Toolkit case: ग्रेटा थनबर्ग के टूलकिट लीक करने से डर गई थीं दिशा रवि, उसी ने करवाया था डिलीट- पुलिस

ग्रेटा थनबर्ग टूलकिट केस में पुलिस ने बेंगलुरु से दिशा रवि को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि मुंबई में रहने वाली निकिता जैकब (बाएं) की तलाश में है.
Greta Thunberg Toolkit Case: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिशा को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था. इस महीने की 4 तारीख को दिल्ली पुलिस ने टूलकिट को लेकर केस दर्ज किया था.
- News18Hindi
- Last Updated: February 16, 2021, 8:00 AM IST
नई दिल्ली. ग्रेटा थनबर्ग टूलकिट मामले (Greta Thunberg Case) में एक्टिविस्ट दिशा रवि (Disha Ravi) की गिरफ्तारी के बाद लगातार नए खुलासे हो रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि जब ग्रेटा थनबर्ग ने गलती से टूलकिट लीक किया तो दिशा बेहद डर गई थी और उन्होंने ही ग्रेटा को वह पहला टूलकिट डिलीट करने को कहा था. इस घटना के तुरंत बाद दिशा किसी वकील से मिलना चाहती थी. दरअसल उन्हें इस बात का डर था कि पुलिस यूएपीए कानून के तहत उन पर कार्रवाई कर सकती है. बता दें कि दिशा इन दिनों 5 दिनों की पुलिस रिमांड में है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन्हें बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था. आरोप है कि दिशा रवि ने किसानों से जुड़ी टूलकिट को एडिट किया, उसमें कुछ चीज़ें जोड़ी और उसको आगे भेजा था.
पुलिस ने ये भी दावा किया है कि दिशा ने ग्रेटा थनबर्ग को अपने पोस्ट को हटाने के लिए कहा था, क्योंकि उस डॉक्यूमेंट में उनके नाम का जिक्र था. पुलिस ने दावा किया कि थनबर्ग ने दिशा के अनुरोध के बाद कथित तौर पर ट्वीट को हटा दिया और बाद में उसे एडिट करने के बाद शेयर किया.
चैट के दौरान क्या हुई दिशा और ग्रेटा के बीच बात
पुलिस सूत्रों ने बताया कि दिशा ने टेलिग्राम पर थनबर्ग को लिखा, 'ठीक है, क्या ऐसा हो सकता है कि आप टूलकिट को पूरी तरह ट्वीट न करें. क्या हम थोड़ी देर के लिए रुक सकते हैं. मैं वकीलों से बात करने वाली हूं. सॉरी लेकिन उस पर हमारे नाम हैं और हमारे खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई हो सकती है.'दो और की तलाश
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का दावा है कि ‘टूलकिट’ बनाने के मामले में दिशा रवि के साथ मुंबई की एक वकील और बीड का एक इंजीनियर भी शामिल हैं. वकील निकिता जैकब और इंजीनियर शांतनु मुलुक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गये है. ये दोनों फिलहाल फरार हैं.
ये भी पढ़ें:- सोनाली फोगाट के घर में चोरी, लाखों रुपये के गहनें, नकदी और रिवॉलवर ले उड़े चोर
भारत की छवि को खराब करने का प्लान
पुलिस का दावा है कि हिंसा से 15 दिन पहले यानी 11 जनवरी को इन दोनों ने खालिस्तान समर्थक समूह पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीएफजे) द्वारा ऑनलाइन जूम ऐप से एक मीटिंग में हिस्सा लिया था. पुलिस के मुताबिक दिशा रवि के साथ निकिता और शांतनु ने किसानों के आंदोलन के संबंधित ‘टूलकिट’ बनाई थी और भारत की छवि को खराब करने का प्लान तैयार किया गया था.

क्या है टूलकिट?
आमतौर पर टूलकिट एक तरह की गाइडलाइन है, जिसके जरिये ये बताया जाता है कि किसी काम को कैसे किया जाए. थनबर्ग ने इस टूलकिट के जरिए लोगों को ये बताने की कोशिश की थी कि आखिर आंदोलन को समर्थन देने के लिए क्या कुछ और कैसे करना है. हालांकि उन्होंने बाद में इस टूलकिट को ट्विटर से हटा दिया.
पुलिस ने ये भी दावा किया है कि दिशा ने ग्रेटा थनबर्ग को अपने पोस्ट को हटाने के लिए कहा था, क्योंकि उस डॉक्यूमेंट में उनके नाम का जिक्र था. पुलिस ने दावा किया कि थनबर्ग ने दिशा के अनुरोध के बाद कथित तौर पर ट्वीट को हटा दिया और बाद में उसे एडिट करने के बाद शेयर किया.
चैट के दौरान क्या हुई दिशा और ग्रेटा के बीच बात
पुलिस सूत्रों ने बताया कि दिशा ने टेलिग्राम पर थनबर्ग को लिखा, 'ठीक है, क्या ऐसा हो सकता है कि आप टूलकिट को पूरी तरह ट्वीट न करें. क्या हम थोड़ी देर के लिए रुक सकते हैं. मैं वकीलों से बात करने वाली हूं. सॉरी लेकिन उस पर हमारे नाम हैं और हमारे खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई हो सकती है.'दो और की तलाश
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का दावा है कि ‘टूलकिट’ बनाने के मामले में दिशा रवि के साथ मुंबई की एक वकील और बीड का एक इंजीनियर भी शामिल हैं. वकील निकिता जैकब और इंजीनियर शांतनु मुलुक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गये है. ये दोनों फिलहाल फरार हैं.
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भारत की छवि को खराब करने का प्लान
पुलिस का दावा है कि हिंसा से 15 दिन पहले यानी 11 जनवरी को इन दोनों ने खालिस्तान समर्थक समूह पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीएफजे) द्वारा ऑनलाइन जूम ऐप से एक मीटिंग में हिस्सा लिया था. पुलिस के मुताबिक दिशा रवि के साथ निकिता और शांतनु ने किसानों के आंदोलन के संबंधित ‘टूलकिट’ बनाई थी और भारत की छवि को खराब करने का प्लान तैयार किया गया था.
क्या है टूलकिट?
आमतौर पर टूलकिट एक तरह की गाइडलाइन है, जिसके जरिये ये बताया जाता है कि किसी काम को कैसे किया जाए. थनबर्ग ने इस टूलकिट के जरिए लोगों को ये बताने की कोशिश की थी कि आखिर आंदोलन को समर्थन देने के लिए क्या कुछ और कैसे करना है. हालांकि उन्होंने बाद में इस टूलकिट को ट्विटर से हटा दिया.