Kisan Andolan: किसान नेता राकेश टिकैत का ऐलान- अक्टूबर से पहले खत्म नहीं होगा आंदोलन

राकेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि किसान आंदोलन अक्टूबर से पहले खत्म नहीं होगा और हमारा नारा है कि कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं.(PICS: ANI)
Farmers Protest: भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने मंगलवार को कहा कि "जब तक कानून वापसी नहीं होती है, घर वापसी नहीं' होगी.
- News18Hindi
- Last Updated: February 2, 2021, 5:33 PM IST
नई दिल्ली. भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने मंगलवार को कहा कि किसान आंदोलन (Farmers Movement) अक्टूबर से पहले खत्म नहीं होगा और हमारा नारा है कि कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं. इससे पहले शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने मंगलवार को दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर में किसानों के प्रदर्शन स्थल पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत से मुलाकात की. किसानों के विरोध स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. राउत दोपहर में करीब एक बजे यहां पहुंचे और मंच के पास टिकैत और अन्य प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की. उस समय राउत सहित कुछ लोगों ने ही मास्क पहन रखे थे. राउत ने कहा, ‘‘26 जनवरी के बाद जिस तरह से यहां तोड़फोड़ हुई और टिकैत तथा आंदोलन के दमन की कोशिश की गई, हमने महसूस किया कि किसानों के साथ खड़े रहना और पूरे महाराष्ट्र, शिवसेना और उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) साहब की ओर से समर्थन करना हमारी जिम्मेदारी है.'
टिकैत ने कहा कि किसानों का विरोध राजनीतिक नहीं है और किसी राजनीतिक दल के नेता को मंच पर स्थान या माइक नहीं दिया गया है. वर्ष 2019 तक भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की प्रमुख सहयोगी शिवसेना उन 19 विपक्षी दलों में से एक है, जिसने 29 जनवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया और किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया है. इससे पहले शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल, समाजवादी पार्टी सहित अन्य दलों के नेताओं ने गाजीपुर का दौरा किया था. बीकेयू के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी किसान दो महीने से अधिक समय से यहां डटे हुए हैं. प्रदर्शनकारी किसान नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
शुरू में किसान संगठनों ने कहा था कि उनका आंदोलन राजनीतिक नहीं है, लेकिन हाल ही में उन्होंने खुले मन से नेताओं का स्वागत किया है. राकेश टिकैत ने 31 जनवरी को कहा था कि संयुक्त किसान मोर्चा ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में राजनीतिक दलों को अनुमति नहीं दी थी, लेकिन विरोध स्थलों पर 'लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाने के बाद ही' राजनीतिक दलों से समर्थन लिया.
इस बीच यूपी गेट (गाजीपुर सीमा) पर मंगलवार को लोहे और कंक्रीट ढांचे से बैरीकेड लगा दिए गए और बाड़बंदी कर दी गई. इसके अलावा सड़कों पर कीलें लगा दी गईं ताकि कोई प्रदर्शनकारी दिल्ली की ओर नहीं बढ़ सके. विरोध स्थल पर इंटरनेट सेवा भी निलंबित कर दी गई है.
टिकैत ने कहा कि किसानों का विरोध राजनीतिक नहीं है और किसी राजनीतिक दल के नेता को मंच पर स्थान या माइक नहीं दिया गया है. वर्ष 2019 तक भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की प्रमुख सहयोगी शिवसेना उन 19 विपक्षी दलों में से एक है, जिसने 29 जनवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया और किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया है. इससे पहले शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल, समाजवादी पार्टी सहित अन्य दलों के नेताओं ने गाजीपुर का दौरा किया था. बीकेयू के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी किसान दो महीने से अधिक समय से यहां डटे हुए हैं. प्रदर्शनकारी किसान नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
शुरू में किसान संगठनों ने कहा था कि उनका आंदोलन राजनीतिक नहीं है, लेकिन हाल ही में उन्होंने खुले मन से नेताओं का स्वागत किया है. राकेश टिकैत ने 31 जनवरी को कहा था कि संयुक्त किसान मोर्चा ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में राजनीतिक दलों को अनुमति नहीं दी थी, लेकिन विरोध स्थलों पर 'लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाने के बाद ही' राजनीतिक दलों से समर्थन लिया.
इस बीच यूपी गेट (गाजीपुर सीमा) पर मंगलवार को लोहे और कंक्रीट ढांचे से बैरीकेड लगा दिए गए और बाड़बंदी कर दी गई. इसके अलावा सड़कों पर कीलें लगा दी गईं ताकि कोई प्रदर्शनकारी दिल्ली की ओर नहीं बढ़ सके. विरोध स्थल पर इंटरनेट सेवा भी निलंबित कर दी गई है.