IMF ने की नए कृषि कानूनों की तारीफ, कहा- कृषि सुधारों के लिए ये महत्वपूर्ण कदम

किसानों का आंदोलन (फोटो- AP)
New Farm Laws: कृषि कानूनों के मुद्दे पर गतिरोध को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल की पहली बैठक 19 जनवरी को होने की संभावना है, ऐसे में शुक्रवार को केंद्र सरकार और किसान संघों के बीच इस मुद्दे पर यह अंतिम बैठक हो सकती है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 15, 2021, 3:35 PM IST
नई दिल्ली/वॉशिंगटन. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) ने नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) की तारीफ की है. IMF ने कहा है कि ये कानून कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए बेहद महत्वपूर्ण कदम है. ये बातें IMF की एक प्रवक्ता गैरी राइस ने कहीं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि इस कानून का असर जिन लोगों पर पड़ेगा उन्हें सामाजिक सुरक्षा देने की भी जरूरत है.
बता दें कि भारत में किसान आंदोलन को लेकर गैरी राइस से सवाल पूछे गए थे. प्रेस कॉन्फ्रेस में उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि भारत में कृषि सुधारों के लिए ये कानून महत्वपूर्ण कदम है. इससे किसान सीधे विक्रेता के साथ करार कर पाएंगे. इससे बिचौलिए की भूमिका भी खत्म होगी. साथ ही इससे गांवों के विकास में भी मदद मिलेगी. हालांकि ये जरूरी है कि उन लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिले जिन पर इस नए कानून का असर पड़ेगा.'
सरकार के साथ हो सकती है बातचीतइस बीच कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने कहा कि वे सरकार के साथ नौवें दौर की वार्ता में भाग लेंगे, लेकिन उन्हें इस बातचीत से ज्यादा उम्मीद नहीं है, क्योंकि वे विवादित कानूनों को वापस लिए जाने से कम पर नहीं मानेंगे. कृषि कानूनों के मुद्दे पर गतिरोध को खत्म करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल की पहली बैठक 19 जनवरी को होने की संभावना है, ऐसे में शुक्रवार को केंद्र सरकार और किसान संघों के बीच इस मुद्दे पर यह अंतिम बैठक हो सकती है.

कमेटी पर सवाल?
किसान संगठनों का कहना है कि वे सरकार के साथ निर्धारित वार्ता में हिस्सा लेने को तैयार हैं, लेकिन उन्होंने न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल के समक्ष उपस्थित होने से इनकार किया है और उसके सदस्यों पर भी सवाल उठाया है. भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने गुरुवार को कहा कि वो न्यायालय द्वारा नियुक्त चार सदस्यीय समिति से खुद को अलग कर रहे हैं.
बता दें कि भारत में किसान आंदोलन को लेकर गैरी राइस से सवाल पूछे गए थे. प्रेस कॉन्फ्रेस में उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि भारत में कृषि सुधारों के लिए ये कानून महत्वपूर्ण कदम है. इससे किसान सीधे विक्रेता के साथ करार कर पाएंगे. इससे बिचौलिए की भूमिका भी खत्म होगी. साथ ही इससे गांवों के विकास में भी मदद मिलेगी. हालांकि ये जरूरी है कि उन लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिले जिन पर इस नए कानून का असर पड़ेगा.'
सरकार के साथ हो सकती है बातचीतइस बीच कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने कहा कि वे सरकार के साथ नौवें दौर की वार्ता में भाग लेंगे, लेकिन उन्हें इस बातचीत से ज्यादा उम्मीद नहीं है, क्योंकि वे विवादित कानूनों को वापस लिए जाने से कम पर नहीं मानेंगे. कृषि कानूनों के मुद्दे पर गतिरोध को खत्म करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल की पहली बैठक 19 जनवरी को होने की संभावना है, ऐसे में शुक्रवार को केंद्र सरकार और किसान संघों के बीच इस मुद्दे पर यह अंतिम बैठक हो सकती है.
कमेटी पर सवाल?
किसान संगठनों का कहना है कि वे सरकार के साथ निर्धारित वार्ता में हिस्सा लेने को तैयार हैं, लेकिन उन्होंने न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल के समक्ष उपस्थित होने से इनकार किया है और उसके सदस्यों पर भी सवाल उठाया है. भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने गुरुवार को कहा कि वो न्यायालय द्वारा नियुक्त चार सदस्यीय समिति से खुद को अलग कर रहे हैं.