निसंतान दंपतियों को मोदी सरकार की बड़ी सौगात, बच्चा गोद लेना अब ऐसे हुआ आसान

अब पूरे देश में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को और आसान कर दिया जाएगा.
Child Adoption Process Easier: मोदी सरकार (Modi Government) बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को और आसान करने जा रही है. बुधवार को ही कैबिनेट (Cabinet) ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 (Juvenile Justice Act 2015) में संशोधन को मंजूरी दे दी है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 18, 2021, 11:17 AM IST
नई दिल्ली. अगर आप अनाथ बच्चे (Child Adoption) को गोद लेना चाहते हैं तो यह खबर आपके मतलब की है. अब पूरे देश में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को और आसान (Adoption Process Easier) कर दिया जाएगा. मोदी सरकार (Modi Government) बुधवार को ही जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 (Juvenile Justice Act 2015) में नए संशोधन को मंजूरी दे दी है. अब 8 मार्च के बाद संसद में कभी भी बजट सत्र के दौरान इसे पेश किया जा सकता है. इसके बाद बच्चे को गोद लेने की सारी प्रक्रियाओं को जिला मजिस्ट्रेट और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट अपने स्तर पर ही सुलझा देंगे. बता दें कि बीते कुछ सालों से बच्चे को गोद लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य किया गया था. इसके बावजूद बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करने में 6 से 8 महीने का वक्त लग जाता है. मोदी सरकार के संशोधन में मंजूरी के बाद यह प्रक्रिया और अब आसान हो जाएगी.
अब बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में परेशानी नहीं होगी
बता दें कि पूरे देश में बच्चों को गोद लेने की प्रतीक्षा सूची में लाखों लोग शामिल हैं. कुछ साल पहले ही महिला सशक्तिकरण संचालनालय ने बच्चा गोद लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा शुरू की थी. प्रतीक्षा सूची में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद बच्चे को गोद लेने में काफी कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. बिना कानूनी प्रकिया अपनाए यदि कोई बच्चा गोद लेता या देता पकड़ा जाता तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है.
बच्चा गोद लेने के लिए ऐसे करें आवेदन
अगर आप बच्चा गोद लेना चाहते हैं तो आपको सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की वेबसाइट cara.nic.in पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है. इसके बाद कारा बच्चों की उपलब्धता के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार करती है और फिर अनाथालयों में पहुंचने वाले बच्चों की उपलब्धता के आधार पर जरूरतमंद दंपती को बच्चे देने की प्रक्रिया पूरी करती है. इस काम को पूरा करने में कई तरह के सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है और यह प्रक्रिया सालों चलती रहती है. अब इसी को ध्यान में रख कर मोदी सरकार इस कानून में बदलाव करने जा रही है. वहीं हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी ने कुछ राज्यों में सभी जिला अदालतों को निर्देशित किया है कि बच्चा गोद लेने के लिए कोर्ट सीधे आवेदन नहीं ले सकती. इसके लिए स्टेट अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (सारा) में रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है.
अभी बच्चा गोद लेने की यह है पूरी प्रक्रिया
-4 वर्ष तक के बच्चे को गोद लेने के लिए दंपति की उम्र 45 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए.
-4 से 8 साल तक की उम्र का बच्चा 90 से सौ साल की उम्र तक के दंपती गोद ले सकते हैं.
-4 या अधिक बच्चों के पेरेंट्स को बच्चा गोद नहीं मिलेगा.
-दंपति को आवेदन के साथ इनकम सर्टिफिकेट देना अनिवार्य है.
-अगर तलाक हो गया है तो तलाक का प्रमाण पत्र.
-पति या पत्नी में किसी मृत्यु हो गई है तो उसका प्रमाण पत्र.
-आवेदक की आर्थिक स्थिति के हिसाब से कमेटी निर्णय लेती है.
-लिव-इन रिलेशनशिप वाले दंपतियों को बच्चा गोद नहीं दिया जाता.
-बच्चा गोद देने में निसंतान दंपति को प्राथमिकता दी जाती है.
-विवाह नहीं किया है अकेले रहते हैं तो कोई बात नहीं
-कोई संक्रामक रोग या गंभीर रोग नहीं इसका प्रमाण पत्र देना होगा.
-आवेदक दंपति का पुलिस सत्यापन एसपी ऑफिस से करवाया जाता है.
-आवेदक के घर का दौरा किया जाता है.
-आस-पड़ोस के वातावरण और सुविधाओं के साथ घर की व्यवस्थाओं को परखा जाता है.
-बच्चे को सुपुर्द करने के बाद 10 साल तक घर का दौरा कर फॉलोअप रिपोर्ट तैयार की जाती है.

ये भी पढ़ें: Train Cancel News: होली से ठीक पहले रेलवे ने UP, बंगाल और MP से बिहार जाने वाली 28 ट्रेनें कीं रद्द, देखें पूरी लिस्ट
मान्यताप्राप्त संस्थाओं से बच्चा गोद लेने में काफी वक्त लगता है. काफी दिनों तक लीगल प्रोसेस के बाद ही बच्चे को दंपती को सौंपा जाता है. बच्चे की फोटो भेजी जाने से लेकर उसमें हामी भरने में काफी वक्त लगता है. इसके बाद कारा की टीम सारी जानकारी की खुद पड़ताल करती है. फिर मामला कोर्ट में पहुंचता है. पुलिस विभाग की तरफ से नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी होने में भी काफी वक्त लग जाता है.
अब बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में परेशानी नहीं होगी
बता दें कि पूरे देश में बच्चों को गोद लेने की प्रतीक्षा सूची में लाखों लोग शामिल हैं. कुछ साल पहले ही महिला सशक्तिकरण संचालनालय ने बच्चा गोद लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा शुरू की थी. प्रतीक्षा सूची में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद बच्चे को गोद लेने में काफी कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. बिना कानूनी प्रकिया अपनाए यदि कोई बच्चा गोद लेता या देता पकड़ा जाता तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है.

पूरे देश में बच्चों को गोद लेने की प्रतीक्षा सूची में लाखों लोग शामिल हैं. (सांकेतिक फोटो)
अगर आप बच्चा गोद लेना चाहते हैं तो आपको सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की वेबसाइट cara.nic.in पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है. इसके बाद कारा बच्चों की उपलब्धता के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार करती है और फिर अनाथालयों में पहुंचने वाले बच्चों की उपलब्धता के आधार पर जरूरतमंद दंपती को बच्चे देने की प्रक्रिया पूरी करती है. इस काम को पूरा करने में कई तरह के सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है और यह प्रक्रिया सालों चलती रहती है. अब इसी को ध्यान में रख कर मोदी सरकार इस कानून में बदलाव करने जा रही है. वहीं हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी ने कुछ राज्यों में सभी जिला अदालतों को निर्देशित किया है कि बच्चा गोद लेने के लिए कोर्ट सीधे आवेदन नहीं ले सकती. इसके लिए स्टेट अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (सारा) में रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है.
अभी बच्चा गोद लेने की यह है पूरी प्रक्रिया
-4 वर्ष तक के बच्चे को गोद लेने के लिए दंपति की उम्र 45 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए.
-4 से 8 साल तक की उम्र का बच्चा 90 से सौ साल की उम्र तक के दंपती गोद ले सकते हैं.
-4 या अधिक बच्चों के पेरेंट्स को बच्चा गोद नहीं मिलेगा.
-दंपति को आवेदन के साथ इनकम सर्टिफिकेट देना अनिवार्य है.
-अगर तलाक हो गया है तो तलाक का प्रमाण पत्र.
-पति या पत्नी में किसी मृत्यु हो गई है तो उसका प्रमाण पत्र.
-आवेदक की आर्थिक स्थिति के हिसाब से कमेटी निर्णय लेती है.
-लिव-इन रिलेशनशिप वाले दंपतियों को बच्चा गोद नहीं दिया जाता.
-बच्चा गोद देने में निसंतान दंपति को प्राथमिकता दी जाती है.
-विवाह नहीं किया है अकेले रहते हैं तो कोई बात नहीं
-कोई संक्रामक रोग या गंभीर रोग नहीं इसका प्रमाण पत्र देना होगा.
-आवेदक दंपति का पुलिस सत्यापन एसपी ऑफिस से करवाया जाता है.
-आवेदक के घर का दौरा किया जाता है.
-आस-पड़ोस के वातावरण और सुविधाओं के साथ घर की व्यवस्थाओं को परखा जाता है.
-बच्चे को सुपुर्द करने के बाद 10 साल तक घर का दौरा कर फॉलोअप रिपोर्ट तैयार की जाती है.
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मान्यताप्राप्त संस्थाओं से बच्चा गोद लेने में काफी वक्त लगता है. काफी दिनों तक लीगल प्रोसेस के बाद ही बच्चे को दंपती को सौंपा जाता है. बच्चे की फोटो भेजी जाने से लेकर उसमें हामी भरने में काफी वक्त लगता है. इसके बाद कारा की टीम सारी जानकारी की खुद पड़ताल करती है. फिर मामला कोर्ट में पहुंचता है. पुलिस विभाग की तरफ से नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी होने में भी काफी वक्त लग जाता है.