लॉकडाउन और कोरोना वायरस महामारी के कारण विदेश में फंसे हैं कई भारतीय.
नई दिल्ली. विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन (V Muraleedharan) ने विदेश में फंसे हुए भारतीयों (Indians) से तीन मई तक सब्र रखने का आग्रह करते हुए गुरुवार को कहा कि लॉकडाउन (Lockdown) के नियम विदेशों में अटके भारतीयों को वापस लाने और यहां अनेक हवाईअड्डों पर अटका देने की अनुमति नहीं देते. देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण 25 मार्च से 14 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाया गया था जिसे तीन मई तक बढ़ा दिया गया.
देश वापस लाने के लिए हो रहे प्रयास
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस सत्र को संबोधित करते हुए मुरलीधरन ने कहा कि उनका मंत्रालय निश्चित रूप से विदेशों में फंसे हुए भारतीयों को लेकर चिंतित है तथा उन्हें जल्द से जल्द देश वापस लाने के लिए प्रयास कर रहा है.
छात्रों को लेकर काम कर रहा मंत्रालय
अमेरिका में फंसे हुए भारतीय छात्रों के बारे में पूछे जाने पर मुरलीधरन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण भारतीय छात्र दुनियाभर में फंसे हुए हैं. वे कैरिबियाई देशों से लेकर न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया तक अटके हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘विदेश मंत्रालय इस दिशा में काम कर रहा है. जाहिर तौर पर सभी जानते हैं कि मौजूदा हालात में लॉकडाउन की भावना और नियम हमें किसी को देश में लाने की और उन्हें भारत में हवाईअड्डों पर लाकर फंसा देने की इजाजत नहीं देते.’’
3 मई तक सब्र रखें
विदेश राज्य मंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि राज्यों के बीच यात्रा पर पाबंदी है, वहीं कुछ जिलों और कई अति प्रभावित क्षेत्रों को पूरी तरह सील कर दिया गया है. मुरलीधरन ने कहा, ‘‘इसलिए मैं तीन मई तक उम्मीद कर रहा हूं. कृपया सब्र रखें. हम न केवल छात्रों बल्कि उन अनेक लोगों के लिए भी निश्चित रूप से चिंतित हैं जो पर्यटन वीजा पर या कामकाजी वीजा पर गये थे.’’
कोविड-19 के आर्थिक प्रभावों और केंद्र द्वारा उठाये गये कदमों पर उन्होंने कहा कि सरकार महामारी के आर्थिक असर से वाकिफ है और इसलिए उसने ‘जान है तो जहान है’ से अपनी सोच ‘जान भी जहान भी’ की ओर बदली है.
क्षमता निर्माण किया जाना चाहिए
मुरलीधरन ने मौजूदा परिदृश्य में दोहरी रणनीति की वकालत की जिसमें विशेष रूप से फार्मा, कपड़ा, विनिर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में क्षमता निर्माण किया जाना चाहिए जहां भारत शेष दुनिया के मुकाबले थोड़े लाभ की स्थिति में रह सकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमारी कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी वहीं दुनिया को एक विकल्प प्रस्तुत करके वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को विविधता प्रदान की जा सकती है.’’ उन्होंने कहा कि रणनीति का दूसरा हिस्सा दूसरे देशों के उद्योगों तथा कारोबारों के साथ साझेदारी का होना चाहिए जिसमें विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का अंदर और बाहर दोनों तरफ प्रवाह हो.
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