अहमद पटेल
(न्यूज18 के लिए पल्लवी घोष)
गुजरात में काफी कोशिशों के बाद भी कांग्रेस वहां 22 साल से चला आ रहा सत्ता का वनवास खत्म नहीं कर पाई. कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकार और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली इस हार की एक बड़ी वजह बूथ स्तर पर मेहनत को मानते हैं. अहमद पटेल कहते हैं, 'गुजरात में बीजेपी के पास बूथ स्तर पर प्रभावी प्रबंधन और रणनीति थी और यहीं कांग्रेस उनसे मात खा गई.'
सोनिया गांधी के करीबी सहयोगी माने जाने वाले अहमद पटेल इसके साथ ही कहते हैं कि राहुल गांधी ने अपने प्रचार अभियान के जरिये यहां वोटरों में उत्साह जगाया. यहां राहुल की रैलियों में पीएम नरेंद्र मोदी के मुकाबले ज्यादा भीड़ जुटती थी, लेकिन जमीन पर यह वोटों में तब्दील नहीं हो सका.
अहमद पटेल ने न्यूज़18 से बातचीत में कहा, 'बीजेपी से नाराज़ गुजरात के लोगों पर अगर थोड़ा और ध्यान देते, तो हम 7-8 सीटें और जीत सकते थे. वे बेहद नाराज़ थे और बीजेपी को हराना चाहते थे.'
वहीं कांग्रेस के चुनावी अभियान को लेकर पूछे गए सवाल पर पटेल का कहना था कि पार्टी के हारने की यहां कई वजहें रहीं, जिनमें से एक चुनाव पूर्व गठबंधन भी रहा. अहमद पटेल बिना किसी का नाम लिए ही कहते हैं कि कांग्रेस को अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर ज्यादा सतर्कता बरतनी चाहिए थी. वह कहते हैं, 'कुछ सीटों पर हमारे उम्मीदवार गठबंधन सहयोगियों के प्रत्याशियों से बेहतर थे.'
अहमद पटेल हालांकि राहुल गांधी प्रभावशाली अभियान की तारीफ करते हुए कहते हैं कि कांग्रेस
अध्यक्ष ने यहां बहुत मेहनत की. वह कहते हैं, 'वोटिंग वाले दिन लोगों से वोट की अपील करना राहुल का काम नहीं था. उन्होंने वह सब कुछ किया, जो वह कर सकते थे.' अहमद पटेल कहते हैं कि बीजेपी ने यहां राज्य और केंद्र की मशीनरी का जमकर इस्तेमाल किया और यहीं कांग्रेस पिछड़ गई.
वहीं राहुल गांधी के मंदिर दर्शन को लेकर उठ रहे सवाल पर पटेल कहते हैं कि वह लोगों के आग्रह पर वहां गए थे. अहमद पटेल अपने गृह राज्य के चुनाव में खुद को दरकिनार किए जाने की खबरों को भी खारिज करते हैं. वह कहते हैं, 'राहुल गांधी हमेशा ही यह जोर देते थे कि मैं उनके साथ ही चला करूं.'
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