कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सरदार बूटा सिंह का 86 वर्ष की उम्र में निधन

बूटा सिंह अपने लंबे राजनीतिक सफर के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री और खेल मंत्री रहे.
21 मार्च, 1934 को पंजाब (Punjab) के जालंधर जिले के मुस्तफापुर गांव में जन्मे सरदार बूटा सिंह (Sardar Buta Singh) 8 बार लोकसभा के लिए चुने गए. अपने लंबे राजनीतिक सफर के दौरान वह भारत सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री और खेल मंत्री रहे.
- News18Hindi
- Last Updated: January 2, 2021, 12:11 PM IST
नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सरदार बूटा सिंह (Sardar Buta Singh) का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह 86 वर्ष के थे. 21 मार्च, 1934 को पंजाब (Punjab) के जालंधर जिले के मुस्तफापुर गांव में जन्मे सरदार बूटा सिंह 8 बार लोकसभा (Lok Sabha) के लिए चुने गए.
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ दलित नेता सरदार बूटा सिंह को दलितों का मसीहा कहा जाता था. नेहरू और गांधी परिवार के काफी करीब रहे सरदार बूटा सिंह अपने लंबे राजनीतिक सफर के दौरान भारत सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री और खेल मंत्री रहे. इसके साथ ही उन्होंने बिहार के राज्यपाल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण विभागों का संचालन किया.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के कई अन्य नेताओं ने बूटा सिंह के निधन पर दुख जताया और उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'सरदार बूटा सिंह जी के देहांत से देश ने एक सच्चा जनसेवक और निष्ठावान नेता खो दिया है. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और जनता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा. इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएं.'
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बूटा सिंह के निधन पर शोक जताया और उन्हें अनुभवी प्रशासक के साथ गरीबों के कल्याण की प्रभावी आवाज बताया. पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा, 'बूटा सिंह एक अनुभवी प्रशासक और गरीबों तथा वंचितों के कल्याण के प्रभावी आवाज थे. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं.'
सरदार बूटा सिंह की मौत को कांग्रेस पार्टी में एक बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है. बता दें कि सरदार बूटा सिंह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे. बूटा सिंह के परिजनों ने बताया कि शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.

बता दें कि 1977 में जनता लहर के चलते जब कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था उस वक्त कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से टूट की कगार पर आ गई थी. इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के एकमात्र राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कड़ी मेहनत की और पार्टी को 1980 में फिर से सत्ता में लाने में अहम योगदान दिया.
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ दलित नेता सरदार बूटा सिंह को दलितों का मसीहा कहा जाता था. नेहरू और गांधी परिवार के काफी करीब रहे सरदार बूटा सिंह अपने लंबे राजनीतिक सफर के दौरान भारत सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री, कृषि मंत्री, रेल मंत्री और खेल मंत्री रहे. इसके साथ ही उन्होंने बिहार के राज्यपाल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण विभागों का संचालन किया.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के कई अन्य नेताओं ने बूटा सिंह के निधन पर दुख जताया और उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'सरदार बूटा सिंह जी के देहांत से देश ने एक सच्चा जनसेवक और निष्ठावान नेता खो दिया है. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और जनता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा. इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएं.'
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बूटा सिंह के निधन पर शोक जताया और उन्हें अनुभवी प्रशासक के साथ गरीबों के कल्याण की प्रभावी आवाज बताया. पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा, 'बूटा सिंह एक अनुभवी प्रशासक और गरीबों तथा वंचितों के कल्याण के प्रभावी आवाज थे. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं.'
Shri Buta Singh Ji was an experienced administrator and effective voice for the welfare of the poor as well as downtrodden. Saddened by his passing away. My condolences to his family and supporters: PM Narendra Modi (file photo) https://t.co/DFBXUkWaOf pic.twitter.com/PHOgjOzIZc
— ANI (@ANI) January 2, 2021
सरदार बूटा सिंह की मौत को कांग्रेस पार्टी में एक बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है. बता दें कि सरदार बूटा सिंह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे. बूटा सिंह के परिजनों ने बताया कि शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.
बता दें कि 1977 में जनता लहर के चलते जब कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था उस वक्त कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से टूट की कगार पर आ गई थी. इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के एकमात्र राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कड़ी मेहनत की और पार्टी को 1980 में फिर से सत्ता में लाने में अहम योगदान दिया.