क्यू सेंटर की स्थापना की जा रही है जिससे यहां घायल और बीमार वन्य जीवों का इलाज किया जा सके. भरतरी ने कहा कि वन विभाग और स्थानीय जनता की भागीदारी से ही वन्य जीवों की संख्या बढ़ी है, जो गौरव की बात है. लेकिन दोनों के बीच बढ़ते संघर्ष को कम करना भी बहुत बड़ी चुनौती है. उन्होंने बाघ और हाथी जैसे वन्य जीवों के बढ़ने पर जहां खुशी जताई. वहीं मनुष्यों और वन्य जीवों के बीच संघर्ष को कम करने को विभाग की प्राथमिकता बताई. प्रमुख वन संरक्षक ने वन्य जीवों की गणना कर उनका डेटा जुटाने पर भी बल दिया. अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, गैरसैण और हल्द्वानी में बंदर बाड़े बनाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि इसके लिए कैंपा से बजट रिलीज हो गया है. कॉर्बेट में टूरिज्म के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए वन पंचायतों में भी पर्यटन गतिविधियां शुरू करने पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने यहां पर्यटन कारोबारियों से बात करते हुए आमडंडा में दो मंजिला पार्किंग बनाने पर सहमति दी.
शोधार्थियों ने कहा कि मानव-वन्यजीव के टकराव में इंसान की मौत होने पर हरियाणा में 76,400 रुपये से लेकर महाराष्ट्र में 8,73,995 रुपये तक मुआवजे का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि मानव की मौत होने पर देश में औसतन 1,91,437 रुपये का मुआवजा मिलता है जबकि घायल होने पर औसतन 6,185 रुपये का मुआवजा दिया जाता है.
शोधार्थियों के मुताबिक, मानव के हताहत होने पर बेहतर मुआवजा दिए जाने से प्रजातियों के संरक्षण की चाह रखने वाले लोगों के प्रति द्वेष को कम किया जा सकता है. गुलाटी ने कहा कि अगर सरकारों ने मानव जीवन के नुकसान के वास्तविक मूल्य की सटीक समझ के आधार पर संघर्ष को कम करने के उपाय किए तो टकराव और द्वेष कम होगा, जिससे जंगल के पास रहने वाले और वन में रहने वालों जीवों के बारे में फिक्रमंद लोगों के लिए बेहतर होगा.
उत्तराखंड में वन्य जीवों (Wild Life) के साथ संघर्ष में मानव क्षति होने पर दिया जाने वाला मुआवजा (Compensation) बढ़ा दिया गया है. अभी तक यह मुआवजा तीन लाख रुपये दिया जाता था, पर अब इसमें एक लाख की बढ़ोतरी कर इसे चार लाख रूपये कर दिया गया है. सोमवार को यह जानकारी रामनगर (Ramnagar) पहुंचे प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी ने दी. उन्होंने कहा कि मनुष्यों से वन्य जीवों के टकराव को कम करने के लिए कई उपायों पर काम चल रहा है, जिनमें प्रमुख रूप से कॉर्बेट (Jim Corbet) में वोलेंट्री विलेज प्रोटेक्शन फोर्स का गठन किया जा रहा है. इसके तहत 98 लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.
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वन विभाग और जनता की भागीदारी से वन्य जीवों की संख्या बढ़ी
प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी ने कहा कि यह ट्रेंड लोग आबादी के पास आ रहे वन्य जीवों पर नजर रख उन्हें रेस्क्यू करने में मदद करेंगे. इसके साथ ही ढेला में रेस्क्यू सेंटर की स्थापना की जा रही है जिससे यहां घायल और बीमार वन्य जीवों का इलाज किया जा सके. भरतरी ने कहा कि वन विभाग और स्थानीय जनता की भागीदारी से ही वन्य जीवों की संख्या बढ़ी है, जो गौरव की बात है. लेकिन दोनों के बीच बढ़ते संघर्ष को कम करना भी बहुत बड़ी चुनौती है. उन्होंने बाघ और हाथी जैसे वन्य जीवों के बढ़ने पर जहां खुशी जताई. वहीं मनुष्यों और वन्य जीवों के बीच संघर्ष को कम करने को विभाग की प्राथमिकता बताई. प्रमुख वन संरक्षक ने वन्य जीवों की गणना कर उनका डेटा जुटाने पर भी बल दिया. अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, गैरसैण और हल्द्वानी में बंदर बाड़े बनाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि इसके लिए कैंपा से बजट रिलीज हो गया है. कॉर्बेट में टूरिज्म के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए वन पंचायतों में भी पर्यटन गतिविधियां शुरू करने पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने यहां पर्यटन कारोबारियों से बात करते हुए आमडंडा में दो मंजिला पार्किंग बनाने पर सहमति दी.