सौरभ कृपाल ने कोलकाता लिटरेरी मीट में बयान दिया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. वरिष्ठ वकील और अपने समलैंगिक होने को खुले तौर पर स्वीकार करने वाले सौरभ कृपाल ने सरकार की आपत्ति पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने सौरभ को दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश की है. सरकार को सौरभ के समलैंगिक होने पर आपत्ति है. सरकार को लगता है कि सौरभ शायद पक्षपाती हो जाएं. इधर कोलकाता में लिटरेरी मीट के दौरान सौरभ ने कहा कि हर जज का किसी न किसी तरह का दृष्टिकोण होगा.
सौरभ कृपाल ने कहा कि आप खास विचारधारा से हैं इसलिए आप पक्षपाती हैं, यह कहना ठीक नहीं है. और इस कारण से जजों की नियुक्ति पर रोक नहीं लगाना चाहिए. बेंच पर विविधता की आवश्यकता पर सौरभ ने कहा कि ‘वर्तमान में भारतीय न्यायपालिका में बड़े पैमाने पर अपर कास्ट और विषमलैंगिक (हेट्रोसेक्सुअल) जज हैं… जिनमें से सभी के पास एक निश्चित प्रकार का पूर्वाग्रह है. ऐसे में केवल यह कहना कि आप खास विचारधारा से हैं, इसलिए आप योग्य नहीं हैं.
कॉलेजियम सिस्टम पर कहा- जजों का बहुमत बरकरार रहना चाहिए
वहीं उन्होंने कहा कि जब वे संविधान में किसी अस्पष्ट शब्द की व्याख्या करते हैं तो अनिवार्य रूप से उस विशेष शब्द का अर्थ एक अमीर उच्च जाति के परिवार से आने वाले व्यक्ति के लिए अलग और दलित व महिला के लिए अलग होता है. कॉलेजियम सिस्टम के सवाल पर सौरभ कृपाल ने कहा कि आप जो भी नया सिस्टम तैयार करें, यह आवश्यक है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में न्यायाधीशों का बहुमत बरकरार रहे.
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Tags: DELHI HIGH COURT, Supreme Court
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