कभी फैक्ट्री में 50 रुपये के लिए काम करने वाला युवक बना आर्मी अफसर, ले. बालबांका के संघर्ष की कहानी

IMA से ग्रेजुएट होने के बाद अपनी मां, पत्नी और बेटी के साथ बालबांका तिवारी. फोटो- Twitter
बिहार में आरा के रहने वाले बालबांका तिवारी (Balbanka Tiwari) ने लाख संघर्षों के बावजूद कभी भी आर्मी जॉइन करने के अपने सपने का पीछा नहीं छोड़ा.
- News18Hindi
- Last Updated: December 15, 2020, 7:39 PM IST
नई दिल्ली. कहते हैं कि - ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले, ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है... . बिहार (Bihar) के आरा (Arrah) के रहने वाले 28 वर्षीय बालबांका तिवारी (Balbanka Tiwari) ने इसे सच साबित कर दिखाया है. इंडियन मिलिट्री एकेडमी से शनिवार को ग्रेजुएट हुए बालबांका तिवारी का आर्मी में सफर एक सिपाही से ऑफिसर तक है, लेकिन जिंदगी में संघर्ष का लंबा सफर तय करके उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है. बालबांका तिवारी ने आईएमए से ग्रेजुएट होने के बाद पहली बार अपनी मां, पत्नी और चार महीने की बेटी से मुलाकात की.
गर्व से भरे बालबांका तिवारी ने कहा कि महामारी और अपनी ट्रेनिंग शेड्यूल के चलते वो अपनी बेटी के जन्म पर घर नहीं जा पाए, लेकिन उनका सपना सच साबित हुआ. बालबांका की मां मुन्नी देवी ने बमुश्किल अपने आंसुओं को रोकते हुए कहा, ''मेरे बेटे ने बहुत ज्यादा संघर्ष किया है. उसने 16 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था, ताकि परिवार का सहयोग कर सके और सिर्फ 50-100 रुपये के लिए दिन के 12-12 घंटे काम करता था.''
बिहार में आरा के सुंदरपुर बारजा गांव के रहने वाले बालबांका तिवारी ने कहा कि वह अपने जीवट और भरोसे के बल पर यहां तक पहुंचे हैं. उन्होंने कहा, ''12वीं की पढ़ाई के बाद मैंने आरा छोड़ दिया और ओडिशा के राउरकेला चला गया. शुरुआत में मैंने आयरन स्प्रिंग और रॉड काटने वाली फैक्ट्री में काम किया. उसके बाद नमकीन फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया. लेकिन, मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता रहा और कभी भी आर्मी जॉइन करने के अपने सपने को नहीं छोड़ा.'
तिवारी ने कहा कि आर्मी जॉइन करने की प्रेरणा उनको अपने एक रिश्तेदार से मिली, जो आर्मी में जवान थे. बालबांका ने कहा, ''गांव में उन्हें जिस तरह का सम्मान मिलता था, उसे देखकर मैं वशीभूत था." साल 2012 में बालबांका तिवारी ने भोपाल स्थित आर्मी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स सेंटर का एंट्रेस एग्जाम अपने दूसरे प्रयास में क्वालिफाई कर लिया. और अगले पांच साल उन्होंने एक जवान के तौर पर काम किया.आर्मी सर्विस के दौरान ही बालबांका ने आर्मी कैडेट कॉलेज (ACC) के एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी. ACC आर्मी के सैनिकों को ऑफिसर रैंक तक पहुंचने की सुविधा प्रदान करती है. बालबांका ने तैयारी करते हुए ACC का एंट्रेस एग्जाम 2017 में क्वालिफाई कर लिया.
बालबांका की ये कहानी ट्विटर पर जब सूरज कौल ने शेयर की तो पूर्व आर्मी अफसर सैयद अता हसनैन भी तिवारी की प्रतिबद्धता की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाए... उन्होंने लिखा कि शानदार फोकस, दृढ़ निश्चय और लक्ष्य प्राप्ति की निष्ठा... लेकिन मुझे उम्मीद है कि वो इस ऊर्जा को बरकरार रखेंगे. अक्रियाशील होने से बचें.

आईएमए से ग्रेजुएट होने के बाद तिवारी ने कहा, ''मैं बहुत खुश हूं. अब मैं एक ऑफिसर के तौर पर देश की सेवा कर पाऊंगा.''
गर्व से भरे बालबांका तिवारी ने कहा कि महामारी और अपनी ट्रेनिंग शेड्यूल के चलते वो अपनी बेटी के जन्म पर घर नहीं जा पाए, लेकिन उनका सपना सच साबित हुआ. बालबांका की मां मुन्नी देवी ने बमुश्किल अपने आंसुओं को रोकते हुए कहा, ''मेरे बेटे ने बहुत ज्यादा संघर्ष किया है. उसने 16 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था, ताकि परिवार का सहयोग कर सके और सिर्फ 50-100 रुपये के लिए दिन के 12-12 घंटे काम करता था.''
बिहार में आरा के सुंदरपुर बारजा गांव के रहने वाले बालबांका तिवारी ने कहा कि वह अपने जीवट और भरोसे के बल पर यहां तक पहुंचे हैं. उन्होंने कहा, ''12वीं की पढ़ाई के बाद मैंने आरा छोड़ दिया और ओडिशा के राउरकेला चला गया. शुरुआत में मैंने आयरन स्प्रिंग और रॉड काटने वाली फैक्ट्री में काम किया. उसके बाद नमकीन फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया. लेकिन, मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता रहा और कभी भी आर्मी जॉइन करने के अपने सपने को नहीं छोड़ा.'
तिवारी ने कहा कि आर्मी जॉइन करने की प्रेरणा उनको अपने एक रिश्तेदार से मिली, जो आर्मी में जवान थे. बालबांका ने कहा, ''गांव में उन्हें जिस तरह का सम्मान मिलता था, उसे देखकर मैं वशीभूत था." साल 2012 में बालबांका तिवारी ने भोपाल स्थित आर्मी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स सेंटर का एंट्रेस एग्जाम अपने दूसरे प्रयास में क्वालिफाई कर लिया. और अगले पांच साल उन्होंने एक जवान के तौर पर काम किया.आर्मी सर्विस के दौरान ही बालबांका ने आर्मी कैडेट कॉलेज (ACC) के एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी. ACC आर्मी के सैनिकों को ऑफिसर रैंक तक पहुंचने की सुविधा प्रदान करती है. बालबांका ने तैयारी करते हुए ACC का एंट्रेस एग्जाम 2017 में क्वालिफाई कर लिया.
बालबांका की ये कहानी ट्विटर पर जब सूरज कौल ने शेयर की तो पूर्व आर्मी अफसर सैयद अता हसनैन भी तिवारी की प्रतिबद्धता की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाए... उन्होंने लिखा कि शानदार फोकस, दृढ़ निश्चय और लक्ष्य प्राप्ति की निष्ठा... लेकिन मुझे उम्मीद है कि वो इस ऊर्जा को बरकरार रखेंगे. अक्रियाशील होने से बचें.
Excellent focus, commitment and pursuance of aim. But I hope he will keep this energy going. Must ensure no burnout. https://t.co/1qMSBn7IJ9
— Syed Ata Hasnain (@atahasnain53) December 14, 2020
आईएमए से ग्रेजुएट होने के बाद तिवारी ने कहा, ''मैं बहुत खुश हूं. अब मैं एक ऑफिसर के तौर पर देश की सेवा कर पाऊंगा.''