दुश्मन के 100 किमी दूर ठिकाने को पलभर में तबाह कर देगा 'हॉक आई' विमान, HAL ने की टेस्टिंग

इसे भारत में ही डिजाइन और निर्मित किया गया है. (फोटो साभारः ANI)
स्वदेशी स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (SAAW) को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) रिसर्च सेंटर इमरत (RCI) द्वारा विकसित किया गया है. सॉ 100 किमी दूर स्थित दुश्मन के रडार, बंकर, टैक्सी ट्रैक, रनवे समेत किसी भी ठिकाने को तबाह करने की क्षमता रखता है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 22, 2021, 9:38 AM IST
नई दिल्ली. भारतीय सेना की ताकत बढ़ने के साथ दुश्मनों की अब खैर नहीं है. भारत ने (India) स्वदेशी हॉक आई विमान (Hawk-i aircraft ) से गुरुवार को स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (सॉ) का सफल परीक्षण किया है. रक्षा PSU हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने ओडिशा के तट से हॉक-आई विमान से एक स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (SAAW) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. स्वदेशी स्टैंड-ऑफ हथियार को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) रिसर्च सेंटर इमरत (RCI) द्वारा विकसित किया गया है. सॉ 100 किमी दूर स्थित दुश्मन के रडार, बंकर, टैक्सी ट्रैक, रनवे समेत किसी भी ठिकाने को तबाह करने की क्षमता रखता है.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) रिसर्च सेंटर इमरत (RCI) द्वारा विकसित इस हथियार का वजन 125 किलो है. इस हथियार को पहले जगुआर विमान में लगाया गया था. जगुआर विमान में सफल परीक्षण के बाद इसे अब हॉक आई विमान से इसका सफल परीक्षण ककिया गया है. एचएएल के परीक्षण पायलट रिटायर्ड विंग कमांडर पी अवस्थी और रिटायर्ड विंग कमांडर एम पटेल ने हॉक-एमकेआई 132 विमान से उड़ान भरी और इस हथियार का परीक्षण किया.

बता दें कि यह एक तरह का निर्देशित बम है. दुश्मनों के ठिकानों को पलभर में ध्वस्त करने की क्षमता रखने वाला ये बम किसी भी मिसाइल या रॉकेट की तुलना में बहुत सस्ता है. भारतीय वायुसेना में शामिल होने पर इसे राफेल में भी लगाने की तैयारी है. इस परियोजना को 2013 में केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी.इसे भी पढ़ें :- DRDO ने बनाई देश की पहली मशीन पिस्टल, 100 मीटर की दूरी पर कर सकती है फायर
जानें इसकी खासियत
इस हथियार का वजन करीब 120 किलोग्राम है और इस तरह के हथियार का इस्तेमाल रनवेज, दुश्मन के बंकर्स और एयरक्राफ्ट वगैरह उड़ाने के लिए किया जाता है. इसकी मारक क्षमता करीब 100 किमी की है यानी हमारे लड़ाकू विमान पर्याप्त ऊंचाई से दुश्मन के अड्डों को ध्वस्त कर सकते हैं. इतना ही नहीं इसे बेहद हल्के वजन वाला दुनिया का बेहतरीन गाइडेड बम बताया गया है.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) रिसर्च सेंटर इमरत (RCI) द्वारा विकसित इस हथियार का वजन 125 किलो है. इस हथियार को पहले जगुआर विमान में लगाया गया था. जगुआर विमान में सफल परीक्षण के बाद इसे अब हॉक आई विमान से इसका सफल परीक्षण ककिया गया है. एचएएल के परीक्षण पायलट रिटायर्ड विंग कमांडर पी अवस्थी और रिटायर्ड विंग कमांडर एम पटेल ने हॉक-एमकेआई 132 विमान से उड़ान भरी और इस हथियार का परीक्षण किया.
बता दें कि यह एक तरह का निर्देशित बम है. दुश्मनों के ठिकानों को पलभर में ध्वस्त करने की क्षमता रखने वाला ये बम किसी भी मिसाइल या रॉकेट की तुलना में बहुत सस्ता है. भारतीय वायुसेना में शामिल होने पर इसे राफेल में भी लगाने की तैयारी है. इस परियोजना को 2013 में केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी.इसे भी पढ़ें :- DRDO ने बनाई देश की पहली मशीन पिस्टल, 100 मीटर की दूरी पर कर सकती है फायर
जानें इसकी खासियत
इस हथियार का वजन करीब 120 किलोग्राम है और इस तरह के हथियार का इस्तेमाल रनवेज, दुश्मन के बंकर्स और एयरक्राफ्ट वगैरह उड़ाने के लिए किया जाता है. इसकी मारक क्षमता करीब 100 किमी की है यानी हमारे लड़ाकू विमान पर्याप्त ऊंचाई से दुश्मन के अड्डों को ध्वस्त कर सकते हैं. इतना ही नहीं इसे बेहद हल्के वजन वाला दुनिया का बेहतरीन गाइडेड बम बताया गया है.