Farmers Protest: सिंघू बॉर्डर पर मुश्किल समय में स्थानीय लोग कर रहे हैं किसानों की मदद

कई किसानों ने कहा कि गणतंत्र दिवस की घटना के बाद स्थिति और खराब हुई है (सांकेतिक तस्वीर)
Farmers Protest: कई किसानों ने कहा कि गणतंत्र दिवस की घटना के बाद स्थिति और खराब हुई है. उनका आरोप है कि सुरक्षा बढ़ाना और लोगों एवं गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगाने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें खाना, पानी और बिजली जैसी बुनियादी जरूरत की चीज़ें भी न मिलें.
- भाषा
- Last Updated: February 3, 2021, 12:11 AM IST
नई दिल्ली. दिल्ली के सिंघू बॉर्डर (Singhu Border) पर तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में जारी आंदोलन के दौरान बिजली कटौती, पानी और साफ-सफाई के अभाव जैसी समस्याओं का सामना कर रहे किसानों की स्थानीय लोग मदद कर रहे हैं. स्थानीय लोग किसानों को बिजली से लेकर अपने घरों के शौचालयों तक के इस्तेमाल की इजाजत दे रहे हैं. किसान सिंघू बॉर्डर के दिल्ली-हरियाणा राजमार्ग पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
पंजाब के पटिलाया जिले के रहने वाले धर्मेंद्र सिंह ने बताया, ' हम 27 जनवरी से रात में बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं. अगर स्थानीय लोग नहीं होते तो हमें पूरी रात बिना बिजली के रहना पड़ता. वे बिजली देकर और अन्य चीजे देकर हमारी मदद कर रहे हैं और हमसे शुल्क भी नहीं ले रहे हैं.' उन्होंने कहा कि शुरुआत में तो चिंता हो रही थी कि कहीं रात के अंधेरे का फायदा शरारती तत्व न उठा लें. ईश्वर का शुक्र है कि स्थानीय लोगों की मदद और स्वयंसेवकों की एक टीम 24 घंटे निगरानी करती है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो.
ये भी पढ़ें- किसान मोर्चा का दावा, 115 प्रदर्शनकारी तिहाड़ जेल में; केजरीवाल से की खास अपील
लोगों ने कहा अधिकारों की लड़ाई में हम किसानों के साथपटियाला के ही अन्य किसान अवतार सिंह कहते हैं कि स्थानीय लोग 'अधिकारों की लड़ाई' में उनके साथ खड़े हैं. अवतार सिंह ने कहा, 'आसपास के लोग हमारी महिलाओं की हर संभव तरीके से मदद कर रहे हैं. वे उन्हें अपने शौचालय इस्तेमाल करने दे रहे हैं. वे जानते हैं कि सरकार हमारे आंदोलन को कुचलना चाहती है और वे हमारी दिल से मदद कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उनकी मांगे न माने जाने तक वे एक इंच नहीं हिलेंगे.
अवतार सिंह ने कहा कि स्थानीय लोगों ने हमेशा से काफी अच्छा बर्ताव किया. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ दिन पहले प्रदर्शन स्थल पर हुआ हमला स्थानीय लोगों ने नहीं किया था, बल्कि एक राजनीतिक पार्टी द्वारा भेजे गए गुंडों ने किया था.
तीन जनवरी को सिंघू बॉर्डर पर राजमार्ग के एक हिस्से में किसानों और कुछ लोगों के बीच संघर्ष हुआ था. इन लोगों का दावा था कि वे स्थानीय हैं.
ये भी पढ़ें- नहीं रहे ब्रिटेन के 'लॉकडाउन हीरो' टॉम, कोरोना से जंग में निभाया था अहम रोल
कई किसानों ने कहा कि गणतंत्र दिवस की घटना के बाद स्थिति और खराब हुई है. उनका आरोप है कि सुरक्षा बढ़ाना और लोगों एवं गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगाने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें खाना, पानी और बिजली जैसी बुनियादी जरूरत की चीज़ें भी न मिलें.
इंटरनेट पर रोक से उनकी परेशानी में और इजाफा हुआ है और वे बाहरी दुनिया से कटा हुआ महसूस कर रहे हैं.

पंजाब के अमृतसर के पलविंदर सिंह ने कहा, ' सरकार ने इंटनेट प्रतिबंधित कर दिया और कंक्रीट के डिवाइडर से सड़कों को बंद कर दिया ताकि लोगों को प्रदर्शन के बारे में जानकारी न मिले और वे यहां न आएं.'
पंजाब के पटिलाया जिले के रहने वाले धर्मेंद्र सिंह ने बताया, ' हम 27 जनवरी से रात में बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं. अगर स्थानीय लोग नहीं होते तो हमें पूरी रात बिना बिजली के रहना पड़ता. वे बिजली देकर और अन्य चीजे देकर हमारी मदद कर रहे हैं और हमसे शुल्क भी नहीं ले रहे हैं.' उन्होंने कहा कि शुरुआत में तो चिंता हो रही थी कि कहीं रात के अंधेरे का फायदा शरारती तत्व न उठा लें. ईश्वर का शुक्र है कि स्थानीय लोगों की मदद और स्वयंसेवकों की एक टीम 24 घंटे निगरानी करती है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो.
ये भी पढ़ें- किसान मोर्चा का दावा, 115 प्रदर्शनकारी तिहाड़ जेल में; केजरीवाल से की खास अपील
लोगों ने कहा अधिकारों की लड़ाई में हम किसानों के साथपटियाला के ही अन्य किसान अवतार सिंह कहते हैं कि स्थानीय लोग 'अधिकारों की लड़ाई' में उनके साथ खड़े हैं. अवतार सिंह ने कहा, 'आसपास के लोग हमारी महिलाओं की हर संभव तरीके से मदद कर रहे हैं. वे उन्हें अपने शौचालय इस्तेमाल करने दे रहे हैं. वे जानते हैं कि सरकार हमारे आंदोलन को कुचलना चाहती है और वे हमारी दिल से मदद कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उनकी मांगे न माने जाने तक वे एक इंच नहीं हिलेंगे.
अवतार सिंह ने कहा कि स्थानीय लोगों ने हमेशा से काफी अच्छा बर्ताव किया. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ दिन पहले प्रदर्शन स्थल पर हुआ हमला स्थानीय लोगों ने नहीं किया था, बल्कि एक राजनीतिक पार्टी द्वारा भेजे गए गुंडों ने किया था.
तीन जनवरी को सिंघू बॉर्डर पर राजमार्ग के एक हिस्से में किसानों और कुछ लोगों के बीच संघर्ष हुआ था. इन लोगों का दावा था कि वे स्थानीय हैं.
ये भी पढ़ें- नहीं रहे ब्रिटेन के 'लॉकडाउन हीरो' टॉम, कोरोना से जंग में निभाया था अहम रोल
कई किसानों ने कहा कि गणतंत्र दिवस की घटना के बाद स्थिति और खराब हुई है. उनका आरोप है कि सुरक्षा बढ़ाना और लोगों एवं गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगाने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें खाना, पानी और बिजली जैसी बुनियादी जरूरत की चीज़ें भी न मिलें.
इंटरनेट पर रोक से उनकी परेशानी में और इजाफा हुआ है और वे बाहरी दुनिया से कटा हुआ महसूस कर रहे हैं.
पंजाब के अमृतसर के पलविंदर सिंह ने कहा, ' सरकार ने इंटनेट प्रतिबंधित कर दिया और कंक्रीट के डिवाइडर से सड़कों को बंद कर दिया ताकि लोगों को प्रदर्शन के बारे में जानकारी न मिले और वे यहां न आएं.'