जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी हिंसा के पीछे विदेशी साजिश: सुब्रमण्यम स्वामी

लखनऊ के नदवा कॉलेज में विरोध के दौरान छात्रों ने पुलिस पर पथराव किया. (फाइल फोटो)
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia Islamia University) के बाहर 15 दिसंबर की रात को हुए बवाल (Incident) में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने 10 युवकों को गिरफ्तार किया है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 17, 2019, 4:24 PM IST
नई दिल्ली. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia Islamia University) की हिंसा के पीछे विदेशी साजिश (Foreign Conspiracy) होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. सीएए का जो विरोध कर रहे हैं इसके पीछे दो दुष्ट शक्तियां एक कांग्रेस (Congress) पार्टी और दूसरी विदेशी शक्तियां हैं, जो भारत को पनपते हुए नहीं देखना चाहती हैं और हिंदुओं (Hindu) को बिखेरना चाहती हैं इसमें अमेरिका (America) की रिलीजियस बॉडी वेटिकन (Vatican) भी है. इसमें ब्रेकिंग इंडिया फोर्सेज काम कर रही हैं. लोगों को भड़काया जा रहा है... ये कहना है बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का.
पुलिस ने बवाल के आरोपी 10 युवकों को किया है गिरफ्तार
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बाहर 15 दिसंबर की रात को हुए बवाल में दिल्ली पुलिस ने 10 युवकों को गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है कि सभी युवकों का आपराधिक रिकॉर्ड है. हालांकि पुलिस ने यह भी साफ किया कि इनमें से कोई भी जामिया यूनिवर्सिटी का छात्र नहीं है. पुलिस ने बवाल के दौरान बस जलाए जाने वाले मामले में आरोपी युवकों से पूछताछ शुरु कर दी है. वहीं पुलिस ने यह भी कहा है कि छात्रों को अभी क्लीन चिट नहीं दी गई है और मामले की जांच की जा रही है.
पुलिस पर लगे थे गोली चलाने के ये आरोपरविवार को 15 दिसम्बर की घटना के बाद से दिल्ली पुलिस पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों पर लाठीचार्ज, यूनिवर्सिटी के अंदर घुसने और फायरिंग करने के आरोप लगे थे. सोशल मीडिया पर भी ये अफवाह फैलाई जा रही थी कि पुलिस की गोली लगने से घायल हुए दो छात्र अस्पताल में भर्ती हैं. लेकिन ये सिर्फ एक अफवाह ही साबित हुई. यूनिवर्सिटी की वीसी नज़मा अख्तर ने भी खुद फायरिंग होने की घटना से इनकार किया है.

पुलिस ने दर्ज किए थे दो मामले
जामिया में भड़की हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दो केस दर्ज किए थे. पहला केस न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और दूसरा मामला जामिया नगर थाने में दर्ज किया गया. पुलिस ने आगजनी, दंगा फैलाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान और सरकार काम में बाधा पहुंचाने के तहत केस दर्ज किया है.
नदवा और डीयू में भी हुआ था विरोध-प्रदर्शन
जामिया हिंसा के बाद लखनऊ के नदवा कॉलेज और दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी विरोध-प्रदर्शन हुआ था. नदवा के गेट पर पथराव घटना हुई थी. वहीं डीयू के विरोध-प्रदर्शन को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों पर डीयू के अंदर दाखिल होने का भी आरोप लगा था. एएमयू और जेएनयू में भी विरोध-प्रदर्शन हुए थे.
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पुलिस ने बवाल के आरोपी 10 युवकों को किया है गिरफ्तार
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बाहर 15 दिसंबर की रात को हुए बवाल में दिल्ली पुलिस ने 10 युवकों को गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है कि सभी युवकों का आपराधिक रिकॉर्ड है. हालांकि पुलिस ने यह भी साफ किया कि इनमें से कोई भी जामिया यूनिवर्सिटी का छात्र नहीं है. पुलिस ने बवाल के दौरान बस जलाए जाने वाले मामले में आरोपी युवकों से पूछताछ शुरु कर दी है. वहीं पुलिस ने यह भी कहा है कि छात्रों को अभी क्लीन चिट नहीं दी गई है और मामले की जांच की जा रही है.
पुलिस पर लगे थे गोली चलाने के ये आरोपरविवार को 15 दिसम्बर की घटना के बाद से दिल्ली पुलिस पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों पर लाठीचार्ज, यूनिवर्सिटी के अंदर घुसने और फायरिंग करने के आरोप लगे थे. सोशल मीडिया पर भी ये अफवाह फैलाई जा रही थी कि पुलिस की गोली लगने से घायल हुए दो छात्र अस्पताल में भर्ती हैं. लेकिन ये सिर्फ एक अफवाह ही साबित हुई. यूनिवर्सिटी की वीसी नज़मा अख्तर ने भी खुद फायरिंग होने की घटना से इनकार किया है.
पुलिस ने दर्ज किए थे दो मामले
जामिया में भड़की हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दो केस दर्ज किए थे. पहला केस न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और दूसरा मामला जामिया नगर थाने में दर्ज किया गया. पुलिस ने आगजनी, दंगा फैलाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान और सरकार काम में बाधा पहुंचाने के तहत केस दर्ज किया है.
नदवा और डीयू में भी हुआ था विरोध-प्रदर्शन
जामिया हिंसा के बाद लखनऊ के नदवा कॉलेज और दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी विरोध-प्रदर्शन हुआ था. नदवा के गेट पर पथराव घटना हुई थी. वहीं डीयू के विरोध-प्रदर्शन को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों पर डीयू के अंदर दाखिल होने का भी आरोप लगा था. एएमयू और जेएनयू में भी विरोध-प्रदर्शन हुए थे.
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