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केंद्र सरकार ने फिर साधा किसानों से संपर्क, मांगों पर जल्द दे सकती है लिखित आश्वासन

देश के कई हिस्सों में किसान संगठनों द्वारा कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा था. (फाइल फोटो)

देश के कई हिस्सों में किसान संगठनों द्वारा कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा था. (फाइल फोटो)

Centre Govt vs Farmers Protest: बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द किसानों को उनकी मांगों पर लिखित आश्वासन दे सकती है ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्ली. कृषि कानून वापस लिए जाने के बावजूद अपनी मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि केंद्र सरकार ने फिर कुछ किसान नेताओं से संपर्क साधा है. बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द किसानों को उनकी मांगों पर लिखित आश्वासन दे सकती है. हरियाणा में किसानों पर हुए मुक़दमों की वापसी पर केंद्र सरकार आज ही किसानों को पत्र जारी कर सकती है. लिखित आश्वासन के बाद किसान संगठन आंदोलन वापसी का फ़ैसला ले सकते हैं.

    यह खबर ऐसे समय में आई है, जबकि तीन दिन पहले ही चार दिसंबर को एसकेएम ने प्रदर्शन स्थल व दिल्ली से लगती सीमा सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक में फैसला किया था कि किसान सभी मांगें पूरी होने तक अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे. एसकेएम ने एक बयान जारी कर बताया था कि मोर्चा ने इसके साथ ही आगे की रणनीति और केंद्र सरकार से बातचीत करने के लिए पांच सदस्यों की समिति बनाई है जिसमें बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, युद्धवीर सिंह, शिवकुमार कक्का और अशोक धावले को शामिल किया गया है.

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    इस बीच, हरियाणा सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के द्वारा हुई महत्वपूर्ण बैठक के बाद अब किसान नेताओं की दूसरी बैठक चल रही है. हरियाणा सरकार के नियुक्त अधिकारी द्वारा दिए गए कई आश्वासन के बाद उन मुद्दों पर अगली रणनीति और किसान आंदोलन की रूपरेखा के लिए सिंघु बॉर्डर पर बैठक चल रही है.

    MSP कानून गारंटी, किसानों पर दर्ज मामले सहित अन्य मांगों पर अड़े किसान
    दरअसल चार दिसंबर को हुई बैठक में केंद्र सरकार को किसानों पर दर्ज मामले लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून की गांरटी, मुआवजे और बाकी मांगों के बारे में स्थिति स्पष्ट करने के लिए दो दिन का समय दिया गया था. इसी को लेकर आज भी किसान नेताओं के बीच चर्चा हुई है और अब वे अपनी आगे की रणनीति का ऐलान करेंगे.

    गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही दोनों सदन में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए विधेयक पारित किया गया था. किसान इन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर पिछले एक साल से आंदोलनरत हैं.

    Tags: Farmers movement, Farmers Protest, Samyukt Kisan Morcha

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